All Golpo Are Fake And Dream Of Writer, Do Not Try It In Your Life

चाची और उनकी बेटी-1


प्रेषक: सुनील


अपने पेरैंटस के गुज़र जाने के बाद मैं अपने चाचा, चाची और उनकी बेटी (मेरी कज़िन बहन) के साथ उनके बंगले में रहता था। मेरे चाचा बहुत ही कामयाब बिज़नेस मैन थे। घर में हर तरह के सुख-साधन और लग्ज़री मौजूद थी। मेरी उम्र उस समय आठरह साल की थी और मेरी चाची बयालीस साल की थी और उनकी बेटी मुझसे एक साल बड़ी थी और अभी-अभी बीस साल पूरे करे थे और कॉलेज में पढ़ रही थी।। आपको बता दूँ की मेरी मीना चाची का गदराया बदन बहुत ही मादक और मस्त था। उसकी चूची छत्तीस साइज़ की थी और छत्तीस-सी साईज़ की ब्रा पहनती थी। पतली कमर और बहुत ही प्यारे-प्यारे मोटे-मोटे चूतड़ अढ़तीस साइज़ के थे। जिसको देख के किसी का भी लंड तन जाये। चाची की शक्ल-सूरत और जिस्म भी बिल्कुल नीता अंबानी जैसा था।


मेरी कज़िन बहन, सोनिया जो बस जवान ही हुई थी, एकदम अपनी माँ की तरह मस्त दिखने लगी थी। जब वो स्कर्ट पहनती थी तो मैं हमेशा कोशिश कर के उसके सामने ही बैठा करता ताकि मुझे उसकी चिकनी जाँघें और पैंटी में कसी चूत का उभार और चूतड़ दिखें। मैं हमेशा इस फिराक में रहता था की मुझे एक बार अपनी मीना चाची और सोनिया पूरी नंगी देखने को मिल जायें।


मीना चाची शिक्षित और काफी आधुनिक थी और और किट्टी पार्टियों और कुछ चैरिटबल संस्थाओं से भी जुड़ी हुई थी। शराब-सिगरेट का सेवन भी करती थी। मीना चाची ज्यादातर साड़ी या सलवार-सूट पहनती थी लेकिन कभी-कभार जींस, स्कर्ट वगैरह जैसे वेस्टर्न कपड़े भी पहनती थी। जब शाम को चाची साड़ी में बैठ कर व्हिस्की पीती थी और स्मोक करती थी तो मेरा लंड कस कर अकड़ जाता था। दोस्तों आपने कभी साड़ी वाली औरत को व्हिस्की और सिगरेट पीते हुए देखा है की नहीं? इतना मस्त सीन होता है की इच्छा करती है की वहीं साली की साड़ी उठा के लंड पेल दें। मैं उन दोनों माँ-बेटी को सिर्फ देख कर ही मस्त हो जाता था और बाथरूम में जा कर उनकी उतरी हुई ब्रा और पैंटी, जिस में से उनकी मस्त चूत और चूची की खुशबू आती थी और कभी उनकी की ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल जिन में से उनके पैरों के पसीने की महक आती थी, खूब सूँघता हुआ मुठ मारता था। मीना चाची की पैंटी में हमेशा मादक सूगंध आती थी और सोनिया की पैंटी में उसकी ताजी चूत की खुशबू मैं सूँघता था और उनकी ब्रा, पैंटी और सैंडलों को चाट-चाट कर अपने लंड को ठंडा करता था।


एक दिन की बात है, मेरा लंड रात को अचानक खड़ा हो गया और मेरी इच्छा हुई की मैं मीना चाची के बाथरूम में जा कर उनकी पैंटी और ब्रा सूँघ कर मुठ मारूँ। मैं चुप-चाप बाथरूम की ओर जाने लगा तो मुझे मीना चाची के कमरे से हल्की सी लाइट और कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैं भी धड़कते दिल से चाची के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा। अंदर मीना चाची चुदाई में मस्त हो कर चाचा को बहनचोद और मादरचोद की गालियाँ दे रही थी। इतनी सफिस्टिकेटिड और पढ़ी-लिखी चाची के मुँह से ऐसी गंदी गालियाँ सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।


मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा यह मौका है जब मैं मीना चाची को पूरा नंगा और चुदते हुए देख सकुँगा और मैं सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि मुझे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से मुझे सब दिखाई देगा। मैं चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो मुझे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। मीना चाची अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थीं और एक हाथ से सिगरेट पी रही थीं और चाचा उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।


मीना चाची नशे में थी और कह रही थी, “मादरचोद कभी तो मेरी चूत को ठंडा करा कर, बस भोंसड़ी वाले अपना लंड डाल कर अपने आप को ठंडा कर लेता है। आज मादरचोद अगर तूने मेरी चूत को ठंडा नहीं किया तो मैं बज़ार में रंडी बन कर चुदवाऊँगी।”


चाचा भी अपनी और से पूरी ताकत लगा रहा था और कह रहा था कि “साली रंडी कितना चोदता हूँ तुझे… पर तेरी चूत की प्यास ही खत्म नहीं होती और तेरा बदन इतना मस्त है की चार पाँच शॉट में ही मेरा लंड झड़ जाता है” और इतना बोलते-बोलते ही चाचा अपना लंड मीना चाची की चूत में झाड़ कर लुड़क गये। दोस्तों आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |


मीना चाची बोलती रहीं कि “पता नहीं कब मेरी चूत की प्यास ठंडी होगी, ये गाँडू तो मुझे ठंडा ही नहीं कर पाता है।”


चाचा और चाची को इस तरह गंदी भाषा में गालियाँ देते हुए बातें करते सुनकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मेरी बड़ी इच्छा करी कि मैं अंदर जाऊँ और मीना चाची को पकड़ कर खूब चोदूँ।


मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर वापस अपने कमरे की और चल दिया। रास्ते में सोनिया का कमरा पड़ता था। चाची की चुदाई देखने के बाद मेरा लंड फड़फड़ा रहा था। पता नहीं मैं किस ख्याल में सोनिया के कमरे में घुस गया। मुझे जब ध्यान आया तो मैंने अपने आप को सोनिया के बिस्तर के पास खड़ा पाया। सोनिया इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ़ आधा ढके हुई थी। मेरे सामने अभी भी मीना चाची की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में मैंने देखा कि सोनिया की मस्त चिकनी-चिकनी टाँगें और फुले हुए चूतड़ जो उसने पैंटी में छुपाये हुए थे। मुझ से रहा नहीं गया और मैं बिस्तर के साइड में हो कर उसकी चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे-धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी। जिस चूतड़ की खुशबू मैं पैंटी में सूँघता और चाटता था वही चूतड़ आज मैं असली में सूँघ रहा था और अपने होंठों से किस कर रहा था। इतने में सोनिया कुछ कुनमुनाई और मैं डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।


उसके बाद मैं बाथरूम गया और मीना चाची की पैंटी और ब्रा अपने रूम में ला कर सूँघते और चाटते हुए खूब मुठ मारी, और मैंने इरादा किया की एक बार मैं मीना चाची के साथ ट्राई तो मार के देखूँ, क्या पता, प्यासी चूत है, अपने आप ही मुझे चोदने को दे दे। मुठ मारते-मारते मैं मीना चाची की ब्रा अपने होंठों से लगा कर सो गया।unnamed (91)


अगली सुबह में मीना चाची ने मुझे झकझोड़ के जगाया और बोली, “सुनील आज स्कूल क्यों नहीं गया? देख सुबह के दस बज रहे हैं, तेरे चाचा को तो आज सुबह महीने भर के लिये युरोप और अमेरिका जाना था, वो तो कभी के चले भी गये और सोनिया भी अपनी कालेज ट्रिप के साथ जयपुर चली गई है, मैं भी थक रही हूँ, तू नहा धो के नाश्ता कर ले तो मैं भी थोड़ा लेटूँगी।”


मैंने जल्दी से उठ कर सबसे पहले मीना चाची की पैंटी और ब्रा ढूँढी पर मुझे कहीं नहीं मिली। मेरी तो डर के मारे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, और मैं सोचने लगा की अगर चाची को पता पड़ गया तो चाची मेरी खूब पिटाई करेंगी। दोस्तों आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |


मैं चुपचाप अपने सारे काम पूरे करके टीवी देखने बैठ गया और उधर चाची मुझे नाश्ता देकर अंदर जा कर लेट गयीं। थोड़ी देर बाद आवाज दे कर मुझे अपने कमरे में बुलाया, और बोली “सुनील मेरा जरा बदन दबा दे।”


उस समय मीना चाची सिर्फ़ ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थीं और कहने के बाद पेट के बल हो कर उल्टी लेट गई। मीना चाची ने अपने ब्लाऊज़ का सिर्फ़ एक हुक छोड़ कर सारे हुक खोले हुए थे और अपना पेटीकोट भी कुछ ज्यादा ही नीचे कर के बाँधा हुआ था जिस से उनकी गाँड की दरार साफ नज़र आ रही थी। मेरे सामने वो चूतड़ थे जिसे सिर्फ़ देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मीना चाची तो अपना पूरा बदन मेरे को दिखाते हुए मसलने को कह रही थी। मैं बिना देर करे चुपचाप चाची के साईड में बैठ कर धीरे-धीरे उनका बदन दबाने लगा, उनके चिकने बदन को छूते ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और मैं डरने लगा की कहीं मीना चाची को पता नहीं चल जाये। जब पेटीकोट के ऊपर से मीना चाची के चूतड़ दबाये तो लंड एक दम मस्त हो गया। पेटीकोट के ऊपर से ही मीना चाची के चूतड़ दबा कर मालूम पड़ गया था कि गाँड वाकय में बहुत गदरायी हुई और ठोस थी।थोड़ी देर बाद चाची बोली, “अरे सुनील, जरा तेल लगा कर जोर से जरा अच्छी तरह से मालिश कर।”


मैंने कहा, “चाची तेल से आपका ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा, आप अपना ब्लाऊज़ खोल दो।”


मीना चाची बोली, “सुनील मैं तो लेटी हूँ, तू मेरे पीछे से ब्लाऊज के हुक खोल के साईड में कर दे।”


मैं जिस मीना चाची को नंगा देखने को तरसता था और जिसकी ब्रा सूँघता था, मैंने बड़े धीरे-धीरे से उनके ब्लाऊज के हुक खोले और अब चाची की नंगी पीठ पर सिर्फ़ काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथों पर लेकर चाची की पीठ पर मलना चालू किया पर बार-बार चाची की काली ब्रा के स्ट्रैप दिक्कत दे रहे थे। मैंने मीना चाची को बोला कि “चाची आपकी पूरी ब्रा खराब हो रही है और मालिश करने में भी दिक्कत हो रही है।”


तब मीना चाची बोली कि “तू मेरे ब्रा के स्ट्रैप खोल दे।”


मीना चाची के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड तो झटके लेने लगा। मैंने भी बड़े ही प्यार से ब्रा के हुक खोल दिये। पहली बार इतने पास से मैं मीना चाची की चिकनी सुंदर पीठ देख रहा था। मैं उस नंगी पीठ पर धीरे-धीरे तेल से मालिश करने लगा।


थोड़ी देर बाद मीना चाची बोली, “सुनील जरा मेरे नीचे भी मालिश कर दे।”


मैंने कहा, “चाची कहाँ करूँ?” तो मीना चाची बिना किसी शरम के बोलीं की “मेरे चुतड़ों की और किसकी।”


मैंने भी सोचा मौका अच्छा है और मैंने कहा, “पर उसके लिए तो आपका पेटीकोट उतारना पड़ेगा।”


तब चाची बोली, “जा कर अच्छे से पहले दरवाजा बंद कर आ।”


मैं जल्दी से जाके दरवाजा बंद कर के आया तो देखा मीना चाची पहले से ही अपना पेटीकोट उतार कर पिंक पैंटी और काली ब्रा को अपने हाथों से दबाय, पेट के बल उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई थीं। मैंने तेल लेकर धीरे-धीरे चाची की मस्त टाँगों की और उन मस्ताने गदराये चूतड़ों की मालिश चालू कर दी। मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की वो मीना चाची जिसका नाम लेकर मैं रात भर मुठ मारता था, एक दिन ब्रा और पैंटी में मेरे समने लेट कर मेरे हाथ से अपनी मालिश करवायेंगी।


मालिश करते-करते जब मैं मीना चाची की जाँघों पर पहुँचा तो मेरे हाथ बार-बार पैंटी के ऊपर से मीना चाची की कसी हुई चूत की मछलियों से टच हो रहे थे जो मुझे एक अजीब तरह का आनन्द दे रहे थे। मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैंने मीना चाची की पैंटी के साइड से अपनी एक उंगली धीरे-धीरे अंदर डाली और मीना चाची की चूत पर उंगली फेरने लगा। मीना चाची की चूत एक दम बिना बाल की थी और उसकी साफ़्टनैस से मालूम हो रहा था की चाची शेव नहीं बल्कि हेयर रिमूवर से अपनी चूत के बाल साफ़ करती थीं। तभी अचानक चाची सीधी हुई और अपनी काली ब्रा को छोड़ के एक चाँटा मेरे गाल पर मार दिया और बोली, “मादरचोद, तुझे शरम नहीं आती मेरी चूत में उंगली डालते हुए।”जब मीना चाची उठी उस समय उन्हें अपनी काली ब्रा का ध्यान नहीं रहा और ब्रा के हुक पहले से ही खुले होने के कारण चाची की वो मस्त गोरी-गोरी चूचीयाँ जिसपे भूरे रंग के बड़े से निप्पल थे, मेरे सामने पूरी नंगी हो गई और मैं चाँटे की परवाह किये बिना मीना चाची की मस्त चूचीयाँ देखता रहा। मीना चाची ने भी उन्हें छुपाने की कोई कोशिश नहीं की, बल्कि एक और चाँटा मारते हुए बोलीं, “मादरचोद, बहन के लौड़े, तू मुझे क्या चूतिया समझता है, कल रात को मेरी पैंटी और ब्रा तेरे तकिये पर कैसे पहुँच गई, बता सच-सच मदरचोद… मेरी पैंटी और ब्रा के साथ क्या कर रहा था?”


मेरे प्यारे दोस्तों मेरी आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये मस्तराम.नेट (www.mastaram.net) और भी मस्त मस्त चुदाई की कहानिया लिखता रहुगा आप लोगो को मेरी ये रियल कहानी कैसी लग रही है प्लीज कमेंट जरुर कीजिये  |


 


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