प्रेषक: सोहन
मेरी बीवी की चुदाई का बदला-1
अभी तक आप लोगो ने पिछली कहानी में पढ़ा उसके आगे … बदन पर पानी पड़ते ही एक चमक सी आ गई थी दीदी के बदन में. शैंपू से खूब सारा झाग बना कर अपने बालों को साफ़ कर रही थी. बालो और गर्दन के पास से शैंपू मिला हुआ मटमैला पानी उनकी गर्दन से बहता हुआ उनकी पीठ पर चुते हुए निचे की तरफ गिरता हुआ कमर के बाद सीधा दोनों चुत्तरों के बीच यानी की उनके बीच की दरार जो की दीदी की गांड थी में घुस रहा था. क्योंकि ये पानी शैंपू लगाने के कारण झाग से मिला हुआ था और बहुत कम मात्रा में था इसलिए गांड की दरार में घुसने के बाद कहा गायब हो जा रहा था ये मुझे नहीं दिख रहा था. अगर पानी की मात्रा ज्यादा होती तो फिर वो वहां से निकल कर जांघो के अंदरूनी भागो से ढुलकता हुआ निचे गिर जाता. बालों में अच्छी तरह से शैंपू लगा लेने के बाद बालों को लपेट कर एक गोला सा बना कर गर्दन के पास छोड़ दिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने बदन को फिर से गीला कर लिया. गर्दन और पीठ पर लगा हुआ शैंपू मिला हुआ मटमैला पानी भी धुल गया था. फिर उन्होंने एक स्पोंज के जैसी कोई चीज़ रैक पर से उठा ली और उस से अपने पुरे बदन को हलके-हलके रगरने लगी. पहले अपने हाथो को रगरा फिर अपनी छाती को फिर अपनी पीठ को फिर बैठ गई. निचे बैठने पर मुझे केवल गर्दन और उसके निचे का कुछ हिस्सा दिख रहा था. पर ऐसा लग रहा था जैसे वो निचे बैठ कर अपने पैरों को फैला कर पूरी तरह से रगर कर साफ़ कर रही थी क्योंकि उनका शरीर हिल रहा था. थोरी देर बाद खड़ी हो गई और अपने जांघो को रगरना शुरू कर दिया. मैं सोचने लगा की फिर निचे बैठ कर क्या कर रही थी. फिर दिमाग में आया की हो सकता है अपने पैर के तलवे और उँगलियों को रगर कर साफ़ कर रही होंगी. मेरी दीदी बहुत सफाई पसंद है. जैसे उसे घर के किसी कोने में गंदगी पसंद नहीं है उसी तरह से उसे अपने शरीर के किसी भी भाग में गंदगी पसंद नहीं होगी. अब वो अपने जांघो को रगर रगर कर साफ़ कर रही थी और फिर अपने आप को थोड़ा झुका कर अपनी दोनों जांघो को फैलाया और फिर स्पोंज को दोनों जांघो के बीच ले जाकर जांघो के अंदरूनी भाग और रान को रगरने लगी. पीछे से देखने पर लग रहा था जैसे वो जांघो को जोर यानि जहाँ पर जांघ और पेट के निचले हिस्से का मिलन होता और जिसके बीच में चूत होती है को रगर कर साफ़ करते हुए हलके-हलके शायद अपनी चूत को भी रगर कर साफ़ कर रही थी ऐसा मेरा सोचना है. वैसे चुत जैसी कोमल चीज़ को हाथ से रगर कर साफ़ करना ही उचित होता. वाकई ऐसा था या नहीं मुझे नहीं पता, पीछे से इस से ज्यादा पता भी नहीं चल सकता था. थोड़ी देर बाद थोड़ा और झुक कर घुटनों तक रगर कर फिर सीधा हो कर अपने हाथों को पीछे ले जाकर अपने चुत्तरों को रगरने लगी. वो थोड़ी-थोड़ी देर में अपने बदन पर पानी डाल लेती थी जिस से शरीर का जो भाग सुख गया होता वो फिर से गीला हो जाता था और फिर उन्हें रगरने में आसानी होती थी. चुत्तरों को भी इसी तरह से एक बार फिर से गीला कर खूब जोर जोर से रगर रही थी. चुत्तरों को जोर से रगरने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था क्योंकि वहां का मांस बहुत मोटा था, पर जोर से रगरने के कारण लाल हो गया था और थल-थलाते हुए हिल रहा था. मेरे हाथों में खुजली होने लगी थी और दिल कर रहा था की थल-थलाते हुए चुत्तरों को पकड़ कर मसलते हुए हलके-हलके मारते हुए खूब हिलाउ. चुत्तारों को रगरने के बाद दीदी ने स्पोंज को दोनों चुत्तरों की दरार के ऊपर रगरने लगी फिर थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गैई जिस से उसके चुत्तर फ़ैल गए. फिर स्पोंज को दोनों चुत्तरों के बीच की खाई में डाल कर रगड़ने लगी. कोमल गांड की फूल जैसी छेद शायद रगड़ने के बाद लाल हो गुलाब के फूल जैसी खिल जायेगी. ये सोच कर मेरे मन में दीदी की गांड देखने की तीव्र इच्छा उत्पन्न हो गई. मन में आया की इस लकड़ी की दिवार को तोड़ कर सारी दुरी मिटा दू, मगर, सोचने में तो ये अच्छा था, सच में ऐसा करने की हिम्मत मेरी गांड में नहीं थी. बचपन से दीदी का गुस्सैल स्वभाव देखा था, गांड पर ऐसी लात मारेगी की गांड देखना भूल जाऊंगा. हालाँकि दीदी मुझे प्यार भी बहुत करती थी और मुझे कभी भी परेशानी में देख तुंरत मेरे पास आ कर मेरी समस्या के बारे में पूछने लगती थी. स्पोंज से अपने बदन को रगड़ने के बाद. वापस स्पोंज को रैक पर रख दिया और मग से पानी लेकर कंधो पर डालते हुए नहाने लगी. मात्र स्पोंज से सफाई करने के बाद ही दीदी का पूरा बदन चम-चमाने लगा था. पानी से अपने पुरे बदन को धोने के बाद दीदी ने अपने शैंपू लगे बालों का गोला खोला और एक बार फिर से कमर के पास से निचे झुक गई और उनके चुत्तर फिर से लकड़ी के पट्टो के बीच बने गैप के सामने आ गए. इस बार उनके गोरे चम-चमाते चुत्तरों के बीच की चमचमाती खाई के आलावा मुझे एक और चीज़ के दिखने को मिल रही थी. वो क्या थी वो तो चूत है. . इस बात का अहसास होते ही की मैं अपनी दीदी की चूत देख रहा हूँ, मुझे लगा जैसे मेरा कलेजा मुंह को आ जायेगा और फिर से मेरा गला सुख गया और पैर कांपने लगे. इस बार शायद मेरे लण्ड से दो बूँद टपक कर निचे गिर भी गया पर मैंने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. लण्ड भी मारे उत्तेजना के काँप रहा था. बाथरूम में वैसे तो लाइट आँन थी मगर चूँकि बल्ब भी लकरी के पट्टो के सामने ही लगा हुआ था इसलिए दीदी की पीठ की तरफ रोशनी कम थी. फिर भी दोनों मोटी जांघो के बीच ऊपर की तरफ चुत्तरों की खाई के ठीक निचे एक गुलाबी लकीर सी दिख रही थी. पट्टो के बीच से देखने से ऐसा लग रहा था जैसे सेब या पके हुए पपीते के आधे भाग को काट कर फिर से आपस में चिपका कर दोनों जांघो के बीच फिट कर दिया गया है. मतलब दीदी की चूत ऐसी दिख रही थी जैसे सेब को चार भागो में काट कर फिर दो भागो को आपस में चिपका कर गांड के निचे लगा दिया गया हो. कमर या चुत्तरों के इधर-उधर होने पर दोनों फांकों में भी हरकत होती थी और ऐसा लगता जैसे कभी लकीर टेढी हो गई है कभी लकीर सीधी हो गई है. जैसे चूत के दोनों होंठ कभी मुस्कुरा रहे है कभी नाराज़ हो रहे है. दोनों होंठ आपस में एक दुसरे से एक दम सटे हुए दिख रहे थे. होंठो के आपस में सटे होने के मतलब बाद में समझ में आया की ऐसा चूत के बहुत ज्यादा टाइट होने के कारण था. दोनों फांक एक दम गुलाबी और पावरोटी के जैसे फूले हुए थे. मेरे मन में आया की काश मैं चूत की लकीर पर ऊपर से निचे तक अपनी ऊँगली चला और हलके से दोनों फांकों को अलग कर के देख पाता की कैसी दिखती है, दोनों गुलाबी होंठो के बीच का अंदरूनी भाग कैसा है मगर ये सपना ही रह गया. दीदी के बाल धुल चुके थे और वो सीधी खड़ी हो गई.
बालो को अच्छी तरह से धोने के बाद फिर से उनका गोला बना कर सर के ऊपर बाँध लिया और फिर अपने कंधो पर पानी डाल कर अपने आप को फिर से गीला कर पुरे बदन पर साबुन लगाने लगी. पहले अपने हाथो पर अच्छी तरह से साबुन लगाया फिर अपने हाथो को ऊपर उठा कर वो दाहिनी तरफ घूम गई और अपने कान्खो को आईने में देख कर उसमे साबुन लगाने लगी. पहले बाएं कांख में साबुन लगाया फिर दाहिने हाथ को उठा कर दाहिनी कांख में जब साबुन लगाने जा रही थी तो मुझे है यर रिमुविंग क्रीम का कमाल देखने को मिला. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दीदी को नंगा देख कर मेरा लोडा खड़ा हो चूका था और मेरे पास मुठ मरने कोई चारा था,मैंने अपना लोडा निकला और मूठ मारने लगा,मेरी आँखे न जाने कब दीदी कि चूत कि कल्पना करते करते बंद हो गयी और दीदी एकदम बहार निकल आयी। दीदी मुझे चिल्लाते हुए बोली सोहन ये क्या कर रहे हो?मैंने कहा दीदी कुछ नही ,बस रोशनी और जीजाजी को होली कि मस्ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ गयी ,फिर आपको नहाते देखा तो मन किया मूठ मरने का ,दीदी चिल्लाई क्या तूने मुझे नहाते देखा,हे भगवन तुझे शर्म नही आयी कि तू क्या कर रहा है । मैंने कहा दीदी अभी में मस्ती के मूड में हु और तुम्हारी चूत देखना चाहता हु। जीजाजी जो रोशनी के साथ कर रहे है वो आपने भी देखा और मैंने भी देखा ,आज होली है आज हम दोनों भाई बहन होली मानते है । दीदी चिल्लाते हुए बोली देखो माँ…तुमने कैसा लाडला पैदा किया है….अपनी बड़ी बहन को बुर दिखने को बोल रहा है….हाय कैसा बहनचोद भाई है मेरा….मेरी चुत देखने के चक्कर में है…उफ्फ्फ….मैं तो फंस गई हूँ…मुझे क्या पता था की मुठ मारने से रोकने की इतनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी….”
“दीदी की ऐसे बोलने पर मेरा सारा जोश ठंडा पर गया. मैं सोच रहा था अब मामला फिट हो गया है और दीदी ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ दिखा देंगी. शायद उनको भी मजा आ रहा है, इसलिए कुछ और भी करने को मिल जायेगा मगर दीदी के ऐसे अफ़सोस करने से लग रहा था जैसे कुछ भी देखने को नहीं मिलने वाला. मगर तभी दीदी बोली “ठीक है मतलब तुझे चुत देखनी है…मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा तो दीदी आँख नचाते हुए बोली “चुत ही तो देखनी है…वो तो मैं पेटिकोट उठा कर दिखा दूंगी…” फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं दीदी को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ दीदी के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. दीदी जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला ” दीदी….दीदी…मैं….चू…चू…चूची भी देखना…चाहता हूँ”. दीदी इस पर चौंकने का नाटक करती बोली “क्या मतलब…चूची भी देखनी है….चुत भी देखनी है….मतलब तू तो मुझे पूरा नंगा देखना चाहता है….हाय….बड़ा बेशर्म है….अपनी बड़ी बहन को नंगा देखना चाहता है….क्यों मैं ठीक समझी ना…तू अपनी दीदी को नंगा देखना चाहता है…बोल, …ठीक है ना….” मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हां दीदी….मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो….मैं….मैं आप को पूरा…नंगा देखना….चाहता…”
“बड़ा अच्छा हिसाब है तेरा….अच्छी लगती हो…..अच्छी लगने का मतलब तुझे नंगी हो कर दिखाऊ…कपड़ो में अच्छी नहीं लगती हूँ क्या….” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“हाय दीदी मेरा वो मतलब नहीं था….वो तो आपने कहा था….फिर मैंने सोचा….सोचा….”
“हाय भाई…तुने जो भी सोचा सही सोचा….मैं अपने भाई को दुखी नहीं देख सकती….मुझे ख़ुशी है की मेरा इक्कीस साल का नौजवान भाई अपनी बड़ी बहन को इतना पसंद करता है की वो नंगा देखना चाहता है..मैं तुझे पूरा नंगा हो कर दिखाउंगी…..फिर तुम मुझे बताना की तुम अपनी दीदी के साथ क्या-क्या करना चाहते हो….”.मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. दीदी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहले पेटिको़ट ऊपर उठाऊ या ब्लाउज खोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हाय दीदी दोनों….खोलो….पेटिको़ट भी और ब्लाउज भी….”
“इस…..स……स….बेशर्म पूरा नंगा करेगा….चल तेरे लिए मैं कुछ भी कर दूंगी….अपने भाई के लिए कुछ भी…पहले ब्लाउज खोल लेती हूँ फिर पेटिको़ट खोलूंगी….चलेगा ना…” गर्दन हिला कर दीदी ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर दीदी को देखा. दीदी ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूक खोलने के लिए बोला मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. दीदी फिर सामने की तरफ घूम गई. दीदी के घूमते ही मेरी आँखों के सामने दीदी की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी दीदी के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो दीदी मुस्कुराती हुई बोली “अरे, रे इतना उतावला मत बन अब तो नंगा कर दिया है आराम से देखना….ले…देख…” कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला “हाय…दीदी पकड़े…”
“हाँ…हाँ….पकड़ ले जकड़…ले अब जब नंगा कर के दिखा रही हूँ तो…छूने क्यों नहीं दूंगी….ले आराम से पकड़ कर मजा कर……अपनी बड़ी बहन की नंगी चुचियों से खेल….” मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ दीदी की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. दीदी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की दीदी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे दीदी गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो दीदी सिसयाते हुए बोली “आह….आ…हा….सी…सी….ये क्या कर रहा है…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मार डाला….साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी….मगर….तू….तो खिलाड़ी निकला रे…..हाय…चूची चूसना जानता है…..मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा….हाय…चूस भाई…सीईई….ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा….हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए…..” अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली ” “हाय ….सीईई…ई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ….चूस ले…..पूरा रस चूस…..मजा आ रहा है….तेरी दीदी को बहुत मजा आ रहा है भाई…..हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है….मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस….तू बहुत अच्छा चूसता है….हाय मजा आ गया भाई….पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा…..बूर नहीं देखेगा अपनी दीदी की चुत नहीं देखनी है तुझे…..हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी….जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है….हाय चल बहुत दूध पी लिया…..अब बाद में पीना” मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली “साले….हरामी….चूची…छोड़….कितना दूध पिएगा….हाय अब तुझे अपनी निचे की सहेली का रस पिलाती हु….चल हट माधरचोद…..” गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो दीदी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला “हाय दीदी बूर का रस पिलाओगी…हाय जल्दी से खोलो ना…” दीदी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली “हा राजा मेरे प्यारे भाई….अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा…ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर…देखना तुझे कैसा मजा आता है….” पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में दीदी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच दीदी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. दीदी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली “हाय…भाई ऐसे नहीं….ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे….दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ…फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं…घबरा मत भाई…मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और….उसकी चटनी भी चटाउगीं…चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही दीदी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. दीदी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली “हाय…भाई…आ जा तुझे मजे करवाती हूँ….अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ….देख भाई मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चुत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना….इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी….ठीक है भाई…आ जा….जल्दी कर….अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी….” मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. दीदी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही दीदी की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी….काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली
ध्यान से देख ले….अच्छी तरह से अपनी दीदी की बूर को देख बेटा….चुत फैला के देखेगा तो तुझे….पानी जैसा नज़र आएगा….उसको चाट का अच्छी तरह से खाना….चुत की असली चटनी वही है….” दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी और बोली “सीईई….बहुत अच्छा भाई…तुम्हे आता है…मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है….हाय….बूर चाटना आता है…. ऐसे ही..तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है….अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए…..मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस…देख मैं बताना भूल गई थी….चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना….उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा….तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा….फिर तू आराम से चाट कर चूसना….सीईईई.मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. दीदी को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली बहुत अच्छा कर रहा है….राजा…..हाय……सीईई….बड़ा मजा आ रहा है….हाय मेरी चुत के कीड़े….मेरे सैयां…..ऊऊऊउ…सीईईइ…..खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है…. बहनचोद….जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना…..बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट….अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा….माधरचोद….ले ले…..ऊऊऊऊ……इस्स्स्स्स्स…घुसा चुत में जीभ….मथ….दे…….दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी “हाय….राजा…जीभ बाहर मत निकालो….हाय बहुत मजा आ रहा है…ऐसे ही…. बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो….हाय चोद….दे माधरचोद….अपनी जीभ से अपनी दीदी की बूर चोद दे….हाय सैयां….बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है….इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी….हाय हाय….अपनी दीदी की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम…. तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी…. भोसड़ीवाले…..तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी….आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना….तुझे चोदने का मौका दूंगी….अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं….मेरे भाई…..मेरे सोना मोना….मन लगा कर दीदी की चुत चाट….मेरा पानी निकलेगा….तेरे मुंह में….हाय जल्दी जल्दी चाट….पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई…..”. दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी “हाय मेरा निकल रहा है….हाय भाई…निकल रहा है मेरा पानी….पूरा जीभ घुसा दे….साले…..बहुत अच्छा….ऊऊऊऊऊ…..सीईईईईईइ….मजा आ गया राजा…मेरे चुत चाटू सैयां….मेरी चुत पानी छोर रही है………..इस्स्स्स्स्स्स्स्स……मजा आ गया….बहनचोद….पी ले अपनी दीदी के बूर का पानी….हाय चूस ले अपनी दीदी की जवानी का रस…..ऊऊऊऊ…….गांडू……” दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. दीदी की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला “हट…माधरचोद….क्या कर रहा है….गांड मारेगा क्या….फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया. मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोलीबहुत मजा आया….अच्छा चूसता है…तू…. “मुझे लग रहा था की तू अनारी होगा मगर तुने तो अपने बहनोई को भी मात कर दिया….उस साले को चूसना नहीं आता था…खैर उसका क्या…उस भोसड़ीवाले को तो चोदना भी नहीं आता था….तुने चाट कर अच्छा मजा दिया… इधर आ,……आ ना…वहां क्यों खड़ा है भाई…..आ यहाँ बिस्तर पर बैठ….” दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली “हूँ….खड़ा हो गया है….इधर आ तो पास में….देखू….” मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली “अब कभी हाथ से मत करना…..समझा अगर मैंने पकड़ लिया तो तेरी खैर नहीं…..मारते मारते गांड फुला दूंगी….समझा..मेरी इस बात पर रीझती हुई दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली “हाय रे मेरा सोना….मेरे प्यारे भाई…. तुझे दीदी सबसे अच्छी लगती है….तुझे मेरी चुत चाहिए….मिलेगी मेरे प्यारे भाई मिलेगी….मेरे राजा….आज रात भर अपने हलब्बी लण्ड से अपनी दीदी की बूर का बाजा बजाना……अपने भैया राजा का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं……हाय राजा…..अपने मुसल से अपनी दीदी की ओखली को रात भर खूब कूटना…..अब मैं तुझे तरसने नहीं दूंगी….तुझे कही बाहर जाने की जरुरत नहीं है…..चल आ जा…..आज की रात तुझे जन्नत की सैर करा दू…..” फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. दीदी भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली “जरा चाट के गीला कर… बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा…सुखा लुंगी तो…..साली फट जायेगी मेरी तो…..” एक बार मुझे दीदी की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो दीदी की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में दीदी को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे दीदी की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए दीदी की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्या दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
बिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर दीदी की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. दीदी दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब दीदी अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख दीदी मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला “दीदी प्लीज़….ओह….सीईई अब नहीं रहा जा रहा है….जल्दी से अन्दर कर दो ना…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ……ओह दीदी….बहुत अच्छा लग रहा है….और तुम्हारी चु…चु….चु….चुत मेरे लण्ड पर बहुत गर्म लग रही है….ओह दीदी…जल्दी करो ना….क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है…..” अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए दीदी बोली “हाय…भाई जब इतना इन्तेजार किया है तो थोड़ा और इन्तेजार कर लो….देखते रहो….मैं कैसे करती हूँ….मैं कैसे तुम्हे जन्नत की सैर कराती हूँ….मजा नहीं आये तो अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ देना…..माधरचोद….अभी देखो मैं तुम्हारा लण्ड कैसे अपनी बूर में लेती हूँ…..लण्ड सारा पानी अपनी चुत से पी लुंगी…घबराओ मत. फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को बूर की दोनों फांको के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक फांक को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमरी उलट गई. मैं आह करके सिस्याया तो दीदी बोली “बस हो गया भाई…हो गया….एक तो तेरा लण्ड इंतना मोटा है…..मेरी चुत एक दम टाइट है….घुसाने में….ये ले बस दो तीन और….उईईईइ माँ…..सीईईईई….बहनचोद का….इतना मोटा…..हाय…य य य…..उफ्फ्फ्फ्फ़….” करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते चुत्तर उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड दीदी की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वो उईईई माँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उनकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उनकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर दीदी अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई “उफ्फ्फ्फ्फ़….बहन के लौड़े….कैसा मुस्टंडा लौड़ा पाल रखा है….ईई….हाय….गांड फट गई मेरी तो…..हाय पहले जानती की….ऐसा बूर फारु लण्ड है तो….सीईईईइ…..भाई आज तुने….अपनी दीदी की फार दी….ओह सीईईई….लण्ड है की लोहे का राँड….उईईइ माँ…..गई मेरी चुत आज के बाद….साला किसी के काम की नहीं रहेगी….है….हाय बहुत दिन संभाल के रखा था….फट गई….रे मेरी तो हाय मरी….” इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
हाय बहुत दिन संभाल के रखा था….फट गई….रे मेरी तो हाय मरी….” इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी और मेरा लण्ड अपनी चुत में लेती भी जा रही थी. तभी अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोली “हाय….माधरचोद….आराम से निचे लेट कर बूर का मजा ले रहा है….भोसड़ी….के….मेरी चुत में गरम लोहे का राँड घुसा कर गांड उचका रहा है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ…भाई अपनी दीदी कुछ आराम दो….हाय मेरी दोनों लटकती हुई चूचियां तुम्हे नहीं दिख रही है क्या…उफ्फ्फ्फ्फ़…उनको अपने हाथो से दबाते हुए मसलो और….मुंह में ले कर चूसो भाई….इस तरह से मेरी चुत पसीजने लगेगी और उसमे और ज्यादा रस बनेगा…फिर तुम्हारा लौड़ा आसानी से अन्दर बाहर होगा….हाय ऐसा करो मेरे राजा….तभी तो दीदी को मजा आएगा और….वो तुम्हे जन्नत की सैर कराएगी….सीईई…” दीदी के ऐसा बोलने पर मैंने दोनों हाथो से दीदी की दोनों लटकती हुई चुचियों को अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश करते हुए दबाने लगा और अपने गर्दन को थोड़ा निचे की तरफ झुकाते हुए एक चूची को मुंह में भरने की कोशिश की. हो तो नहीं पाया मगर फिर भी निप्पल मुंह में आ गया उसी को दांत से पकड़ कर खींचते हुए चूसने लगा. दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी. उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी. मैंने चूची का निप्पल को दीदी के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल का उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उनकी आँखों को चुमते हुए नाक पर जीभ फिरते हुए चाटा दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी. उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी. मैंने चूची का निप्पल को दीदी के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल का उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उनकी आँखों को चुमते हुए नाक और उसके निचे होंठो के ऊपर जो पसीने की छोटी छोटी बुँदे जमा हो गई थी उसके नमकीन पानी को पर जीभ फिराते हुए चाटा और फिर होंठो को अपने होंठो से दबोच कर चूसने लगा. दीदी भी इस काम में मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और अपने जीभ को मेरे मुंह में पेल कर घुमा रही थी. कुछ देर में मुझे लगा की मेरे लण्ड पर दीदी की चुत का कसाव थोड़ा ढीला पर गया है. लगा जैसे एक बार फिर से दीदी की चुत से पानी रिसने लगा है. दीदी भी अपनी गांड उचकाने लगी थी और चुत्तर उछालने लगी थी. ये इस बात का सिग्नल था का दीदी की चुत में अब मेरा लण्ड एडजस्ट कर चूका है. धीरे-धीरे उनके कमर हिलाने की गति में तेजी आने लगी. थप-थप आवाज़ करते हुए उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकराने लगी और मेरा लण्ड सटासट अन्दर बाहर होने लगा. मुझे लग रहा था जैसे चुत दीवारें मेरे लण्ड को जकड़े हुए मेरे लण्ड की चमरी को सुपाड़े से पूरा निचे उतार कर रागड़ती हुई अपने अन्दर ले रही है. मेरा लण्ड शायद उनकी चुत की अंतिम छोर तक पहुच जाता था. दीदी पूरा लण्ड सुपाड़े तक बाहर खींच कर निकाल लेती फिर अन्दर ले लेती थी. दीदी की चुत वाकई में बहुत टाइट लग रही थी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मगर फिर भी गजब का आनंद आ रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल में मेरा लौड़ा एक कॉर्क के जैसे फंसा हुआ अन्दर बाहर हो रहा है. दीदी को अब बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था ये बात उनके मुंह से फूटने वाली सिस्कारियां बता रही थी. वो सीसियते हुए बोल रही थी “आआआ…….सीईईईइ…..भाई बहुत अच्छा लौड़ा है तेरा…..हाय एक दम टाइट जा रहा है…….सीईईइ हाय मेरी….चुत…..ओह हो….ऊउउऊ….बहुत अच्छा से जा रहा है…हाय….गरम लोहे के रोड जैसा है….हाय….कितना तगड़ा लौड़ा है….. हाय मेरे प्यारे…तुमको मजा आ रहा है….हाय अपनी दीदी की टाइट चुत को चोदने में…हाय भाई बता ना….कैसा लग रहा है मेरे राजा….क्या तुम्हे अपनी दीदी की बूर की फांको के बीच लौड़ा दाल कर चोदने में मजा आ रहा है…..हाय मेरे चोदु….अपनी बहन को चोदने में कैसा लग रहा है….बता ना….अपनी बहन को….साले मजा आ रहा…सीईईई….ऊऊऊऊ….” दीदी गांड को हवा में लहराते हुए जोर जोर से मेरे लण्ड पर पटक रही थी. दीदी की चुत में ज्यादा से ज्यादा लौड़ा अन्दर डालने के इरादे से मैं भी निचे से गांड उचका-उचका कर धक्का मार रहा था. कच कच बूर में लण्ड पलते हुए मैं भी सिसयाते हुए बोला “ओह सीईईइ….दीदी….आज तक तरसता….ओह बहुत मजा…..ओह आई……ईईईइ….मजा आ रहा है दीदी….उफ्फ्फ्फ्फ़…बहुत गरम है आपकी चुत….ओह बहुत कसी हुई….है…बाप रे….मेरे लण्ड को छिल….देगी आपकी चुत….उफ्फ्फ्फ्फ़….एक दम गद्देदार है….” चुत है दीदी आपकी…हाय टाइट है….हाय दीदी आपकी चुत में मेरा पूरा लण्ड जा रहा है….सीईईइ…..मैंने कभी सोचा नहीं था की मैं आपकी चुत में अपना लौड़ा पेल पाउँगा….हाय….. उफ्फ्फ्फ्फ़… कितनी गरम है….. मेरी सुन्दर…प्यारी दीदी….ओह बहुत मजा आ रहा है….ओह आप….ऐसे ही चोदती रहो…ओह….सीईईई….हाय सच मुझे आपने जन्नत दिखा दिया….सीईईई… चोद दो अपने भाई को….” मैं सिसिया रहा था और दीदी ऊपर से लगातार धक्के पर धक्का लगाए जा रही थी. अब चुत से फच फच की आवाज़ भी आने लगी थी और मेरा लण्ड सटा-सट बूर के अन्दर जा रहा था. पुरे सुपाड़े तक बाहर निकल कर फिर अन्दर घुस जा रहा था. मैंने गर्दन उठा कर देखा की चुत के पानी में मेरा चमकता हुआ लौड़ा लप से बाहर निकलता और बूर के दीवारों को कुचलता हुआ अन्दर घुस जाता. दीदी की गांड हवा लहराती हुई थिरक रही थी और वो अब अपनी चुत्तरों को नचाती हुई निचे की तरफ लाती थी और लण्ड पर जोर से पटक देती थी फिर पेट अन्दर खींच कर चुत को कसती हुई लण्ड के सुपाड़े तक बाहर निकाल कर फिर से गांड नचाती निचे की तरफ धक्का लगाती थी. बीच बीच में मेरे होंठो और गालो को चूमती और गालो को दांत से काट लेती थी. मैं भी दीदी के दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ की हथेली से मसलते हुए चुदाई का मजा लूट रहा था. दीदी गांड नचाती धक्का मारती बोली “राजू….मजा आ रहा है….हाय….बोल ना….दीदी को चोदने में कैसा लग रहा है भाई….हाय बहनचोद….बहुत मजा दे रहा है तेरा लौड़ा…..मेरी चुत में एकदम टाइट जा रहा है….सीईईइ….माधरचोद….इतनी दूर तक आज तक…..मेरी चुत में लौड़ा नहीं गया….हाय…खूब मजा दे रहा है…. बड़ा बूर फारु लौड़ा है रे…तेरा….हाय मेरे राजा….तू भी निचे से गांड उछाल ना….हाय….अपनी दीदी की मदद कर….सीईईईइ…..मेरे सैयां…..जोर लगा के धक्का मार…हाय बहनचोद….चोद दे अपनी दीदी को….चोद दे….साले…चोद, चोद….के मेरी चुत से पसीना निकाल दे…भोसड़ीवाले…. ओह आई……ईईईइ…” दीदी एकदम पसीने से लथपथ हो रही थी और धक्का मारे जा रही थी. लौड़ा गचा-गच उसकी चुत के अन्दर बाहर हो रहा था और अनाप शनाप बकते हुए दाँत पिसते हुए पूरा गांड तक का जोर लगा कर धक्का लगाये जा रही थी. कमरे में फच-फच…गच-गच…थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी. दीदी के पसीने की मादक गंध का अहसास भी मुझे हो रहा था. तभी हांफते हुए दीदी मेरे बदन पर पसर गई. “हाय…थका दिया तुने तो…..मेरी तो एक बार निकल भी
गई….साले तेरा एक बार भी नहीं निकला….हाय….अब साले मुझे निचे लिटा कर चोद…जैसे मैंने चोदा था वैसे ही….पूरा लौड़ा डाल कर….मेरी चुत ले….ओह….” कहते हुए मेरे ऊपर से निचे उतर गई. मेरा लण्ड सटाक से पुच्च की आवाज़ करते हुए बाहर निकल गया. दीदी अपनी दोनों टांगो को उठा कर बिस्तर पर लेट गई और जांघो को फैला दिया. चुदाई के कारण उनकी चुत गुलाबी से लाल हो गई थी. दीदी ने अपनी जांघो के बीच आने का इशारा किया. मेरा लपलपाता हुआ खड़ा लण्ड दीदी की चुत के पानी में गीला हो कर चमचमा रहा था. मैं दोनों जांघो के बीच पंहुचा तो मुझे रोकते हुए दीदी ने पास में परे अपने पेटिकोट के कपड़े से मेरा लण्ड पोछ दिया और उसी से अपनी चुत भी पोछ ली फिर मुझे डालने का इशारा किया. ये बात मुझे बाद में समझ में आई की उन्होंने ऐसा क्यों किया. उस समय तो मैं जल्दी से जल्दी उनकी चुत के अन्दर घुस जाना चाहता था. दोनों जांघो के बीच बैठ कर मैंने अपना लौड़ा चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर कमर का जोर लगाया. सट से मेरा सुपाड़ा अन्दर घुसा. बूर एक दम गरम थी. तमतमाए लौड़े को एक और जोर दार झटका दे कर पूरा पूरा चुत में उतारता चला गया. लण्ड सुखा था चुत भी सूखी थी. सुपाड़े की चमरी फिर से उलट गई और मुंह से आह निकल गई मगर मजा आ गया. चुत जो अभी दो मिनट पहले थोरी ढीली लग रही थी फिर से किसी बोतल के जैसे टाइट लगने लगी. एक ही झटके से लण्ड पेलने पर दीदी कोकियाने लगी थी. मगर मैंने इस बात कोई ध्यान नहीं दिया और तरातर लौड़े को ऊपर खींचते हुए सटासट चार-पॉँच धक्के लगा दिए. दीदी चिल्लाते हुए बोली “माधरचोद…साले दिखाई नहीं देता की चुत को पोछ के सुखा दिया था…भोसड़ी के सुखा लौड़ा डाल कर दुखा दिया…..तेरी बहन को चोदु….हरामी…. साले…अभी भी….चोदना नहीं आया…ऊपर चढ़ के सिखाया था….फिर साले तुने….” मैं रुक कर दीदी का मुंह देखने लगा तो फिर बोली “अब मुंह क्या देख रहा है….मार ना….धक्का….जोर लगा के मार…हाय मेरे राजा…मजा आ गया…इसलिए तो पोछ दिया था….हाय देख क्या टाइट जा रहा है…इस्स्स्स्स….” मैं समझ गया अब फुल स्पीड में चालू हो जाना चाहिए. फिर क्या था मैंने गांड उछाल उछाल कर कमर नचा कर जब धक्का मरना शुरू किया तो दीदी की चीखे निकालनी शुरू हो गई. चुत फच फच कर पानी फेंकने लगी. गांड हवा में लहरा कर लण्ड लीलने लगी “ हाय पेल दे…..भाई ऐसे ही बेदर्दी से….. चोद अपनी दीदी की चुत को….ओह माँ….कैसा बेदर्दी भाई है….हाय कैसे चोद रहा है….अपनी बड़ी बहन को….हाय माँ देखो….मैंने मुठ मारने से मना किया तो साले ने मुझे चोद डाला……चोदा इसके लिए कोई बात नहीं….मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…….मर गई….हाय बड़ा मजा आ रहा है…..सीईईईई…..मेरे चोदु सैयां…मेरे बालम….हाय मेरे चोदु भाई…..बहन के लौड़े…चोद दे अपनी चुदक्कड़ बहन को…सीईईईई….” मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था. मेरा जोश भी अपनीमें चिपका झरने लगा. उसी समय वो भी झरने लगी.
तो दोस्तों थी मेरी अपनी दीदी के साथ चुदाई मैंने अपने जीजाजी और अपनी पत्नी रोशनी कि चुदाई का बदला अपनी दीदी को चोद के ले लिया था
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मेरी बीवी की चुदाई का बदला-2
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