” ऊओिईईईईई……आआहह,…..ईीइससस्स क्या कर रही है कमला? आयेज बता ना क्या हुआ?
साली नाराज़ हो गयी?”
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Antarvasna अरे नहीं. एक बार जिस औरत को मारद के लूंबे मोटे लॉड का स्वाद मिल जाता है वो फि उसके बिना नहीं रह सकती. साली भी कुकच्छ दिन के बाद वापस आ गयी. इस बार तोसिर्फ़ छुड़वाने ही आई थी. उसके बाद तो आपके ससुर जी ने साली जी को रोज़
इसी पंप हाउस में
खूब जूम के चोडा. मैं रोज़ आपके ससुर जी के लॉड की मालिश करके उसे चुदाई
के लिए टायर
करती थी. चुदाई के बाद साली जी की सूजी हुई चूत की भी मालिश करके उसे अगले दिन की
चुदाई के लिए टायर करती थी. साली की शादी होने तक बाबू जी ने उसे खूब
चोडा. शादी के बाद भी
साली जी छुड़वाने के लिए आई थी. शायद उनका पति उन्हें तृप्त नहीं कर पता
था. लेकिन जब से
वो दुबई चली गयी बाबू जी को कोई अक्च्ची लड़की नहीं मिली.”
” लेकिन सासू मया के साथ ससुर जी ने ऐसा धोका क्यों किया?”
” बहू रानी जब औरत अपने पति की प्यास नहीं बुझा पाती है तो उसे मजबूर हो
कर दूसरी औरतों की
ओर देखना परता है. आपकी सासू मया धार्मिक स्वाभाव की है. उसे चुदाई में
कोई दिलचस्पी नहीं है।
बेचारे बाबू जी क्या करते?”
” धार्मिक स्वाभाव का ये मतलूब थोरे ही होता है की अपने पति की ज़रूरत का
ध्यान ना रखा जाए.”
” वोही तो मैं भी कह रही हूँ बहू रानी. मारद लोग तो उसी औरत के
गुलाम हो जाते हैं जो बिस्तेर में बिल्कुल रंडी बुन जाए.” कमला अब
कंचन की चूत और उसके चारों ओर के घने बालों की मालिश कर
रही थी. कंचन की चूत बुरी तरह गीली हो गयी थी. थोरी देर इस
तरह मालिश करने के बाद बोली,
” चलो बहू रानी अब सीधी हो के पीठ पे लाइट जाओ.” कंचन सीधी हो कर पीठ पे लाइट गयी।
उसके बदन पे एक भी काप्रा नहीं था. बिल्कुल नंगी थी, लेकिन अब वो इतनी
उत्तेजित हो चुकी
थी की उसे किसी बात की परवाह नहीं थी. जैसे ही कंचन पीठ पे लैयती कमला तो उसके बदन
को देखती ही रह गयी. क्या गड्राया हुआ बदन था. बरी बरी चूचियाँ छ्चाटी
के दोनो ओर झूल
रही थी. कंचन की झाँटेन देख कर तो कमला चोंक गयी. नाभि से तोरा नीचे से ही घने काले
काले बॉल शुरू हो जाते थे. कमला ने आज तक कभी इतनी घनी और लुंबी झाँटेन
नहीं देखी थी।+
छूट तो पूरी तरह से ढाकी हुई थी.
” है राम ! बहू रानी ये क्या जंगल उगा रखा है? आप क्यों अपनी चूत ढकने की
कोशिश कर रही थी?
इन घने बालों में से तो कुकच्छ भी नज़र नहीं आता है.” ये कहते हुए कमला
ने ढेर सारा तैल कंचन
की झांतों पे डाल दिया और दोनो हाथों से झांतों की मालिश करने लगी.
” एयाया…..आआअहह… ऊऊीीईई… ईीइसस्स्स्सस्स. ”
” बहू रानी आप अपनी झांतों में कभी तैल नहीं लगाती?”
” हूट पागल, वहाँ भी कोई तैल लगाता है…आआईयइ ?”–
” है राम ! कमला तू मेरे साथ क्या क्या कर रही है?” कमला ने पास
परी कैंची उठा ली और कंचन की टाँगें चौरी करके उसकी चूत
के बॉल काटने लगी. अब कंचन की चूत की दोनो फाँकें, चूत का
कटाव और उसके बीच का गुलाबी च्छेद सॉफ नज़र आने लगा. कमला
उसकी फूली हुई चूत देख कर डंग रह गयी. उसने और ढेर सारा तैल
कंचन की चूत पे डाल दिया और उसकी मालिश करने लगी.
” ऊओिईई….आआअहह… .ईईीीइसस्सस्स… ..कमलाआअ… क्यों तंग कर रही है ?”
” सच बहू रानी आपकी चूत पे तो मेरा ही दिल आ गया है. सोचिए
आपके पति का क्या हाल होगा? एक बात पूच्छुन ? बुरा तो नहीं
मानोगी?”
” पूच्छ कमला तेरी बात का का बुरा मैं कभी नहीं मान सकती.
इसस्स…आआअहह”
” आपके पति तो आपको रोज़ कम से कम तीन चार बार चोद्ते होंगे ?”
” क्यों तू ये कैसे कह सकती है?”
“आप का बदन है ही इतना गड्राया हुआ की कोई भी मरद रोज़ चोदे बिना
नहीं रह सकता.”
‘ मैं तुझे क्यों बताओन ? पहले तू बता की तूने ससुर जी के लंड
की मालिश कैसे शुरू कर दी. और अगर लंड की मालिश करती है तो
तुझे उन्होने चोद भी ज़रूर होगा”
” अरे बहू रानी बाबू जी की मालिश तो एक इत्तेफ़ाक़ है. मैने आपको
बताया था ना की मैं बाबूजी के लिए लड़कियाँ पटा के लाती थी. अक़्स्र
बाबू जी एक दिन में तीन टीन लड़कीों को चोद्ते थे. ज़रा सोचो, हर
लड़की को सिर्फ़ दो बार भी चोदेन तुब भी उन्हें च्छेः बार चुदाई
करनी परटी थी. इतनी चुदाई के बाद आदमी तक तो जाता ही है. बाबू
जी जानते थे की मैं बहुत अक्च्ची मालिश करती हूँ इसलिए मुझे
मालिश के लिए बोल देते थे. एक दिन बाबू जी बोले ‘ कमला बुरा ना
मानो तो वहाँ भी मालिश कर दो. उस लड़की की बहुत टाइट थी, लंड
में दर्द हो रहा है.’. मेरे तो मन की मुराद पूरी हो गयी. मैं
चूड़ने के बाद काई औरतों की हालत देख चुकी थी और उनसे बाबू जी
के लंड के बारे में सुन चुकी थी. जुब मैने मालिश करने के लिए
उनकी धोती खोली तो बेहोश होते होते बची. सिक्युडा हुआ लंड भी इतना
मोटा और भयंकर लग रहा था. जुब मैने मालिश शुरू की तो लंड
धीरे धीरे खड़ा होने लगा. पूरा टन जाने के बाद तो मुझे दोनो
हाथों से मालिश करनी पर रही थी. बाप रे ! मोटा काला, कितना
विशाल लंड था. मेरी मालिश से बाबू जी बहुत खुश हुए और उसके
बाद से किसी को भी छोड़ने से पहले मैं उनके लंड की मालिश करके
उसे चुदाई के लिए तयर करने लगी. काश भगवान ने मुझे अक्च्छा
बदन दिया होता और मैं भी बाबू जी को रिझा पाती. दिल तो बहुत
करता था की वो गधे जैसा लंड मेरी चूत में भी जाए पर औरत
जात हूँ ना, बाबू जी ने कभी मुझे चोद्ने की इक्च्छा नहीं जताई और
मैं उनसे कैसे कहती की मुझे चोदो.”
” बात तो तेरी ठीक है. एक रंडी भी ये नहीं कहती की मुझे चोदो.
लेकिन ये बता तूने ससुर जी को चोदते हुए तो ज़रूर देखा होगा.?”
” हां बहू रानी देखा तो है. इसी कमरे के बगल में जो कमरा है
वहाँ से इस कमरे में झाँक सकते हैं. जिस चारपाई पे आप लेटी
हो उसी चारपाई पे बाबू जी ने अपनी साली को ना जाने कितनी बार
चोद है.”” सच कमला ! कुकच्छ बता ना कैसा लुगता था ?” अब तो कंचन की
चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.ससुर जी के गधे जैसे मोटे
काले लंड की कल्पना से ही कंचन के बदन में आग लग गयी थी.
कमला इस बात को अक्च्ची तरह जानती थी. आख़िर वो भी मंजी हुई
खिलाड़ी थी. कंचन की चूत को मसालते हुए बोली,
” है बहू रानी क्या बताओन. बेचारी 17 साल की कमसिन लड़की थी जब
बाबूजी के मूसल ने उसकी कुँवारी चूत को रोंदा था. बिल्कुल नाज़ुक सी
चूत थी उसकी जैसे किसी बच्ची की हो. लेकिन चार साल चूड़ने के
बाद क्या फूल गयी थी और चौरी हो गयी थी. अब तो जुब भी
चुद्वाने के लिए टाँगें चौरी करती थी, उसकी चूत का खुला हुआ
च्छेद नज़र आने लगता था मानो चूत मुँह फाडे लंड को खाने का
इंतज़ार कर रही हो. बहुत ही मज़े ले कर चुड़वाती थी. पहली बार तो
मुझे विश्वास ही नहीं हुआ की बाबू जी का इतना लूंबा लंड उसकी चूत
में जेया भी पाएगा. सच बहू रानी साली की चूत में पूरा लंड
जाते मैने इन आखों से देखा है. जुब पूरा लंड घुस जाता था तो
बाबू जी के सांड के माफिक बारे बारे टटटे साली के छूटरों से चिपक
जाते थे.
” टटटे क्या होते हैं?”
” अरे मरद के लंड के नीचे जो लटकते हैं ? वहीं तो वीरया बनता है.”
” ओ ! समझी.”
” क्या फ़च.. फ़च ..फ़च. की आवाज़ें आती थी. हेर धक्के के साथ
बाबूजी के झूलते हुए टटटे मानो साली के छूटरों पर मार लगाते
थे. जुब बाबूजी झाडे तो ढेर सारा वीरया साली की चूत में से बह
कर बाहर चारपाई पे गिरने लगा. ऊफ़ क्या जानलेवा नज़ारा था.”
” है ! कमला कितनी बार तूने साली की चुदाई देखी?”
” सिर्फ़ दो बार. उसके बाद बाबूजी को पता चल गया. फिर उन्होने साली
को पमफ्स में चॉड्ना शुरू कर दिया.” आज की मालिश ने और कमला
की बातों ने कंचन के बदन में एक अजीब सी आग लगा डी थी.
कंचन की चुदाई हुए अब एक महीने से भी ज़्यादा हो चक्का था.
कॉंड…
कुच्छ दिनों बाद कंचन के पति का फोन आया. ससुर जी ने कंचन को
बताया की राकेश का फोन है. कंचन ने अपने कमरे में जा कर
फोन का रिसीवर उठा लिया. उधर रामलाल ने भी अपने कमरे का
रिसीवर नीचे नहीं रखा और बहू और बेटे की बातें सुनने लगा.
राकेश बोल रहा था,
” कंचन मेरी जान ससुराल जा कर तो तुम हुमें भूल ही गयी हो. अब
तो एक महीना बीत गया है और कितना तर्पओगि? बहुत याद आ रही
है तुम्हारी.”
” अक्च्छा जी ! बरी याद आ रही है आपको मेरी. अचानक इतनी याद
क्यों आ रही है?”
” खूबसूरत बीवी से एक महीना अलग रहना तो बहुत मुश्किल होता है
मेरी जान. सच, सारा दिन खड़ा रहता है तुम्हारी याद में.”
” आपका वो तो पागल है. उसे कहिए एक महीना और इंतज़ार करे.”
” ऐसे ना कहो मेरी जान एक महीना और इंतज़ार करना तो बहुत मुश्किल
है.”
” तो फिर अभी कैसे काम चल रहा है?”
” अभी तो मैं तुम्हारी पॅंटी से ही काम चला रहा हूँ.”
” हाअ… ! आपने फिर मेरी पॅंटी ले ली. जिस दिन वहाँ से चली थी उस
दिन सुबह नहाने से पहले पॅंटी उतारी थी. सोचा था गाओं में जा के
धो लूँगी. गंदी ही सूटकेस में रख ली थी. यहाँ आ के देखा तो
पॅंटी गायब थी.”
” बरी मादक खुश्बू है तुम्हारी पॅंटी की. याद है रात को
उतावलेपन में जुब पहली बार तुम्हें चोडा था तो पॅंटी उतारने की
भी फ़ुर्सत नहीं थी, बस चूत के ऊपर से पॅंटी को साइड में करके
ही पेल दिया था तुमाहारी फूली हुई चूत में.”
” अक्च्ची तरह याद है मेरे राजा. अब आप इस पॅंटी को भी फार दोगे?
अब तक दो पॅंटी तो पहले ही फार चुके हो.”
” कंचन मेरी जान इस बार आओगी तो पॅंटी नहीं तुम्हारी चूत ही
चोद चोद के फार दूँगा.”
” सच ! मैं भी तो यही चाहती हूँ.”
” क्या चाहती हो मेरी जान ?”
” की आप मेरी ………. हटिए भी ! आप बहुत चालाक हैं.”
” बोलो ना मेरी जान फोन पे भी शर्मा रही हो.”
” आप तो बस मेरे मुँह से गंदी गंदी बातें सुनना चाहते हैं.”
” है ! जुब चुद्वाने में कोई शरम नहीं तो बोलने में कैसी
शरम? तुम्हारे मुँह से सुन के शायद मेरे लंड को कुकच्छ शांति
मिले. बोलो ना मेरी जान तुम भी क्या चाहती हो?”
” ऊफ़…! आप भी बस. मैं भी तो चाहती हूँ की आप मुझे इतना चोदे
की मेरी….. मेरी चूत फॅट जाए. मैं…. मेरी चूत अब आपके उसके लिए
बहुत तरप रही है.”
” किसके लिए मेरी जान.”
” आपके ल्ल..लंड के लिए, और किसके लिए.” कंचन मुस्कुराते हुए बोली.
” सच कंचन अब और नहीं सहा जाता. मालूम है इस वक़्त भी
तुम्हारी पॅंटी मेरे खड़े हुए लंड पे लटक रही है.”
” है राम, मेरी पॅंटी की किस्मत भी मेरी चूत की किस्मत से अक्च्ची
है. अगर आपने मुझे पहले ही बुला लिया होता तो इस वक़्त आपके लंड पे
पॅंटी नहीं मेरी चूत होती.”
” कोई बात नहीं, इस बार जुब आओगी तो इतना चोदुन्गा की तुंग आ
जाओगी. बोलो मेरी जान जी भर के दोगि ना?”
” हां मेरे राजा आप लेंगे तो क्यों नहीं दूँगी. मैने तो सिर्फ़
टाँगें चौरी करनी हैं, बाकी सारा काम तो आप ही ने करना है.”
” ऐसा ना कहो मेरी जान. चूत देने की कला तो कोई तुमसे सीखे.
” अक्च्छा जी ! तो अपनी बीवी को चोदना इतना अक्च्छा लगता है? वैसे
यहाँ एक औरत कमला है जो मालिश बहुत अक्च्ची करती है. मेरे
पुर बदन की मालिश करती है. यहाँ तक की मेरी चूत की भी
मालिश कर दी. कहती है ‘ बहू रानी आपकी चूत की मालिश करके
मैं इसे ऐसा बना दूँगी की आपके पति हमेशा आपकी चूत से ही
चिपके रहेंगे.’ तो मैने उससे कहा की मैं भी तो यही चाहती हूँ.
वरना हमारे पति देव को तो हमारी चूत की याद महीने में एक दो
बार ही आती है. ठीक कहा ना जी? उसने चूत के बालों पे भी
कुकच्छ किया है.”
” क्या किया है मेरी जान बताओ ना.”
” मैं क्यों बताओन? खुद ही देख लीजिएगा. लेकिन चूत पे से पॅंटी
साइड में करके पेलने से नहीं पता चलेगा. ये देखने के लिए तो
पूरी नंगी करके ही चोदना परेगा.”
” एक बार आ तो जाओ मेरी जान, अब कप्रों की ज़रूरत नहीं परेगी.
हमेशा नंगी ही रखूँगा.”
” ही ! ऐसी बातें ना करिए. मेरी चूत बिल्कुल गीली हो गयी है.
आपके पास तो मेरी पॅंटी है, मेरे पास तो कुकच्छ भी नहीं है.”
” वहाँ गाओं में किसी को ढूंड लो.” राजेश मज़ाक करता हुआ बोला.
” छ्ची कैसी बातें करते हैं? वैसे आपके गाओं में आदमी कम गधे
ज़्यादा नज़र आते हैं. एक दिन तो हद ही हो गयी. मैं खेत में जा
रही थी. मेरे आगे आगे एक गढ़ा और गधि चल रहे थे. गधे का
लंड खरा हुआ था. बाप रे ! तीन फुट से भी लंबा होगा. बिल्कुल
ज़मीन पे लगने को हो रहा था. अचानक वो आगे चल रही गधि पे
चढ़ गया और पूरा तीन फुट का लंड उसकी चूत में पेल दिया. सच
मेरी तो चीख ही निकल गयी. ज़िंदगी में पहली बार इतना लंबा लंड
किसी के अंडर जाता देखा.”
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ससुर और बहु में चुदाई 4
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