दोस्तों आज आप लोगो को जो कहानी बताने जा रहा हु मेरे दोस्त के साथ घटी घटना है मेरे दोस्त का नाम दुष्यंत है तो उसकी कहानी कुछ अजीब सी है जो यहाँ मेरे साथ गोवा में रहता है | शीतल की उम्र 38 साल की है. उसके पति ने उसे 12 साल पहले तलाक दे दिया था. तब उसके पास 8 साल का मेरा बेटा दुष्यंत था. शीतल का एक मात्र सहारा बेटा ही है. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब शीतल का बेटा दुष्यंत 20 साल का हो गया है. वो काफी जवान और खुबसूरत है. शीतल भी अभी तक काफी खुबसूरत और जवान दिखती थी. दुष्यंत को एक दूकान में नौकरी लग गयी थी. घर का खर्च वही चलाता था. शीतल अपने बेटे के अधीन रहती थी. एक दिन दुष्यंत को गोवा के एक होटल में नौकरी का अच्छा ऑफर आया. वो ठुकरा नहीं सका. उसने गोवा के होटल में वो नौकरी शीघ्र ही ज्वाइन कर ली. उसे रहने के लिए समुन्द्र के किनारे सुनसान जगह पर एक कमरे का मकान भी मिल गया. गोवा के तटों पर हजारों सैलानी अर्ध नंगे हो कर घुमा करते थे. दुष्यंत जिस होटल में काम करता था वहाँ के कमरे में अधिकाँश विदेशी रुकते थे. वदेशी महिला एकदम कम कपडे पहना करती थी. ये सब देख कर दुष्यंत का मन सेक्स के लिए उतावला रहने लगा था. वो किसी भी सूरत में सेक्स करना चाहता था लेकिन पकडे जाने के डर से वो सेक्स नहीं कर पा रहा था. अचानक उसे अपनी माँ का ख्याल आया और सोचा कि इस अनजान जगह में अपनी माँ को बुला कर अगर किसी तरह सेक्स किया जाय तो किसे पता चलेगा? वो गाँव वापस गया. वहाँ उसकी माँ को कहा कि माँ अब वहाँ भी अकेले मन नहीं लगता है. मैं तुझे लेने आया हूँ. शीतल बड़ी ख़ुशी ख़ुशी उसके साथ गोवा चलने के लिए तैयार हो गयी. गाँव से दोनों चले और पहले शहर आये क्यों कि ट्रेन वहीँ से खुलती थी. ट्रेन अगले दिन रात में थी. दुष्यंत ने जान बुझ कर अपनी माँ को एक दिन पहले ही शहर ले आया ताकि उसे रात में शिकार किया जाय. और गोवा में कोई ये नहीं जान सके कि ये औरत इसकी माँ है. दरअसल वो शीतल को गोवा अपनी पत्नी के रूप में ले जाना चाहता था. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शहर पहुँचने पर उसने झूठ का कहा कि आज की ट्रेन लेट है जो अब कल खुलेगी. आज उसे यहीं होटल में रुकना होगा. माँ नेदुष्यंत की बातों पर भरोसा कर लिया. दोनों एक होटल में पहुंचे. दुष्यंत के भाग्य से एक भी डबलबेड रूम खाली नहीं था. एक मात्र सिंगल बेड खाली था. दुष्यंत ने उसे ही बुक कर लिया क्यों कि दुसरे जगह तो वो भी नहीं मिल रहा था. दोनों रूम पहुंचे. दुष्यंत ने सिंगल बेड पर अपनी माँ को बिठाया और कहा- माँ , और कोई रूम तो मिला नहीं..किसी तरह इसी में एडजस्ट कर लो आज की रात भर. माँ ने कहा – कोई बात नहीं है…कोई दिक्कत नहीं होगी. दुष्यंत ने अपने सारे कपडे खोल दिए और सिर्फ एक अंडरवियर पहन कर बिस्तर पर लेट गया. और शीतल ने भी अपने कपडे बदले और वो भी दुष्यंत के बगल में ही लेट गयी. बिस्तर काफी छोटा था. दोनों ही एक दुसरे से सट कर सोये थे. दुष्यंत ने कम्बल लिया और उस से खुद को और अपनी माँ को ढँक लिया. उस बिस्तर पर एक ही तकिया था इसलिए दोनों ने एक ही तकिये पर सर रख कर एक दुसरे के आमने सामने लेते हुए थे. इस से दोनों का चेहरा लगभग सट रहा था. दुष्यंत और शीतल की साँसे एक दुसरे से टकरा रही थी. दुष्यंत ने कम्बल को खुद और अपनी माँ को पूरी तरह से सर के ऊपर से ढंकते हुए अपनी माँ से चिपट गया. ताकि माँ का शरीर कम्बल से बाहर ना निकले. उसने अपनी माँ को अपने से सटाते हुए कहा – माँ, ठीक से कम्बल ओढ़ लो नहीं तो ठण्ड लग जायेगी. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शीतल ने भी अपने शरीर को अपने बेटे से सटा दिया और कम्बल में पूरी तरह घुस गयी. इसी क्रम में उसकी चूची उसके बेटे के सीने में चिपक रही थी. दुष्यंत ने अपनी माँ की चूची को अपने सीने से दबा दबा कर मजे ले रहा था. उसकी माँ की साँसे गरम हो रही थी. दुष्यंत ने अपने हाथों को अपनी माँ के पीछे ले जा कर माँ को लपेट लिए और मजबूती से अपनी तरफ खींचने लगा. दुष्यंत ने शीतल से कहा – माँ, मैं एक बात तो तुझे बताना ही भूल गया. शीतल – कौन सी बात. दुष्यंत – मैंने इस होटल वाले को तुम्हे अपनी पत्नी बताया तब जा कर सिंगल रूम मिल सका. शीतल – लेकिन तूने ऐसा क्यों किया? दुष्यंत – ऐसा नहीं करता तो आज कहीं भी कमरा मिलना मुश्किल हो जाता.. क्यों कि आज कोई परीक्षा है और चारों तरफ स्टूडेंट की भीड़ है. वो तो हमारा भाग्य अच्छा था जो हमें ये कमरा मिल गया. शीतल – लेकिन मैं इतनी जवान थोड़े ही ना हूँ जो तेरी बीबी दिखूंगी? दुष्यंत – अरे , तू अभी भी एक दम जवान दिखती है. शीतल – चल हट पगले.. दुष्यंत ने अपने हाथों को अपनी माँ के पीठ पर और अधिक दबाते हुए अपनी माँ को अपने से सटाया और अपनी माँ की चूची पर दवाब बढाते हुए कहा – तू अपनी खूबसूरती के बारे में नहीं जानती. दुष्यंत ने कहा – माँ, तू अपने ब्लाउज खोल दे ना..तेरे ब्लाउज का बटन मेरे सीने में चुभ रहा है. शीतल – बेटा , मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना है. दुष्यंत ने अपनी माँ का ब्लाउज का सामने का बटन खुद ही खोलते हुए कहा – माँ, गोवा में लगभग हर लड़की बिना कपडे के ही समन्दर में नहाती रहती है. मैंने कई लड़कियों को बिना कपडे के देखा है. मुझ पर कोई असर नहीं होने वाला.. तू आराम से अपने ब्लाउज को खोल ले. तुझे भी आराम मिलेगा. वैसे भी मुझसे क्या शर्माना..? आज तो मैं तेरा हसबैंड हूँ.. कहते हुए उसने अपनी माँ का ब्लाउज खोल दिया और माँ की चूची पर से हटा दिया. शीतल ने अपने आप को थोडा अलग किया और अपना ब्लाउज को पूरी तरह खोल दिया. अब वो ऊपर से पूरी नंगी थी. दुष्यंत ने उसे फिर से अपने आप से सटा लिया. शीतल ने अपने हाथों को अपने स्तन और दुष्यंत के सीने के बीच लगा रखा था..लेकिन दुष्यंत ने अपनी माँ के हाथ को जबरदस्ती हटाया और शीतल के चूची को दबाने लगा. वो कहा – तेरी चूची एकदम विदेशी लड़की की तरह सख्त है. इसलिए किसी को पता ही नहीं चलता कि तू मेरी बीबी नहीं है. अब दुष्यंत का एक हाथ शीतल के जाघों पर था . उसने अपनी माँ के साडी को शीतल के कमर तक उठा दिया और उसके नंगे चुतद पर हाथ फिराने लगा. इसी क्रम में उसका लंड पूरी तरह खडा हो गया. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | धीरे धीरे उसने शीतल के चूत पर हाथ घसने लगा. घसते घसते उसने शीतल के चूत के छेद में अपनी ऊँगली डाल दिया. शीतल – बेटा , तू ये क्या कर रहा है? मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है. दुष्यंत – देख मेरी रानी, इस होटल में हमें कोई नहीं जानता कि हम दोनों एक दुसरे के क्या लगते हैं? अगर हम दोनों थोडा मजे कर ही लें तो किसी को क्या दिक्कत होगी? और तू कोई कुंवारी लड़की तो है नहीं की, तेरा कुंवारापन ख़त्म हो जाएगा? और तुझे बापू ने भी छोड़ दिया है..तुझे भी तो मन करता होगा ये सब करने का? शीतल – मन तो करता है लेकिन तू मेरा बेटा हैं ना. दुष्यंत – जब एक बिस्तर पर एक जवान नर और एक जवान मादा एक कम्बल में लगभग नंगे हो तो उनमे कोई रिश्ता नहीं रहता.. शीतल तो पूरी तरह से दुष्यंत पर आश्रित थी ही. उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं रहता था. दुष्यंत – मैंने तो ये फैसला किया है कि तुझे गोवा में भी अपनी बीबी बना कर रखूँगा. वहाँ किसे पता चलेगा? शीतल – क्या सच में? दुष्यंत – हाँ शीतल … अब देख ना , अगर तू मेरी पत्नी बन कर गोवा में रहेगी तो मैं तुझे माँ कह कर तो नहीं बुला सकूँगा. तुझे शीतल कह के बुलाऊंगा. तुझे बुरा तो नहीं लगेगा ना? शीतल – नहीं तू मुझे किसी भी नाम से बुलाएगा मुझे बुरा नहीं लगेगा. दुष्यंत – तो ठीक है तू अभी से ही मेरी पत्नी हुई. अब से ही मैं तुझे शीतल कह के बुलाता हूँ ताकि गोवा पहुँचते पहुँचते मुझे तुम्हे शीतल कहने की आदत हो जाय. शीतल – ठीक है. बेटा दुष्यंत – देख शीतू ..तू भी मुझे बेटा मत कहो. सिर्फ दुष्यंत कहो. वो भी अभी से ही. शीतल – ठीक है दुष्यंत. दुष्यंत ने ख़ुशी से शीतल के चूत में ऊँगली अन्दर बाहर करते हुए कहा – ये हुई ना बात शीतू..अब से तू मेरी बीबी..और मैं तेरा पतिदेव बन के रहेंगे…तुझमे अभी बहुत जवानी बांकी है.तेरी जवानी और खूबसूरती को बेकारनहीं जाने दूंगा. शीतू, तू मेरी बीबी तो बन गयी लेकिन बीबी वाला काम नहीं कर रही है तू. शीतल – दुष्यंत अब तो तू मुझे बीबी मान चूका है तो जो करना है कर ले. दुष्यंत उसके चूत को पनियाते हुए कहा- शीतू, तेरी चूत तो बड़ी मस्त है रे. दुष्यंत ने अपना अंडरवियर भी खोल दिया और नंगा हो गया. दुष्यंत का लंड अपनी माँ के खुबसूरत बदन को देख कर दोहरा हुए जा रहा था. वो शीतल के बदन पर चढ़ गया और उसके होठ को चूसने लगा. शीतल ने कोई प्रतिरोध नहीं किया. दुष्यंत एक हाथ से अपनी माँ की चूची को दबा रहा था. फिर वो शीतल की पूरी साड़ी और पेटीकोट को खोल दिया. अब शीतल पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. उसके चूत को उसका बेटा सहला रहा था. शीतल को ये सब पूरी तरह से अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो मजबूर थी. वो मजबूर हो कर अपना शरीर अपने बेटे के हवाले कर चुकी थी..अब दुष्यंत को जो मर्जी हो उसके साथ कर सकता था. दुष्यंत ने अपनी माँ के पैरो को फैलाया और चूत को सहलाते हुए कहा – शीतू , तू कब से नहीं चुदवाई है? शीतल – जब से तेरा बापू मुझे छोड़ कर गया है तब से.. दुष्यंत – यानि पिछले बारह साल से तूने किसी से नहीं चुदवाया है? शीतल – नहीं जी, तब से मैं भी प्यासी हूँ. दुष्यंत – आज तेरी बरसों की प्यास बुझा देता हूँ. शीतल की चूत ना चाहते हुए भी गीली हो चुकी थी. दुष्यंत ने अपने लंड को शीतल के चूत में डाल दिया. शीतल की आँख में लाज के मारे आंसू निकल गए.. लेकिन दुष्यंत को उसके आंसू नहीं बल्कि उसकी चूत दिख रही थी. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दुष्यंत ने अपनी माँ को जी भर कर रात भर जबरदस्ती चोदा. बेचारी शीतल एक बार उफ्फ तक नहीं की. सुबह होते होते शीतल भी अपने आप को दुष्यंत के प्रति पूरी तरह मन से पति मान चुकी थी. जब वो दोनों गोवा की ट्रेन में बैठे तो किसी को भी अंदाजा नहीं था कि ये दोनों पति पत्नी नहीं थे. गोवा में भी दोनों पति पत्नी बन कर ही रहने लगे. 2 महीने में शीतल तो भूल ही चुकी थी कि दुष्यंत उसका सगा बेटा है. वो दुष्यंत को ही अपना पति मान ली. उसके लम्बे आयु के लिए शीतल ने करवा चौथ का व्रत करना भी शुरू कर दिया. एक साल बाद ही शीतल दुष्यंत के बच्चे की माँ भी बन चुकी थी.
The post एक माँ बेटे की अजीब दास्ताँ appeared first on Mastaram: Hindi Sex Kahani.
एक माँ बेटे की अजीब दास्ताँ
स्टोरी अच्छी हे
ReplyDelete