All Golpo Are Fake And Dream Of Writer, Do Not Try It In Your Life

दादाजी के साथ चाची और उनकी बेटी


मस्तराम डॉट नेट के पाठको आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मैंने अपनी आंखों से देखा था। यह कहानी आज से दो महीने पहले की है तब मैं अपने घर आया था। इससे पहले कि मैं अपनी कहानी शुरू करुँ आपको अपने कजन और उस वृद्ध का परिचय करा दूँ।
मेरी कजन का नाम मालिनी है। जिसकी उमर बीस साल की है। उसको देख कर कोई भी कह सकता है कि उसका नाम उसको बिल्कुल ही सूट करता है। उसका रंग गोरा और ऊंचाई पांच फ़ुट छः इन्च की है।
चेहरा इतना सुन्दर है कि जिसको देखने के बाद हर कोई अपने दिल में उतरना चाहेगा। और दूसरा आदमी जिसने उसके साथ सम्भोग किया उसे दादा जी कहते हैं। जिनकी उमर सत्तर साल की है। लेकिन आज भी बिलकुल पहले जैसा ही हट्टे कट्टे है।
अब मैं आपको उस दिन के तरफ़ ले चलता हूं। मैं उन दिनो अपने घर गया हुआ था। उस समय मेरे घर पर मेरे चाची और कजन और उस ओल्ड मेन जिसे हम दादा कह के बुलाते है, के अलावा और कोई नहीं था। उस दिन दोपहर में मैंने देखा कि मेरी चाची जिनकी उमर चालीस साल की है छत पर एक कमरे में सोई हुई थी। मैं वहीं पास के कमरे में लेटा हुआ था। दादा जी मेरे कमरे में आये और मुझे देखा और चाची के कमरे के तरफ़ चले गये। शायद
उन्होंने समझा कि मैं सो रहा हूं। कमरे में जाने के बाद जैसे ही उन्होंने दरवाजा बन्द किया, मैं दरवाजे के आवाज को सुन कर समझ गया कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली है। मैंने सोचा कि क्यों ना देखा जाये। मैं उठ कर उस कमरे की खिड़की पर गया और अन्दर झांका तो देखा की जैसे ही दादाजी चाची के पास जा कर बैठे चाची सीधा हो गई और बोली ‘ आप आ गये?’
दादाजी ने बोला- हाँ, मैं आ गया।
तब चाची ने पूछा की मालिनी कहा है? तो दादाजी ने बताया कि वो नीचे सो रही है। अब दादाजी ने चाची के पैर पर अपना हाथ फ़ेरना शुरू कर दिया और धीरे धीरे चाची के कपड़ों को ऊपर उठाना शुरू कर दिया। चाची धीमी धीमी मुस्करा रही थी। दादाजी ने जैसे ही चाची की साड़ी और साया को कमर तक उठया तो चाची की चूत को देख के बोले- वाह, क्या जिस्म पाया है तुमने। और ये कहते हुये अपने अंगुलियों से चाची के मालिनी बालों को
सहलाने लगे। चाची ने अपनी आंखे बन्द कर ली और अपने हाथ को दादा जी के लुंगी के अन्दर डाल दिया और उनके लण्ड को बाहर निकल के उसे सहलाने लगी।  
अब दादाजी ने अपने हाथ को वहाँ से हटा लिया और चाची ने भी अपने हाथ को हटा लिया। अब दादाजी ने चाची के जांघों को जो की बिलकुल ही एक दूसरे से सटे हुये थे को थोड़ा सा फ़ैलाया और अपने मुह से थोड़ा सा थूक निकाल के चाची के चूत पर रगड़ दिया। इसके बाद दादाजी चाची के जांघ पर बैठ गये। और अपने लण्ड को एक हाथ से पकड़ के जैसे ही चाची के चूत पर सटाया चाची ने अपने दोनो हाथो से चूत को फ़ैला के दादाजी के लण्ड
को अपने चूत का रास्ता दिखाया। अब दादाजी ने लण्ड को चाची के चूत के छेद पर रख के जोर से कमर को झटका मारा और चाची के मुह से आआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज निकल गई। मैंने देखा की उनका लण्ड चाची के चूत में चला गया था। अब दादाजी चाची के उपर लेट गये और धीरे धीरे अपने कमर को हिलाने लगे। चाची उनके हर एक झटके के साथ तेज सासे ले रही थी। इस तरह से कुछ देर तक दादाजी चाची की
चुदाई करते रहे। लगभग पंद्रह मिनट के बद दादाजी चाची से बोले की मालिनी अब जवान हो गई है। और जोर से एक झटका मारा चाची हाआआआआआआआआआआऊऊऊऊऊऊ की आवाज निकली। अब दादाजी ने बोला आज रात में मैं उसका रेप करुंगा तुम उसे भेज देना्। चाची ने अपनी गरदन हिला के हामी भरी। अब दादाजी का पूरा लण्ड चाची के चूत में चला गया था। अब दादाजी ने चाची के होठों को चूसना शुरू किया और अब जोर जोर से झटके लगने शुरू
कर दिये। अब मैं समझ गया था कि दादाजी का गरम वीर्य चाची के चूत में गिरने वाला था। कुछ देर के बाद चाची भी अपने कमर को उठा उठा के दादाजी का पूरा साथ देने लगी और ये दौर पाच मिनट तक चला इसके बाद दोनो लोग शान्त पड़ गये तो मैं समझ गया की अब दादाजी का सपुरम चाची के चूत में गिर गया था। अब मैं अपने रूम में चला गया और सो गया। रात के समय चाची ने खाना बनाया और मालिनी ने मुझे और दादाजी को खाना खिलाया। खाना खाते समय मैंने देखा की दादाजी की नजर अधिकतम समय खाना पर कम मालिनी के उपर ज्यादा रहती थी। खाना देने के लिये जैसे ही वो नीचे झुकती थी तो दादाजी उसके बूबस को देखते रहते थे। खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में उपर चला गया। जैसे ही दादा जी उपर जाने के लिये तैयार हुये तो उन्होने मालिनी से एक लोटे में पानी और तेल के
डिब्बे को उनके कमरे में लाने के लिये बोला। मालिनी बोली ठीक है दादाजी मैं लेके उपर पहुंचा दूंगी। खाना खाने के बाद मालिनी एक लोटे में पानी लेके और डिब्बे में तेल लेके जैसे ही दादाजी के पास जाने लगी तो चाची ने बोला की ‘देखो वो तुम्हारे बाप के समान है , दूसरे घर के होके भी पूरे दिन खेतो में देख रेख करते है पूछ के तुम उनके शरीर में तेल लगा देना’ मालिनी ने बोला ‘ठीक है’। इधर दादाजी उसका  दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इन्तज़ार कर रहे थे। जैसे ही वो रूम में गई तो दादाजी ने उससे बोला की आगे रख दो। मालिनी ने बोला दादाजी क्या मैं अपके शरीर का मालिश कर दूं। तो दादाजी ने बोला की अच्छा होता की कर देती तो उसने बोला ठीक है मैं कर देती हूं। और वो दरवाजा को सटा के दादाजी के बगल में बैठ गई। दादाजी ने पहले उसे अपने पैर में तेल लगने के लिये बोला। जब उसने पैर में तेल लगा दिया तो हाथ में तेल लगने के लिये बोला।  दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
हाथ में तेल लगने के बाद दादाजी ने पीठ और कमर में तेल लगवाया। इसके बाद अपने सिर पर तेल लगवाया। जब पूरे बदन में तेल लग गया तो दादाजी ने मालिनी का हाथ पकड़ के अपने लण्ड को पकड़ते हुये बोला की जब पूरे शरीर में तेल लगा दिया है तो इसमे भी तेल लगा दो।मालिनी ने अपना हाथ वहा से हटा लिया। दादाजी ने दोबारा उसके हाथ को पकड़ा और अपने लण्ड को पकड़ा दिया और उपर नीचे हिलाने लगे। अब वो उठ के बैठ गये और मालिनी
को बेड पर पटक दिया। बेड पर पटकने के बाद एक ही झटके में उन्होने मालिनी के स्कर्ट और पेण्टी को उतार दिया। अब उन्होने मालिनी को उलटा लेटा दिया। अब मालिनी का गाण्ड साफ़ दिख रहा था। मालिनी वैसे तो विरोध कर रही थी लेकीन उसका असर कुछ भी नही पड़ रहा था। अब दादाजी ने दिबे से तेल निकाल के मालिनी के गाण्ड में डाल दिया और मालिनी के जांघ पर बैठ गये। अब उन्होने अपने लण्ड को मालिनी के गाण्ड पर सटाके एक जोर के
झटका मारा और मालिनी के मुह से एक जोर की आवाज निकली आआआह्हह्हहमाआआआआआआआ अब दादाजी अपने कमर को धीरे धीरे हिलाने लगे और मालिनी आआआह्हह्ह्हह्हह्ह आआअह्हह्ह ऊऊओआआआआआआ ऊऊह्हह्हह ईईईईस्सस्सस्सस्स ईईईस्सस्सस्सस्सस्सस्स की आवाज के साथ सिसकी लेने लगी। इस तरह के आवाज से दादाजी की उमंग तो जैसे और भी बढ रही थी। दादाजी ने अब कुछ देर के बाद अपने कमर की स्पीड को बढा दिया और मालिनी और जोर के
साथ आआह्हहह्हह्हह्ह आआआआऔऊऊऊऊऊ आआऊऊनाआअ औऊऊऊऊऊ ऊओह्हह्हह्हह्हह आआह्हह की आवाज के साथ चिल्ला रही थी। कुछ देर के बाद मैंने देखा की दादाजी का पूरा लण्ड मालिनी के गाण्ड में चला गया था। अब दादाजी जोर जोर से झटके मार रहे थे और कुछ देर के बाद वो मालिनी के ऊपर ही ढेर हो गये मालिनी भी शान्त पड़ गई तो मैं समझ गया की दादाजी ने अपने सपुरम को मालिनी के गाण्ड में गिरा दिया है। अब दादाजी ने मालिनी के टॉप को खोल दिया और इसके बाद उसके ब्रा को खोल दिया। सारे कपड़े उतरने के बाद दादाजी ने अपने लण्ड को मालिनी की गाण्ड से निकल दिया और उसके उपर से हट गये।  दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अब दादाजी बेड से उतर के खड़े हो गये और मालिनी को पेशाब करने के लिये उठने के लिये बोला। मालिनी दादाजी के साथ पेसाब करने के लिये गई। वहा दादाजी ने मालिनी के चूत को अपने पेसाब से धोया और तब मालिनी ने बैठ के पेशाब किया। पेशाब करने के बाद दोनो रूम में वपस अये। अब दादाजी बेड पर बैठ गये और मालिनी के हाथ को पकड़ के अपने लण्ड को पकड़ा दिया और बोले की अभी तुम मेरी आधी औरत बनी हो पूरी औरत बनाऊंगा लो ये
ठण्डा पड़ गया है इसे गरम करो इसे अपने मुह में ले के चूसो। मालिनी ने दादाजी के लण्ड को अपने हाथ में लेके कुछ देर तक देखती रही तब अपने मुह में लेके चाटने लगी।
कुछ देर के बाद अब वो लण्ड को अपने मुह के अन्दर बाहर करने लगी। इधर दादाजी अब गर्म हो रहे थे। कुछ देर के बाद दादाजी ने मालिनी के मुह से लण्ड को निकल दिया और उसे लेटने के लिये बोला। वो बेड पर लेट गई। दादाजी उसके चूत को कुछ देर तक देखते रहे और तब दिबे से तेल निकल के पहले मालिनी के चूत को तेल से पूरी तरह से भीगो दिया तब अपने लण्ड जो की लगभग सात से आठ इन्च का लम्बा था, को भी दिबे में डाल दिया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दिबे से निकलने के बाद दादाजी ने अपने लण्ड को मालिनी के चूत पर रख के उसे फ़ैलने के लिये बोला। मालिनी ने अपने चूत को फ़ैला दिया। दादाजी ने एक हलके से झटके के सथ लण्ड के अगले सिरे को अन्दर ले जाने में तो सफ़ल हुये। अब जैसे ही अपने लण्ड को थोड़ा और अन्दर करने के लिये एक जोर का झटका मारा तो मालिनी पूरी तरह से सिहर उठी। दादाजी ने बोला पहले थोड़ा दर्द होगा बाद में बहुत मजा आयेगा। लेकिन इसमे ही मालिनी
की हालत खराब हो रही थी। अब दादाजी ने अपने दोनो हाथो में तेल लगया और मालिनी के दोनो चुचिंयों पर तेल लगाने के बाद दोनो को अपने मुह में लेक ए बरि बरि से चुसना शुरू कर दिया। कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मैंने देखा की मालिनी ने अपने पैर को धिला कर दिया और अपने जांघों को फ़ैला दिया। अब दादाजी ने अपने कमर को धीरे धीरे हिलाना शुरू किया। मालिनी आआहह्हहह आआआआआहह्हह्हह अहीईईईइस्ससस्सस्स
आआआऔऊऊऊऊआ इस्ससस्सस सिस्सस्सस्स इस्सस्सस्सुआआआआ की वाज़ निकलने लगी। अब दादाजी ने अपने दोनो हाथो में मालिनी के चूचियों को मसलना शुरू किया।
कुछ देर के बाद जब उनका लण्ड मालिनी के चूत में कुछ अन्दर चला गया तो दादाजी ने बोला की अब मैं तुम्हे अपनी सच्ची औरत बनने जा रहा हूं। और जोर से एक झटका मरा। मालिनी की तो जैसे जान ही निकल गई वो आआह्हह्हह्हह्हह आआह्हह्हह्हह्हह अहीईईईस्सस्सस्स आआऔऊऊऊऊऊउआ इस्सस्स्सस सिस्सस्स्सस्स इस्सस्सस्सुआआआआ बाआआअप्पप्परीईईईआआआऊऊऊऊ माआआआआआईईईईईई आआआह्हह्हह्हह नाआआआआहीईईईईई
आआआऔऊऊऊऊऊउ की आवाज़ के सथ चिल्ला उठी । दादाजी ने अपने होठों को उनके होठों को दबा दिया और चूसने लगे। कुछ देर के बाद मालिनी शान्त होने लगी तो दादाजी ने उनके होठों को आजाद करते हुये बोले अब तुम मेरी पूरी तरह से औरत बन गई हो। आज बहुत दिन के बाद कोई जवान और कुंवारी लड़की की चूत मिली है। वो जोर जोर के झटके मार रहे थे। कभी कभी तो मालिनी अपने हाथ को अपने चूत के पास ले जाने की कोशिश करती थी
लेकिन दादाजी उसके हाथ को वहा से खींच लेते थे। कुछ देर के बाद दादाजी का पूरा लण्ड मालिनी के चूत के अन्दर चला गया था। अब मालिनी हल्की सिसकी के साथ अपने चुदाई की मज़ा ले रही थी। कुछ देर के बाद दादा जी ने मालिनी के होठों को चूसना शुरू किया तो मैं समझ गया कि इस बार उनका सपुरम मालिनी के चूत में गिरने जा रहा था। अब मालिनी भी दादाजी का साथ दे रही थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
कुछ देर तक दोनो ही दोनो एक दूसरे के होठों को चूसते रहे। अब दादाजी शान्त पड़ गये और मालिनी के उपर ढेर हो गये। कुछ देर के बाद जब दादाजी ने अपने लण्ड को निकला तो मैंने देखा की मालिनी की मालिनी चूत बुरी तरह से फ़ूल गई थी। उस पर सपुरम के कुछ अंश दिखाई दे रहे थे। कुछ देर के बाद मालिनी उठ के दादाजी के साथ बाहर नालि के पास गई और दादाजी ने उसके चूत पर पानी गिराया और मालिनी ने अपने चूत को धोकर साफ़ किया।
इसके बाद अपने कपड़े को पहन के जब नीचे जाने लगी तो दादाजी ने बोला कि यह बात किसी को बताना नहीं। वो बोली- ठीक है और नीचे चली गई। दादाजी अपने रूम में जा कर सो गये मैं भी अपने रूम में सो गया। सुबह मैं जब जगा तो दादाजी को तैयार होते देखा। मैंने जब उनसे पूछा तो वो बोले की वो अपने गाव जा रहे है। वो अपने गाँव के लिये निकल गये।
मेरी बहन मुझसे लगभग तीन साल बड़ी है। वो एम ए में पढ़ती थी और मैंने कॉलेज में दाखिला लिया ही था। मैं भी जवान हो चला था। मुझे भी जवान लड़कियाँ अच्छी लगती थी। सुन्दर लड़कियाँ देख कर मेरा भी लण्ड खड़ा होता था। मेरी दीदी भी चालू किस्म की थी। लड़कों का साथ उसे बहुत अच्छा लगता था। Mera-First-Sex-Experience-In-School-Time
वो अधिकतर टाईट जीन्स और टीशर्ट पहनती थी। उसके उरोज 23 साल की उम्र में ही भारी से थे, कूल्हे और चूतड़
पूरे शेप में थे। रात को तो वो ऐसे सोती थी कि जैसे वो कमरे में अकेली सोती हो। एक छोटी सी सफ़ेद शमीज और एक वी शेप की चड्डी पहने हुये होती थी। फिर एक करवट पर वो पांव यूँ पसार कर सोती थी कि उसके प्यारे-प्यारे से गोल चूतड़ उभर कर मेरा लण्ड खड़ा कर देते थे। उसके भारी भारी स्तन शमीज में से चमकते हुये मन को मोह लेते थे। उसकी बला से भैया का लण्ड खड़ा होवे तो होवे, उसे क्या मतलब ? कितनी ही बार जब मैं रात को पेशाब करने उठता था तो दीदी की जवानी की बहार को जरूर जी भर कर देखता था। कूल्हे से ऊपर उठी हुई शमीज उसकी चड्डी को साफ़ दर्शाती थी जो चूत के मध्य में से हो कर उसे छिपा देती थी। उसकी काली झांटे चड्डी की बगल से झांकती रहती थी। उसे देख कर मेरा लण्ड तन्ना जाता था। बड़ी मुश्किल से अपने लण्ड को सम्भाल पाता था। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
एक बार तो मैंने दीदी को रंगे हाथों पकड़ ही लिया था। क्रिकेट के मैदान से मैं बीच में ही पानी पीने राजीव के यहाँ चला गया। घर बन्द था, पर मैं कूद कर अन्दर चला आया। तभी मुझे कमरे में से दीदी की आवाज सुनाई दी। मैं धीरे से दबे पांव यहाँ-वहाँ से झांकने लगा। अन्त में मुझे सफ़लता मिल ही गई। दीदी राजीव का लण्ड दबा रही थी। राजीव भी बड़ी तन्मयता के साथ दीदी की कभी चूचियाँ दबाता तो कभी  चूतड़ दबाता। कुछ ही देर में दीदी नीचे बैठ गई और राजीव का लण्ड निकाल कर चूसने लगी। मेरे शरीर में सनसनाहट सी दौड़ पड़ी। मेरा मन उनकी यह रास-लीला देखने को मचल उठा। उनकी पूरी चुदाई देख कर ही मुझे चैन आया।  तो यह बात है … दीदी तो एक नम्बर की चालू निकली। एक नम्बर की चुदक्कड़ निकली दीदी तो।
मैं भारी मन से बाहर निकल आया। आंखों के आगे मुझे अब सिर्फ़ दीदी की भोंसड़ी और राजीव का लण्ड दिख रहा था। मेरा मन ना तो क्रिकेट खेलने में लगा और ना ही किसी हंसी मजाक में। शाम हो चली थी … सभी रात का भोजन कर के सोने की तैयारी करने लगे थे। दीदी भी अपनी परम्परागत ड्रेस में आ गई थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं भी अपने कपड़े उतार कर चड्डी में बिस्तर पर लेट गया था। पर नींद तो कोसों दूर थी … रह रह कर अभी भी दीदी के मुख में राजीव का लण्ड दिख रहा था। मेरा लण्ड भी फ़ूल कर खड़ा हो गया था।
अह्ह्ह… मुझे दीदी को चोदना है … बस चोदना ही है।  मेरी चड्डी की ऊपर की बेल्ट में से बाहर निकला हुआ अध खुला सुपारा नजर आ रहा था। इसी हालत में मेरी आंख जाने कब लग गई।  यकायक एक खटका सा हुआ। मेरी नींद खुल गई। कमरे की लाईट जली हुई थी। मुझे लगा कि मेरे पास कोई खड़ा हुआ है। समझते देर नहीं लगी कि दीदी ही है। वो बड़े ध्यान से मेरे लण्ड का उठान देख रही थी। दीदी को शायद अहसास भी नहीं हुआ होगा कि मेरी नींद खुल चुकी है और मैं उसका यह तमाशा देख रहा हूँ।  उसने झुक कर अपनी एक अंगुली से मेरे अध खुले सुपारे को छू लिया। फिर मेरी वीआईपी डिज़ाइनर चड्डी की बेल्ट को अंगुली से धीरे नीचे सरका दिया। उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड और भी फ़ूल कर कड़क हो गया। मुझे लगने लगा था- काश ! दीदी मेरा लण्ड पकड़ कर मसल दे। अपनी भोंसड़ी में उसे घुसा ले।
उसकी नजरें मेरे लण्ड को बहुत ही गौर से देख रही थी, जाहिर है कि मेरी काली झांटे भी लण्ड के आसपास उसने देखी होगी। उसने अपने स्तनों को जोर से मल दिया और उसके मुँह से एक वासना भरी सिसकी निकल पड़ी। फिर उसका हाथ उसकी चूत पर आ गया। शायद वो मेरा लण्ड अपनी चूत में महसूस कर रही थी। उसका चूत को बार बार मसलना मेरे दिल पर घाव पैदा कर रहे थे। फिर वो अपने बिस्तर पर चली गई। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दीदी अपने अपने बिस्तर पर बेचैनी से करवटें बदल रही थी। अपने उभारों को मसल रही थी। फिर वो उठी और नीचे जमीन पर बैठ गई। अब शायद वो हस्त मैथुन करने लगी थी। तभी मेरे लण्ड से भी वीर्य निकल पड़ा। मेरी चड्डी पूरी गीली हो गई थी। अभी भी मेरी आगे होकर कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
दूसरे दिन मेरा मन बहुत विचलित हो रहा था। ना तो भूख रही थी… ना ही कुछ काम करने को मन कर रहा था। बस दीदी की रात की हरकतें दिल में अंगड़ाईयाँ ले रही थी। दिमाग में दीदी का हस्त मैथुन बार बार आ रहा था। मैं अपने दिल को मजबूत करने में लगा था कि दीदी को एक बार तो पकड़ ही लूँ, उसके मस्त बोबे दबा दूँ। बार बार यही सोच रहा था कि ज्यादा से ज्यादा होगा तो वो एक तमाचा मार देगी, बस ! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर मैं ट्राई नहीं करूंगा। जैसे तैसे दिन कट गया तो रात आने का नाम नहीं ले रही थी।
रात के ग्यारह बज गये थे। दीदी अपनी रोज की ड्रेस में कमरे में आई। कुछ ही देर में वो बिस्तर पर जा पड़ी। उसने करवट ले कर अपना एक पांव समेट लिया। उसके सुडौल चूतड़ के गोले बाहर उभर आये। उसकी चड्डी उसकी गाण्ड की दरार में घुस गई और उसके गोल गोल चमकदार चूतड़ उभर कर मेरा मन मोहने लगे।
मैंने हिम्मत की और उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेर कर सहला दिया। दीदी ने कुछ नहीं कहा, वो बस वैसे ही लेटी रही।
मैंने और हिम्मत की, अपना हाथ उसके चूतड़ों की दरार में सरकाते हुये चूत तक पहुँचा दिया। मैंने ज्योंही चूत पर अपनी अंगुली का दबाव बनाया, दीदी ने सिसक कर कहा,”अरे क्या कर रहा है ?”
“दीदी, एक बात कहनी थी !” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उसने मुझे देखा और मेरी हालत का जायजा लिया। मेरी चड्डी में से लण्ड का उभार उसकी नजर से छुप नहीं सका था। उसके चेहरे पर जैसे शैतानियत की मुस्कान थिरक उठी।
“हूम्म … कहो तो … ” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं दीदी के बिस्तर पर पीछे आ गया और बैठ कर उसकी कमर को मैंने पकड़ लिया।
“दीदी, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं !”
“ऊ हूं … तो… ” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“मैं आपको देख कर पागल हो जाता हूँ … ” मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुये उसकी छातियों की ओर बढ़ने लगे।
“वो तो लग रहा है … !” दीदी ने घूम कर मुझे देखा और एक कंटीली हंसी हंस दी।
मैंने दीदी की छातियों पर अपने हाथ रख दिये,”दीदी, प्लीज बुरा मत मानना, मैं आपको चोदना चाहता हूँ !”
मेरी बात सुन कर दीदी ने अपनी आंखें मटकाई,”पहले मेरे बोबे तो छोड़ दे… ” वो मेरे हाथ को हटाते हुये बोली।
“नहीं दीदी, आपके चूतड़ बहुत मस्त हैं … उसमें मुझे लण्ड घुसेड़ने दो !” मैं लगभग पागल सा होकर बोल उठा।
“तो घुसेड़ ले ना … पर तू ऐसे तो मत मचल !” दीदी की शैतानियत भरी हरकतें शुरू हो गई थी।
मैं बगल में लेट कर अनजाने में ही कुत्ते की तरह उसकी गाण्ड में लण्ड चलाने लगा। मुझे बहुत ताज्जुब हुआ कि मेरी किसी भी बात का दीदी ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मुझे उसके गाण्ड मारने की स्वीकृति भी दे दी। मुझे लगा दीदी को तो पटाने की आवश्यकता ही नहीं थी। बस पकड़ कर चोद ही देना था।
“बस बस … बहुत हो गया … दिल बहुत मैला हो रहा है ना ?” दीदी की आवाज में कसक थी।
मैं उसकी कमर छोड़ कर एक तरफ़ हट गया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“दीदी, इस लण्ड को देखो ना … इसने मुझे कैसा बावला बना दिया है।” मैंने दीदी को अपना लण्ड दिखाया।
“नहीं बावला नहीं बनाया … तुझ पर जवानी चढ़ी है तो ऐसा हो ही जाता है… आ यहाँ मेरे पास बैठ जा, सब कुछ करेंगे, पर आराम से … मैं कहीं कोई भागी तो नहीं जा रही हूँ ना … इस उम्र में तो लड़कियों को चोदना ही चहिये… वर्ना इस कड़क लण्ड का क्या फ़ायदा ?” दीदी ने मुझे कमर से पकड़ कर कहा।
मेरे दिल की धड़कन सामान्य होने लगी थी। पसीना चूना बंद हो गया था। दीदी की स्वीकारोक्ति मुझे बढ़ावा दे रही थी। वो अब बिस्तर पर बैठ गई और मुझे गोदी में बैठा लिया। दीदी ने मेरी चड्डी नीचे खींच कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया।
“ये … ये हुई ना बात … साला खूब मोटा है … मस्त है… मजा आयेगा !” मेरे लण्ड के आकार की तारीफ़ करते हुये वो बोल उठी। उसने मेरा लण्ड पकड़ कर सहलाया। फिर धीरे से चमड़ी खींच कर मेरा लाल सुपारा बाहर निकाल लिया।
अचानक उसकी नजरें चमक उठी,”भैया, तू तो प्योर माल है रे… ” वो मेरे लौड़े को घूरते हुये बोली।
“प्योर क्या … क्या मतलब?” मुझे कुछ समझ में नहीं आया। “कुछ नहीं, तेरे लण्ड पर लिखा है कि तू प्योर माल है।” मेरे लण्ड की स्किन खींच कर उसने देखा।
“दीदी, आप तो जाने कैसी बातें करती हैं… ” मुझे उसकी भाषा समझने में कठिनाई हो रही थी।
“चल अपनी आंखें बन्द कर … मुझे तेरा लण्ड घिसना है !” दीदी की शैतान आंखें चमक उठी थी।
मुझे पता चल गया था कि अब वो मुठ मारेगी, सो मैंने अपनी आंखें बंद कर ली।
दीदी ने मेरे लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर कर आगे पीछे करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में मैं मस्त हो गया। मुख से सुख भरी सिसकियाँ निकलने लगी। जब मैं पूरा मदहोश हो गया था, चरम सीमा पर पहुंचने लगा था, दीदी ने जाने मेरे लण्ड के साथ क्या किया कि मेरे मुख से एक चीख सी निकल गई। सारा नशा काफ़ूर हो गया। दीदी ने जाने कैसे मेरे लण्ड की स्किन सुपारे के पास से दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अंगुली के जोर से फ़ाड़ दी थी। मेरी स्किन फ़ट गई थी और अब लण्ड की चमड़ी पूरी उलट कर ऊपर आ गई थी। खून से सन कर गुलाबी सुपाड़ा पूरा खिल चुका था।
“दीदी, ये कैसी जलन हो रही है … ये खून कैसा है?” मुझे वासना के नशे में लगा कि जैसे किसी चींटी ने मुझे जोर से काट लिया है। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“अरे कुछ नहीं रे … ये लण्ड हिलाने से स्किन थोड़ी सी अलग हो गई है, पर अब देख … क्या मस्त खुलता है लण्ड !” मेरे लण्ड की चमड़ी दीदी ने पूरी खींच कर पीछे कर दी। सच में लण्ड का अब भरपूर उठाव नजर आ रहा था।
उसने हौले हौले से मेरा लण्ड हिलाना जारी रखा और सुपाड़े के ऊपर मालिनी अंगुलियों से हल्के हल्के घिसती रही। मेरा लण्ड एक बार फिर मीठी मीठी सी गुदगुदी के कारण तन्ना उठा। कुछ ही देर में मुठ मारते मारते मेरा वीर्य निकल पड़ा। उसने मेरे ही वीर्य से मेरा लण्ड मल दिया। मेरा दिल शान्त होने लगा।
मैंने दीदी को पटा लिया था
मैंने दीदी को पटा लिया था बल्कि यू कहें कि दीदी ने मुझे फ़ंसा लिया था। मेरा लण्ड मुरझा गया था। दीदी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। मेरे होंठों पर अपने होंठ उसने दबा दिये और अधरों का रसपान करने लगी।
“भैया, विनय से मेरी दोस्ती करा दे ना, वो मुझे लिफ़्ट ही नहीं देता है !”
“पर तू तो राजीव से चुदवाती है ना … ?”
उसे झटका सा लगा। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“तुझे कैसे पता ?” उसने तीखी नजरो से मुझे देखा।
“मैंने देखा है आपको और राजीव को चुदाई करते हुये … क्या मस्त चुदवाती हो दीदी !”
“मैं तो विनय की बात कर रही हूँ … समझता ही नहीं है ?” उसने मुझे आंखें दिखाई।
“लिफ़्ट की बात ही नहीं है … सच तो यह है कि उसे पता ही नहीं है कि आप उस पर मरती हैं।”
“फिर भी … उसे घर पर लाना तो सही… और हाँ मरी मेरी जूती … !”
“अरे छोड़ ना दीदी, मेरे अच्छे दोस्तों से तुझे चुदवा दूँगा … बस, सालों के ये मोटे मोटे लण्ड हैं !”
“सच, भैया ” उसकी आंखें एक बार फिर से चमक उठी।
दीदी के बिस्तर में हम दोनों लेट गये। कुछ ही देर मेरा मन फिर से मचल उठा।
“दीदी, एक बार अपनी चूत का रस मुझे लेने दे।”
“चल फिर उठ और नीचे आ जा !” दीदी ने अपनी टांगें फ़ैला दी। उसकी भोंसड़ी खुली हुई सामने थी पाव रोटी के समान फ़ूली हुई। उसकी आकर्षक पलकें, काली झांटों से भरा हुआ जंगल … उसके बीचों बीच एक गुलाबी गुफ़ा … मस्तानी सी … रस की खान थी वो … दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा ली… नजरें जरा और नीचे गई। भूरा सा अन्दर बाहर होता हुआ गाण्ड का मालिनी फ़ूल …
एक बार फिर लण्ड की हालत खराब होने लगी। मैंने झुक कर उसकी चूत का अभिवादन किया और धीरे से अपनी जीभ निकाल कर उसमें भरे रस का स्वाद लिया। जीभ लगते ही चूत जैसे सिकुड़ गई। उसका दाना फ़ड़क उठा … जीभ से रगड़ खा कर वो भी मचल उठा। दीदी की हालत वासना से बुरी हो रही थी। चूत देख कर ही लग रहा था कि बस इसे एक मोटे लण्ड की आवश्यकता है। दीदी ने दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |मेरी बांह पकड़ कर मुझे खींच कर नीचे लेटा लिया और धीरे से मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत खोल कर मेरे मुख से लगा दी। उसकी प्यारी सी झांटों भरी गुलाबी सी चूत देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने उसकी चूत को चाटते हुये उसे खूब प्यार किया। दीदी ने अपनी आंखें मस्ती में बन्द कर ली। तभी वो और मेरे ऊपर आ गई। उसकी गाण्ड का मालिनी नरम सा छेद मेरे होंठों के सामने था। मैंने अपनी लपलपाती हुई जीभ
से उसकी गाण्ड चाट ली और जीभ को तिकोनी बना कर उसकी गाण्ड में घुसेड़ने लगा।
“तूने तो मुझे मस्त कर दिया भैया … देख तेरा लण्ड कैसा तन्ना रहा है… !”
उसने अपनी गाण्ड हटाते हुये कहा,” भैया मेरी गाण्ड मारेगा ?”
वो धीरे से नीचे मेरी टांगों पर आ गई और पास पड़ी तेल की शीशी में से तेल अपनी गाण्ड में लगा लिया।
“आह … देख कैसा कड़क हो रहा है … जरा ठीक से लण्ड घुसेड़ना… ”
वो अपनी गाण्ड का निशाना बना कर मेरे लण्ड पर धीरे से बैठ गई। सच में वो गजब की चुदाई की एक्सपर्ट थी। उसके शरीर के भार से ही लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया। लण्ड घुसता ही चला गया, रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
लगता था उसकी गाण्ड लड़कों ने खूब बजाई थी … उसकी मुख से मस्ती भरी आवाजें निकलने लगी।
“कितना मजा आ रहा है … ” वो ऊपर से लण्ड पर उछलने लगी …
लण्ड पूरी गहराई तक जा रहा था। उसकी टाईट गाण्ड का लुफ़्त मुझे बहुत जोर से आ रहा था। मेरे मुख से सिसकियाँ निकल रही थी। वो अभी भी सीधी बैठी हुई गाण्ड मरवा रही थी। अपने चूचों को अपने ही हाथ से दबा दबा कर मस्त हो रही थी। उसने अपनी गाण्ड उठाई और मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और थोड़ा सा पीछे हटते हुये अपनी चूत में लण्ड घुसा लिया। वो अब मेरे पर झुकी हुई थी … उसके बोबे मेरी आंखों के सामने
झूलने लगे थे। मैंने उसके दोनों उरोज अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। वो अब चुदते हुये मेरे ऊपर लेट सी गई और मेरी बाहों को पकड़ते हुये ऊपर उठ गई। अब वो अपनी चूत को मेरे लण्ड पर पटक रही थी। मेरी हालत बहुत ही नाजुक हो रही थी। मैं कभी भी झड़ सकता था। वो बेतहाशा तेजी के साथ मेरे लण्ड को पीट रही थी, बेचारा लण्ड अन्त में चूं बोल ही गया। तभी दीदी भी निस्तेज सी हो गई। उसका रस भी निकल
रहा था। दोनों के गुप्तांग जोर लगा लगा कर रस निकालने में लगे थे। दीदी ने मेरे ऊपर ही अपने शरीर को पसार दिया था। उसकी जुल्फ़ें मेरे चेहरे को छुपा चुकी थी। हम दोनों गहरी-गहरी सांसें ले रहे थे।
“मजा आया भैया… ?”
“हां रे ! बहुत मजा आया !”
“तेरा लण्ड वास्तव में मोटा है रे … रात को और मजे करेंगे !” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“दीदी तेरी भोंसड़ी है भी चिकनी और रस दार !” मैं वास्तव में दीदी की सुन्दर चूत का दीवाना हो गया था, शायद इसलिये भी कि चूत मैंने जिन्दगी में पहली बार देखी थी।
पर मेरे दिल में अभी भी कुछ ग्लानि सी थी, शायद अनैतिक कार्य की ग्लानि थी।
“दीदी, देखो ना हमसे कितनी बड़ी भूल हो गई, अपनी ही सगी दीदी को चोद दिया मैंने !”
“अहह्ह्ह्ह … तू तो सच में बावला ही है … भाई बहन का रिश्ता अपनी जगह है और जवानी का रिश्ता अपनी जगह है … जब लण्ड और चूत एक ही कमरे में मौजूद हैं तो संगम होगा कि नहीं, तू ही बता !” उसका शैतानियत से भरा दिमाग जाने मुझे क्या-क्या समझाने में लगा था। मुझे अधिक तो कुछ समझ में आया … आता भी कैसे भला। क्यूंकि अगले ही पल वो मेरा लौड़ा हाथ में लेकर मलने लगी थी … और मैं बेसुध होता जा रहा था… ।


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दादाजी के साथ चाची और उनकी बेटी

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