All Golpo Are Fake And Dream Of Writer, Do Not Try It In Your Life

दीदी की बिना बाल की चूत-1


प्रेषक: राजू


दोस्तो, मेरा नाम राजू है और मैं आजमगढ़ का रहने वाला हूँ। बात तकरीबन 7 महीने पहले की है, उस वक्त मेरी बनारस (B.H.U.) में नई-नई नौकरी लगी थी। मेरा गाँव बनारस से 50 किलोमीटर दूर था और मुझे वहाँ जाने के लिए दो बसें बदलनी पड़ती थीं और रात को घर लौटने में भी देरी हो जाती थी। मेरा एक चचेरा जीजा बनारस में ही रहता था.. तो घर वालों ने मुझे वहीं उनके साथ रहने को भेज दिया। उनके घर में मेरे अलावा जीजा, बहन अन्सिका और उनकी एक दस साल की बेटी थी। बहन की उम्र करीबन 34 साल की है और वो एक बहुत ही खूबसूरत और कमनीय शरीर की मालकिन है, उनके मम्मे 38 सी साइज के हैं और चूतड़ों का तो पूछो ही मत.. कमाल के गोलाकार और भरे हुए हैं.. जिसे देखते ही जी करता है कि जोर से काट लें। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कोई अगर एक बार उनको साटिन की नाईटवियर में देख ले.. तो मेरा दावा है कि मुठ्ठ मारे बिना नहीं रह सकता। मैं हमेशा से अपने जीजा को किस्मत वाला मानता हूँ कि उनको भगवान ने इतनी खूबसूरत बीवी दी है। वैसे तो मैं एक शर्मीले किस्म का लड़का हूँ.. तो डर के मारे आज तक किसी भी लड़की को पटा नहीं पाया। उसी तरह मैंने कभी यह सोचा नहीं था कि मैं उनको कभी चोद पाऊँगा.. इसलिए मैं हमेशा की तरह उनके बारे में सोच कर मुठ्ठ मार कर ही काम चला लिया करता था। पर एक दिन की बात है.. घर में मैं और मेरी बहन के अलावा कोई नहीं था, मैं वैसे ही पड़ा हुआ एक किताब पढ़ रहा था। तभी मेरी बहन मूतने के लिए टॉयलेट में गई और उसी वक्त मुझे भी प्यास लगी तो मैं पानी पीने के लिए खड़ा हुआ। मेरा फोन टॉयलेट के आगे ही गिर गया। जैसे ही मैं फ़ोन उठाने के लिए नीचे झुका.. तो मुझे जैसे खजाना दिख गया और वो थी.. मेरी बहन की चूत। झुकते ही मेरी नजर टॉयलेट दरवाजे के नीचे की दरार में पड़ी.. जहाँ से मुझे टॉयलेट के अन्दर का नज़ारा दिखाई दिया। मैंने देखा कि बहन टॉयलेट में मूत रही थीं। मैं धीरे से टॉयलेट के और नजदीक गया और देखने लगा। वहाँ से उनकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी और उनके मूत की धार दिखाई दी जिसे देख कर मैं दंग रह गया। दोस्तो.. उनकी चूत के बारे में क्या बताऊँ.. पाव रोटी की तरह मस्त फूली हुई और उस पर छोटे-छोटे बाल.. क्या कमाल के लग रहे थे। उनकी चूत के अन्दर के होंठ थोड़े बड़े और थोड़े से बाहर की तरफ को थे.. जो कि मुझे बहुत पसंद हैं। मैं हमेशा ब्लू-फ़िल्मों में ऐसे ही अदाकारा को पसंद करता हूँ.. जिसके अन्दर के होंठ थोड़े बड़े हों। मेरी बहन तो एकदम गोरी थीं.. मगर उनकी चूत काली नज़र आ रही थी.. और सच बताऊँ तो मुझे हमेशा से ही काली इंडियन लौंडियों के जैसी हब्सी किस्म की चूतें ही बहुत पसंद हैं। उनकी चूत देख कर मेरा दिल किया कि अभी जाकर उनकी चूत को मूत के साथ ही चाटने लगूं.. पर इससे पहले कि मैं और कुछ सोचता.. वो मूत कर उठ गईं. और मैं झट से अपनी जगह पर वापस आ कर पढ़ने लगा। अब मुझे बहन की चूत के दीदार करने का रास्ता मिल गया था.. तो मैं हमेशा इसी फ़िराक में रहता था कि कब बहन टॉयलेट जाएं.. और मैं उनकी चूत के दीदार कर सकूँ। यूं ही 2 से 3 महीने बीत गए। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | लेकिन पिछले एक महीने से मैंने नोटिस किया था कि जब वो मूतने टॉयलेट जाती थीं तो मूतने के बाद अपनी चूत को सहलाती थीं और कभी-कभी उंगली भी करती थीं। चूत को सहलाते हुए.. वो अपनी चूत को इस तरह चौड़ी करती थीं कि मुझे उनकी चूत के अन्दर की गली साफ दिखाई देती थी। अब तो वो अपनी चूत की सफाई पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगी थीं, वो अपनी चूत को हमेशा चिकनी रखती थीं। उनकी फूली हुई चूत को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे वो रोज ही शेविंग करती हों। मैंने मौका मिलने पर कई बार उनको नहाते वक्त बाथरूम में देखने की कोशिश की.. मगर ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। उनकी चूत को देख कर मेरा जी करता था कि अभी दरवाजा तोड़ दूँ और उनकी चूत को खा जाऊँ और इतना चोदूँ कि मेरा लण्ड कभी चूत से बाहर ही ना निकालूँ। लेकिन डर के मारे कभी हिम्मत नहीं कर पाया। अब तो कभी-कभी वो टॉयलेट से बाहर आकार यूँ हीं मेरे सामने हँस दिया करती थीं। उनका ये व्यव्हार मेरी कुछ समझ में नहीं आता था और मैंने उस पर ज्यादा सोचा भी नहीं.. मैं तो उनकी चूत देख कर ही खुश था। एक दिन की बात है.. बहन बाथरूम में मूत रही थीं और मैं दरवाजे के नीचे से उनकी चूत देख रहा था। तभी अचानक से उन्होंने वैसे ही बैठे हुए ही टॉयलेट का दरवाजा खोल दिया, दरवाजा मेरे सर से टकराकर रुक गया और मैं अचानक हुए इस हमले से सकपका कर रह गया.. मेरी तो समझ में कुछ भी नहीं आया.. पर एक बात पक्की थी कि मेरी चोरी पकड़ी गई थी, मैं डर के मारे वहीं खड़ा रहा। थोड़ी ही देर में बहन टॉयलेट से बाहर निकलीं और मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं। उन्होंने बड़ी ही अजीब सी निगाहों से मेरी तरफ देखा, उन्होंने मुझसे गुस्से में पूछा- तुम वहाँ क्या कर रहे थे? अब मैं उनको क्या बताता कि मैं उनकी चूत देख रहा था। मैं तो वैसे ही बुत बन के खड़ा रहा.. उन्होंने मुझसे फिर पूछा- जबाव दो.. तुम क्या देख रहे थे.. बताओ वर्ना तुम्हारे जीजा को सब बोल दूँगी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तो मैंने उनसे बोला- बहन प्लीज़ जीजा को कुछ मत बोलना… मुझसे गलती हो गई.. मैं थोड़ा बहक गया था। लेकिन मैंने ज्यादा कुछ नहीं देखा। इस पर वो बोलीं- इससे ज्यादा तुम्हें और क्या देखना है.. इतना देखा वो कम है क्या? मैं तो नजरें झुकाए वहाँ खड़ा रहा.. तो वो बोलीं- मैं पूछती हूँ.. उसका जवाब दो.. वर्ना तुम्हारी खैर नहीं। मैंने कहा- बहन अँधेरा होने की वजह से मैं ज्यादा कुछ नहीं देख पाया। इस पर वो बोलीं- पिछले 2-3 महीनों से देख रहे हो और बोलते हो कि कुछ नहीं देखा..! यह सुन कर मैं सन्न रह गया कि वो सब जानती हैं.. पर तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली कि वो जानबूझ कर ही मुझको सब दिखा रही थीं। अब मेरी समझ में आ गया कि वो अपनी चूत क्यों इतनी साफ क्यों रखती थीं और क्यों टॉयलेट में उंगली करके चूत को रगड़ती थीं। न जाने मुझ में कहाँ से हिम्मत आ गई और उनको बोल दिया- इसका मतलब कि आप जानबूझ कर मुझे सब दिखा रही थीं। यह सुनकर वो दंग रह गईं क्योंकि उनको मुझसे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी तो वो मुझे देखती रह गईं। इससे पहले कि वो मुझसे कुछ कहतीं.. मैंने उनसे फिर कहा- लेकिन बहन सच कहता हूँ कि मैंने ज्यादा कुछ नहीं देखा। इस पर वो बोलीं- और ज्यादा क्या देखना है तुम्हें.. अब भी कुछ देखना बाकी है क्या? मेरी समझ में नहीं आया कि वो किस टोन में ये मुझसे पूछ रही हैं.. तो मैं ऐसे ही खड़ा रहा। सो उन्होंने दोबारा वही पूछा। इस पर मैंने हिम्मत करके बोल दिया- और तो बहुत कुछ दिखाने के लिए है आपके पास.. अगर आप चाहें तो.. इस पर वो जोर से हँस पड़ीं। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उनकी इस हँसी से मुझे बहुत राहत हुई और मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने उनसे हाथ जोड़ के कहा- बहन, क्या मुझे ठीक से दीदार का लाभ मिलेगा। वो बोलीं- अवश्य मिलेगा.. लेकिन सिर्फ दीदार ही होंगे.. कोई भोग-प्रसाद नहीं लगेगा.. और वो भी दूर से ही। मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई.. मैंने उनसे कहा- मुझे मंजूर है। उन्होंने मुझसे पूछा- पहले ऊपर के दीदार करना चाहोगे कि नीचे के? मैंने कहा- दोनों के.. इस पर वो हँस कर बोलीं- आज सिर्फ एक ही चीज के दीदार होंगे, पूरे दीदार तो पूर्णिमा के दिन होंगे। तो मैंने खुल कर कहा- ठीक है.. आज सिर्फ नीचे के दीदार करवा दीजिए.. क्योंकि मेरी रूचि हमेशा से मम्मों की बजाए चूत में ज्यादा रही है। उन्होंने कटीली अदा से आँख मारी और कहा- ठीक है। इतना कहने के बाद वो अपनी सलवार नाड़ा खोलने लगीं। मैंने कहा- लाइए मैं आपकी मदद कर देता हूँ। वो बड़ी आँखें करके बोलीं- वहीं खड़े रहो.. आगे मत बढ़ना.. वर्ना कुछ नहीं देखने को मिलेगा। मैं वहीं रुक गया। उन्होंने सलवार का नाड़ा खोलते ही उसे छोड़ दिया.. सो सलवार फट से नीचे गिर गई। दोस्तो, क्या कमाल का नजारा था.. एकदम गोरी-गोरी मक्खन जैसी चिकनी.. केले के तने जैसी मस्त गदराई हुई जांघें और उनके बीच में मस्त चूत के उभार से उभरी हुई पैन्टी.. मैं तो सच में पागल हो गया। यह नजारा देख कर तो मुझे महसूस हुआ कि यह तो मेरी उम्मीद से कई ज्यादा खूबसूरत था। उनकी पैन्टी ऊपर से थोड़ी भीगी हुई थी.. शायद उनका मूत लगा हुआ था। वो अपनी पैन्टी उतार ही रही थीं कि मैंने बोला- बहन थोड़ी देर रुक जाइए.. मुझे ऐसे ही देखना है। इस पर वो रुक गई और हँसने लगीं। जैसे ही मैंने बहन की पैन्टी को छूने की कोशिश की.. वो पीछे हट गईं और बोलीं- हमारी शर्त क्या थी.. भूल गया गया? इस पर मैंने कहा- तो फिर आप खुद इसे निकाल दीजिए। और उन्होंने बड़े ही सलीके से उसे उतार फेंका। मैंने झट से उनकी पैन्टी उठाई और उसे चूम लिया और उसे जहाँ उनकी चूत का छेद लगा होता है.. सूंघने लगा.. हाय.. क्या कमाल की खुश्बू थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरी इस हरकत पर वो मुस्कुराईं और देखने लगीं। मैंने कहा- मैं आपकी चूत को तो छू नहीं सकता.. तो इसे ही महसूस कर लेता हूँ। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | बहन ने बड़े प्यार से कहा- सब कुछ मिलेगा प्यारे भैया जी.. थोड़ा सब्र कीजिए, सब्र का फल मीठा होता है। वो खड़ी थीं और मैं उनकी बिना बाल की चूत को देख कर खुश हो गया। वाकयी में कमाल की चूत थी.. बिल्कुल पाव रोटी की तरह उभरी हुई और एकदम साफ.. दोस्तो, चूत को चाहे ऊपर से देखो.. चौड़ी करके देखो या पीछे से हर जगह देखो.. वो हर ओर से खूबसूरत लगती है। बहन खड़े हुए अपना कमीज ऊपर उठाए पकड़ कर खड़ी थीं.. तो मैंने थोड़ी चालाकी करते हुए उनसे कहा- इसे पकड़ कर आप थक जाएंगीं.. इसे भी निकल दीजिए ना.. इस पर वो मेरा कान पकड़ कर बोलीं- आप बड़े ही होशियार हो.. सब कुछ आज ही देखना चाहते हो क्या? मैंने कहा- अगर आप की मर्जी हो तो.. इस पर उन्होंने बोला- आज सिर्फ नीचे का ही देखने का लाभ मिलेगा.. बाकी फिर कभी.. अब मैं समझ गया था कि अब वो पक्का ही चुदेगी। लेकिन मुझे बड़े ही सब्र से काम लेना था, कहीं हाथ आई हुई बाजी बिगड़ न जाए। दोस्तो.. ऊपर वाले ने चूत भी कमाल की चीज बनाई है.. ऊपर से देखो तो कुछ भी नहीं.. और चौड़ा करो तो क्या कुछ न उसमें समां जाए। मैंने बहन से कहा- ऐसे तो कुछ ठीक से दिखाई ही नहीं देता है.. आप प्लीज़ सोफे पर बैठ जाईए ना.. इस पर वो थोड़ा मुस्कुराईं और जाकर सोफे पर बैठ गईं। मगर उन्होंने अब भी टाँगें नीचे रखी हुई थीं.. तो मैंने कहा- बहन टाँगें तो ऊपर कीजिए। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | इस पर उन्होंने टाँगें ऊपर करके चौड़ी कर दीं.. अब मेरे सामने जन्नत का नजारा था.. पर मैं तो अभी और अन्दर जाना चाहता था। थोड़ी देर में उसे यूं ही ललचाई निगाहों से देखता रहा, फिर मैंने कहा- बहन इतना तो में पहले भी देख चुका हूँ.. कुछ और दिखाएं ना.. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो बोलीं- और क्या दिखाऊँ? मैंने कहा- अपनी चूत थोड़ी चौड़ी कीजिए ताकि मैं जन्नत का रास्ता देख सकूँ। इस पर वो हँस पड़ीं और बोलीं- आप जितने दिखते हो.. उससे कई ज्यादा शैतान हो भैया जी। मैंने कहा- मैं तो संत ही था.. आपकी इस चूत ने शैतान बना दिया। उस पर उन्होंने कहा- भैया जी ये वो कुँआ है जिसमें उतरने बाद कोई वापस नहीं आता। मैंने बहन से कहा- जो भी हो बहन मुझे इसमें उतरना है। इस पर उन्होंने कहा- जैसी आपकी मर्जी.. अब बहन पूरी तरह लाइन पर आ चुकी थीं। इतना कहते हैं कि उन्होंने चूत की दोनों फांके पकड़ कर अपनी चूत चौड़ी कर दी। मैं तो उनकी गुलाबी गली देखता ही रह गया.. एकदम गुलाबी और छोटा सा छेद। मैं यह सोच रहा था कि एक शादीशुदा और दस साल की बेटी की माँ की चूत का छेद इतना छोटा कैसे हो सकता है। मैं थोड़ा उनके नजदीक जाकर बिल्कुल उनकी चूत के पास बैठ गया। जैसे ही मैंने उसे छूने के लिए हाथ बढाया.. उन्होंने मुझे अपनी शर्त याद दिलाई। इस पर मैंने कहा- मैं उसे छूना नहीं चाहता.. मैं तो सिर्फ उसकी खुश्बू महसूस करना चाहता हूँ। इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। अब मैं जैसे ही अपनी नाक उनकी चूत के नजदीक ले गया और एक जोर की सांस ली.. आह.. एक अजीब सी खुश्बू मेरी नाक में भर गई। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उस खुश्बू में थोड़ी सी उनकी मूत की भी खुश्बू महसूस हुई क्यूँकि वो अभी-अभी ही मूत कर आई थीं.. पर क्या बताऊँ दोस्तो.. कितनी मादक और कमाल की महक थी। मैं थोड़ी देर उसे सूँघता ही रहा.. फिर मैंने चालाकी करके अपनी नाक से उनकी चूत का दाना छू लिया और वहाँ रगड़ने लगा। वो सिसिया कर बोलीं- भैया जी.. क्या कर रहे हो.. कभी चूत नहीं देखी क्या? मैंने कहा- इतनी करीब से तो कभी नहीं और इसकी खुशबू इतनी मस्त है कि मुझसे रहा नहीं जाता। इस पर उन्होंने अपने पैर थोड़े और फैला दिए.. ताकि उनकी चूत थोड़ी और चौड़ी हो जाए। अब मैंने नाक से उनका दाना रगड़ना शुरू कर दिया और इस बीच कभी-कभी उनके छेद में भी नाक घुसा दिया करता था। अब उन पर चुदाई का खुमार चढ़ने लगा था। जब भी मैं नाक से उनके दाने को रगड़ता.. उनकी एक हल्की सी ‘आह’ निकल जाती। दोस्तो, अभी भी उन्होंने अपने हाथ से अपनी चूत चौड़ी की हुई थी। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद उन्होंने चूत से अपने हाथ हटा लिए और मेरे सर पर रख दिए। उनके हाथ हटते ही मैं उनका मूड समझ गया और मैंने हाथों से उनकी दोनों टाँगें ऊपर उठा दीं और अपना मुँह उनकी चूत में घुसा दिया और मैं अपनी जीभ से उनकी चूत चाटने लगा। वो अब मदहोश हो रही थीं और कुछ-कुछ बोल रही थीं.. और जोर से मादक ‘आहें’ भर रही थीं, बीच-बीच में वो बोलती थीं- भैया जी क्या कर रहे हो। मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और अपना काम चालू रखा। दोस्तो, क्या बताऊँ.. चूत चाटने के बारे में.. क्या अद्भुत स्वाद.. क्या अद्भुत महक.. और क्या अद्भुत अहसास.. कोमल जाँघों के बीच में अपना सर घुसाने का.. आह.. अकथनीय अहसास है। इस क्रिया की हर एक चीज अवर्णनीय होती है। अब वो मेरा सर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थीं। इस बीच मैं कभी उनकी चूत के अंदरूनी होंठ काट लेता.. तो कभी उनका दाना.. मींज देता.. आह्ह.. क्या मस्त चूत थी मेरी बहन की..! बहन अब जोर-जोर से ‘आहें..’ भर रही थीं और गाण्ड उचका कर मेरा सर उनकी चूत पर दबाकर अपनी चूत चटवा रही थीं। इस दौरान अब बहन का भोसड़ा थोड़ा पानी छोड़ने लगा था.. मैं समझ गया कि आज मेरा नसीब खुलने वाला है और साथ में उनकी चूत का छेद भी। अब मैंने अपने दोनों हाथ से उनकी जांघें पकड़ कर सोफे में आगे को खींच लिया ताकि मैं अच्छे से उनकी चूत चाट सकूँ। क्या बताऊँ दोस्तो,.. उनकी चूत इतनी टेस्टी थी कि जी करता था कि कच्चा ही खा जाऊँ.. सो चाटने के बीच में मैंने अपने दांतों से धीरे से उनके दाने को काट लिया। इस पर उनकी ‘आह’ निकल गई और मुझसे बोलीं- ओह.. धीरे भैया जी.. सच में खा जाओगे क्या? थोड़ी देर में ऐसे ही चूत चाटता रहा.. अब उनकी चूत की खुश्बू और भी मादक हो गई थी.. क्योंकि अब उनकी चूत पानी छोड़ रही थी और वो अब आँखें बन्द करके इसका मजा ले रही थीं। इस बीच मैंने अपना लण्ड पैन्ट से बाहर निकाल दिया था.. जो कि अब पूरी तरह टाईट हो गया था, शायद उतना जितना पहले कभी नहीं हुआ था। अब मैंने अपने हाथों से उनकी चूत की दोनों फलक चौड़े किए और अन्दर तक जीभ घुसेड़ कर उनकी चूत चाटने लगा। इस बीच मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी। पहले तो वो थोड़ा कसमसाईं.. फिर अपनी टाँगें ऐसे चौड़ी कर लीं.. ताकि मुझे उसमें उंगली डालने में आसानी हो। मैं एक तरफ उनकी चूत चाट रहा था और एक तरफ उंगली डाल कर उनका जी-स्पॉट भी टटोल रहा था, अब वो पूरी तरह मेरे काबू में आ चुकी थीं और लगातार अपना पानी छोड़ रही थीं। जब वो चरमसीमा तक पहुँच जाती थीं.. तो गाण्ड ऊँची करके मेरा सर इतना दबा देतीं कि मुझे घुटन होने लगती थी। लेकिन दोस्तो, चूत के अन्दर घुटन का भी अपना एक अलग ही मजा है। मेरा पाठकों से एक ही निवेदन है कि अब तक आपने चूत नहीं चाटी.. तो आपने कुछ नहीं किया.. आपका जीवन व्यर्थ है और मेरी प्यारी बहन, आंटी और लड़कियों.. अगर अब तक आपने अपनी चूत नहीं चटवाई.. तो जरूर चटवाना। यहाँ पर मैं एक बात कहना चाहूँगा दोस्तो.. कि मैं हमेशा से ही लड़कियों को सेक्स के बारे में किस्मत वाला समझता हूँ क्योंकि वो जितनी देर चाहें सेक्स कर सकती हैं, लड़कियाँ जितनी बार चाहें चर्म सीमा पर पहुँच कर परम आनन्द लेकर अपना पानी छोड़ सकती हैं। हमें तो चोदते वक्त भी यह ख्याल रखना पड़ता है कि कहीं झड़ न जाएं.. वर्ना दोबारा लण्ड महाराज को तैयार होने में वक्त लग जाएगा और शायद चूत फिर चोदने दे या नहीं। दोस्तो, बीवियाँ तो अक्सर रात को दोबारा चोदने ही नहीं देतीं.. लेकिन मेरी प्यारी बहन की बात ही कुछ और है। मैंने सोचा शायद मैं सीधा बोलूँगा तो वो मुझे चोदने नहीं देगीं.. इसलिए कोई आईडिया लगाना पड़ेगा तो मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा। अब मैं अपने दोनों हाथों से उनके मम्मों को मसलने लगा। क्या कमाल के मम्मे थे.. दोस्तों एकदम मुलायम और नर्म.. बर्फ के गोले.. जो एकदम सफ़ेद और उत्तेजित अवस्था में सख्त हो जाने वाले मस्त चूचे थे। दोस्तो, चूत की तरह मम्मों का भी एक अलग ही मजा होता है। कुल मिलाकर ऊपर वाले ने औरत चीज ही अद्भुत बनाई है। उनकी चूत.. उनके मम्मे.. उनकी मटकती गाण्ड.. उनके मांसल मदमाते चूतड़.. उनकी मखमली त्वचा.. हर एक चीज अवर्णनीय होती है। थोड़ी देर बाद उन्होंने चुदास के चलते खुद ही अपनी कमीज़ ऊपर कर दी.. ताकि मैं अच्छे से उनके मम्मों को मसल सकूँ। अब मैं भी थोड़ी हिम्मत करके उनकी ब्रा ऊपर करके उनकी निप्पल की ट्यूनिंग करने लगा.. जैसे हम रेडियो में स्टेशन मिलाने के लिए किया करते थे। मुझे यहाँ अपनी बहन का स्टेशन सैट जो करना था। इस बीच मैंने थोड़ा आगे बढ़ते हुए उनकी नाभि को चूमना शुरू कर दिया। मैं कभी उनकी नाभि में जीभ घुसाता.. तो कभी चूत में घुसेड़ देता। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दोस्तो, वो सच में अब अपने आपे से बाहर थीं और मेरे काबू में आ गई थीं, वो अपनी आँखें बन्द किए हुए मजा ले रही थीं। मैंने चालाकी करते हुए अपने हाथ उनके पीछे ले जाकर उनकी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की.. लेकिन मैं नाकामयाब रहा। दोस्तो, मैं आज भी ब्रा के हुक नहीं खोल पाता हूँ.. पता नहीं ब्रा वाले भी क्यों ये हुक लगाते हैं। कुछ देर मैंने ट्राई किया.. लेकिन सफलता नहीं मिली.. तो बहन ने मेरे हाथ पकड़ लिए। करीब आधे घंटे बाद हम दोनों की नजरें एक हुईं.. उनकी आँखों में एक अजब सी चमक थी और चेहरे पर कातिल मुस्कान छाई हुई थी। मैंने कहा- बहन प्लीज़.. और वो मान गईं.. उन्होंने खुद अपना कुर्ता उतार फेंका और अपनी ब्रा खोल दी। क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या मदमस्त नजारा था। एकदम दूध जैसे सफ़ेद और मखमली भरे हुए मम्मे.. और उन पर काले मस्त अंगूर घमण्ड से तने हुए थे.. और उन पर अंगूरों को एक चौड़ा सा उसी की रंगत का घेरा साधे हुए था। मैं अब एक पल भी नहीं रुक सका और सीधे उनके दूधों को अपने मुँह में ले लिया। उनका एक निप्पल मेरे मुँह में था और एक हाथ में था। दूध का भी अपना एक अलग ही मजा होता है। हालांकि चूत चाटने जितना मजा नहीं आता.. लेकिन फिर भी कोई कम मजा नहीं होता। इस बीच वो मेरे सर को अपने मम्मों पर दबा रही थीं और इतने प्यार से मेरा सर सहला रही थीं कि मैं उनके इस प्यार से पागल हो रहा था। काफी देर तक उनके मम्मों को मसलने और चूसने के बाद मैंने उनके मम्मों से अपना सर हटाया और उनकी तरफ कामुक निगाहों से देखा। उन्होंने फिर से कातिल मुस्कराहट से मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रखके चूसने लगीं। कभी उनकी जीभ मेरे मुँह में तो कभी मेरी उनके मुँह में होती थी। सच में मैं जन्नत में था। मैंने अब उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए। वो भी बड़ी ही लज्जत से मेरे होंठ चूस और काट रही थीं। किस करते हुए ही मैंने चालाकी से अपना पैन्ट उतार दिया और लण्ड महाराज को आजाद कर दिया.. जो कि तकरीबन आधे-पौने घंटे से टाइट होके पैन्ट में फंसा हुआ था। मेरा लण्ड अब अपने पूरे उफान पर था और चूत में जाने के लिए बेकरार था। मैंने अब बहन को पीछे से पकड़ के सोफे पर लिटा दिया और उन पर चढ़ कर उन्हें बेतहाशा चूमने लगा.. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं इस दौरान अपना लण्ड उनकी चूत पर रगड़ रहा था और क्या बताऊँ दोस्तो.. तभी वो वक्त आ गया.. जिसका मुझे शिद्दत से इंतजार था। उन्होंने खुद मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के दरवाजे पर रख दिया, मैंने भी देर न करते हुए धीरे से अपना सुपारा अन्दर घुसा दिया। इस दौरान उन्होंने अपने आपको थोड़ा एडजस्ट किया.. जिससे उनकी चूत थोड़ा और खुल गई। मैंने भी थोड़ा और जोर लगा कर आधा लण्ड अन्दर डाल दिया। इस दौरान उनको थोड़ा दर्द हुआ.. तो उन्होंने चूमना छोड़ के मुझसे कहा- बस इतना ही भैया जी.. मैंने कहा- बहन अभी तो आधा ही गया है। तो वो बोली- क्या बोल रहे हो.. ये कैसे हो सकता है? मैंने कहा- खुद ही देख लो। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जैसे मैंने उनको दिखाने के लिए लण्ड निकालने की कोशिश की.. उन्होंने मेरी गाण्ड पकड़ कर अपनी पर खींचा और बोलीं- निकालो मत.. आज पहली बार इतना मजा आया है चुदाई में.. जब तक में न कहूँ.. निकालना मत.. वर्ना दोबारा कभी इसके दीदार नहीं होंगे।


कहानी जारी है दोस्तों कही मत जाईये और भी ढेर सारी कहानिया है मस्तराम डॉट नेट पर |


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दीदी की बिना बाल की चूत-1

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