प्रेषक: अजित
मेरा नाम अजित है, मेरी उम्र 28 साल की है, मैं पिछले सात सालों से पुणे की एक आई टी कम्पनी में एक ऊँचे पद पर काम कर रहा हूँ। मेरी शादी अभी तक नहीं हुई है, इसलिए कुंआरा होने के नाते मैं एक बूढ़े पति पत्नी के यहाँ, पेइंग गेस्ट की तरह रहता हूँ !
मैं कम्पनी के काम से जब भी अहमदाबाद आफिस आता हूँ तो अपने अहमदाबाद वाले घर में ही रहता हूँ ! लगभग डेढ़ महीने पहले जब कम्पनी ने मुझे एक संगोष्ठी के आयोजन के सिलसिले में अहमदाबाद के आफिस में पन्द्रह दिनों के लिए भेजा, तब भी मैं अपने अहमदाबाद वाले घर में ही रहा। उन पन्द्रह दिनों के दौरान मेरे साथ एक ऐसी घटना घटी जिसे मैं भूल ही नहीं पा रहा हूँ और मैं आप सभी को उसी घटना के बारे में बताना चाहूँगा ! अहमदाबाद में हमारा एक बहुत बड़ा घर है जिसमें मेरे माता व पिता जी और मेरा छोटा भाई अंकुर सह-परिवार रहता है। चार बेडरूम वाले इस घर में एक बेडरूम माता व पिताजी के पास है, एक बेडरूम को हमने गेस्ट रूम बना रखा है, एक बेडरूम छोटे भाई के पास है तथा एक बेडरूम मेरे लिए हैं !
मेरे छोटे भाई की शादी दो साल पहले ही रीना नाम की लड़की से हुई थी, लेकिन अभी तक उनके यहाँ कोई संतान नहीं हुई है। मेरे भाई अंकुर की उम्र 25 साल है और वह एक मल्टी नेशनल कम्पनी में नौकरी करता है। रीना की उम्र 23 साल है और वह बहुत ही सुन्दर है, उसके नैन नक्श बहुत तीखे हैं, उसकी आँखें बहुत आकर्षक तथा मतवाली हैं और रंग तो बहुत ही गोरा है ! उसके उरोज़ काफी बड़े और उठे हुए हैं, उसकी कमर बहुत पतली है और कूल्हे कुछ भारी हैं, उसके जिस्म का सही अंदाज़ा आप उसके पैमाने 36-26-38 से लगा सकते हैं ! वह कूल्हे मटकाती हुई हंसनी जैसी चाल में चलती है और अपने मनमोहक अंदाज़ में बात करके सब का दिल जीत लेती है ! घर के काम में बहुत निपुण है और सारा काम खुद ही करती है, माताजी को तो वह कुछ करने ही नहीं देती ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
डेढ़ महीने पहले मैं जब अहमदाबाद आया तो उस समय घर पर सिर्फ माताजी, पिताजी और रीना ही थे ! उन्होंने बताया कि अंकुर पन्द्रह दिन पहले ही कम्पनी काम से एक साल के लिए फ़िनलैंड चला गया था। जब मैंने घर में कदम रखा तो कुछ उदासी देखी क्योंकि हमेशा खुश रहने वाली रीना उस दिन बहुत गंभीर और चुपचाप थी। समय कम होने के कारण मैंने अपना सामान अपने कमरे में रख कर और फ्रेश होकर नाश्ता किया तथा आफिस चला गया। शाम को 6 बजे के बाद जब मैं घर लौट कर आया तो माताजी व पिताजी से घर में छाई उदासी के बारे में बात की, उन्होंने कुछ भी नहीं बताया और मेरी बात को इधर उधर की बात कर के टाल दी। (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
रात को खाना खाने के बाद जब माताजी व पिताजी सोने चले गए तब मैंने रीना से घर की उदासी का ज़िक्र किया और उसे सब सच सच बताने को कहा।
रीना पहले तो चुप रही फिर मेरे बार बार पूछने पर उसके आँखों में आँसू आ गये और वह सुबक सुबक के रोते हुए बोली कि माताजी अंकुर के जाने के बाद से ही रोज ही बच्चा ना होने का ताना मारती हैं और मुझे बुरा भला भी कहती हैं !
मैंने उसे समझाया कि इसमें ऐसी कोई गंभीर बात नहीं है और बड़ों की बात का बुरा नहीं मानना चाहिए ! इस पर वह बोली- माताजी मुझे हर बार बाँझ कहती हैं जो मुझे बहुत बुरा लगता है लेकिन मैं चुप ही रहती हूँ ! जब अंकुर ही अभी बच्चा नहीं चाहता और इसलिए वह कोंडोम का प्रयोग करते हैं और मैं उनके आदेश पर ही माला-डी लेती हूँ तो बच्चा कहाँ से हो !
मैंने उसे पूछा कि क्या उसने यह बात माताजी को बताई तो उसने कहा कि माताजी तो कुछ सुनने तो तयार ही नहीं हैं, बस एक ही बात कहती रहती हैं कि बड़ा तो सांड जैसा हो गया है पर शादी नहीं कर रहा और छोटे को बाँझ मिल गई है !
रीना की बातें सुन कर मुझे माताजी पर बहुत गुस्सा आया पर मैं उस गुस्से को पी गया और रीना को सांत्वना दे कर चुप कराने के लिए मैंने उसे अपने कंधे का सहारा भी दे दिया। वह काफी देर तक मेरे कंधे पर सिर रख कर बैठी रही और मेरी कमीज के बटनों से खेलती रही ! रीना के इस व्यवहार और बैठने के तरीके से मुझे बहुत झिझक महसूस हो रही थी, हमें उस अवस्था में बैठे देख कर कोई भी यह नहीं कह सकता था कि मैं उसका जेठ हूँ ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
कुछ देर बाद वह उठ कर अलग हो गई और हम दोनों अपने अपने कमरों में जाकर सो गए।
सुबह जब मैं आफिस के लिए तैयार हुआ तो रीना ने खुशी खुशी चेहरे पर मुकराहट के साथ मुझे नाश्ता कराया और आफिस के लिए विदा किया, उसके चेहरे पर रात जैसी उदासी नज़र नहीं आ रही थी तथा उसकी चाल में भी फुर्ती दिखाई दे रही थी !
शाम को जब मैं लौटा तो रीना ने सब को पकोड़ों के साथ चाय पिलाई और फिर बताया कि रात के भोजन में उसने चिकन बनाया है। पिताजी को चिकन बहुत पसंद था इसलिए वे बहुत खुश हो गए लेकिन माताजी बड़बड़ाती रहीं। जब मैंने रीना से पूछा कि उसने माताजी के लिए क्या बनाया है तो उसने बताया कि माँ के लिए उनकी मनपसंद कढ़ी-चावल बनाये हैं।
इस पर माताजी की भी बांछें खिल उठी और प्यार से कहने लगीं- मेरी यह बेटी तो मेरी पसंद को बहुत अच्छी तरह जानती है !
जब मैंने कहा कि चिकन के साथ नान और तंदूरी रोटी तो जरूर होने चहिये तो पिताजी ने कहा कि मार्किट में पप्पू ढाबे से ले आओ ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
रात को डिनर से पहले जब मैं नान और रोटी लेने को जाने लगा तो रीना ने कहा कि वह भी साथ चलेगी क्योंकि उसे सब्जी और घर का अन्य सामन भी खरीदना है।
इसके लिए उसने माताजी से इज़ाज़त भी ले ली और हम मार्किट के लिए निकल पड़े। रास्ते में रीना ने बताया कि रात को उसे रात में नींद नहीं आ रही थी, तब वह समय बिताने और बातें करने के लिए मेरे कमरे में आई थी लेकिन मैं जल्दी सो गया था इसलिए उसने मेरी नींद में खलल नहीं डाला और वापिस अपने कमरे में चली गई थी।
मैंने कहा- शायद पुणे से अहमदाबाद के सफर और दिन की थकावट ही जल्दी नींद आने की वजह होगी।
तब उसने पूछा- क्या आज तो आप जागते रहेंगे? मुझको आप के साथ कुछ बातें करनी हैं!
तो मैंने कहा- ठीक है, जब काम खत्म कर लोगी तब बैठक में आ जाना, वहीं बैठेगें !
तब रीना बोली- वहाँ नहीं, माताजी-पिताजी का कमरा बिल्कुल बैठक के साथ है और उनकी नींद में बाधा पड़ सकती है, या तो आप मेरे कमरे में आ जाना या फिर मैं आपके कमरे में आ जाऊँगी ! मैंने कह दिया- तुम दस बजे तक मेरे कमरे में आ जाना ताकि हम एक घंटे बातें कर के रात ग्यारह बजे तक सो जाएँ ! मुझे सुबह आफिस भी जल्दी जाना है !
उसने कहा- अच्छा ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
और जल्दी जल्दी घर का सामान खरीदने लगी !
तब तक मैंने भी पप्पू के ढाबे से नान और रोटियां लीं और हम घर वापिस आ गए।
रात नौ बजे हम सब ने साथ बैठ कर डिनर किया और फिर रीना मेज़ से बर्तन उठा कर रसोई में ले गई और बाकी काम समेटने लगी। पिताजी, माताजी और मैं बैठक में जाकर बैठ गए और टीवी देखने लगे, बातें करने लगे ! साढ़े नौ बजे रीना भी आ गई और माताजी-पिताजी को बताया- आपका बिस्तर ठीक कर दिया है, दूध गर्म करके रख दिया है, दोनों की नींद की दवाई दूध के गिलास के पास रखी है और रात के लिए पानी भी रख दिया है, अब आप लोग सोने जा सकते हैं !
यह सुन कर पिताजी-माताजी उठ कर अपने कमरे में चले गए और दरवाज़ा बंद कर के अंदर से चिटकनी लगा ली।
फिर रीना मेरी ओर मुड़ी और बोली- आप भी अब जाकर कपड़े बदल लें, मैंने निकाल कर बिस्तर पर रख दिए हैं, मैं भी थोड़ी देर में कपड़े बदल कर आपके कमरे में आती हूँ, फिर वहीं बैठ कर बातें करेंगे !
रीना के निर्देश को मानते हुए मैंने अपने कमरे में जाकर रात को सोने वाली निकर और टी-शर्ट उठाई और बाथरूम में जा कर बदल लिए। जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो रीना मेरे कमरे का दरवाज़ा खोल कर अंदर आ रही थी।
मैं बेड पर बैठ गया, उसे भी बैठने को कहा, उसने अंदर आकर दरवाज़ा भिड़ा दिया, तथा वह मेरे पास आकर मेरे बिस्तर पर ही बैठ गई। इधर उधर की बातें करते करते वो पुणे के और मेरे मकान मालिक के बारे में पूछने लगी, उसने मुझ से यह भी पूछा कि अगर मुझे पुणे में कोई लड़की पसंद है तो उसे बता दूं, वह पिताजी माताजी से बात करके रिश्ता पक्का करा देगी !
इसके बाद उसने यह पूछा कि क्या पुणे मेरी कोई स्त्री दोस्त है, जब मैंने उसे कहा कि कोई नहीं है, तो उसने अचानक वह सवाल पूछ लिया जिसके लिए मैं बिल्कुल ही तैयार नहीं था !
उसने पूछा- अगर आपकी कोई स्त्री दोस्त नहीं है तो अपने जिस्म का तनाव कैसे दूर करते हैं?
मैंने उससे सवाल किया- जिस्म का तनाव क्या होता है? तब रीना हंस पड़ी और बोली- आप भी बड़े बुद्धू हैं ! इतने बड़े हो गए लेकिन आपको जिस्म के तनाव के बारे में नहीं मालूम !
फिर रीना ने अपने हाथ की एक उंगली मेरे सिर को लगा कर बोली- एक होती है मेंटल टेंशन और वह यहाँ होती है !
और फ़िर अपनी उंगली को ऊपर नीचे की ओर हिलाते हुए मेरी निकर की ओर इशारा करते हुए बोली- दूसरी होती है फिजिकल टेंशन और वह वहाँ होती है ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
उसके निर्भीक सवाल और इशारे से मैं दंग रह गया लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया। रीना के पास जैसे हर जवाब पर एक सवाल तैयार था, वह फट से बोली- कैसे करते हैं वह मालिश? मुझे करके दिखाइये, अगर मुझे भी फिजिकल टेंशन हो जाएगी तो मैं भी वैसी ही मालिश कर लूंगी !
मैं हंस पड़ा और बोला- मर्दों के लिए मालिश अलग होती है और स्त्रियों की अलग, अगर तुम स्त्रियों की मालिश के बारे में जानना चाहती हो तो मैं तुम्हें इन्टरनेट से डाउनलोड करके ला दूँगा !
वह बोली- अच्छा ! मर्द कैसे मालिश करते हैं, यह तो करके दिखा दीजिए !
कहानी जारी है …. पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट और आप भी अपनी कहानी भेज सकते है मस्तराम डॉट नेट पर ….
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रीना की चूत की गहराई-1
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