प्यास इस शब्द का हमारी जिंदगी में बहुत उँचा स्थान है. किसी को राजनीति की प्यास है तो किसी को पैसे की प्यास है. और एक प्यास ऐसी है जो कभी बुझती ही नही और वो है जिस्म की प्यास. हम इस स्टोरी में कुछ ऐसे ही प्यासे इंसानो की बात करेंगे और स्टोरी एरॉटिक होने के साथ-2 एक लव स्टोरी का मज़ा भी देगी और मुझे यकीन है कि आप सब को इसे पढ़ने में मज़ा आएगा रोशनी सुबह-2 अपने घर से रेडी होकेर कॉलेज के लिए निकली थी. वो अपने घर से निकल कर अपनी एक दोस्त राजेशप्रोशनी के घर की तरफ जा रही थी. गाओं की गलियों में मटक-2 कर रोशनी कदम उठा रही थी और रोशनी ने इस वक़्त एक ग्रीन कलर का पटियाला शाही सलवार कमीज़ पहना था जोकि उसके जिस्म से सटा हुया था. अक्सर रोशनी टाइट सलवार कमीज़ या टाइट पाजामी सूट ही पहनती थी. पैरो में हाइ हील्स संदेल पहने होने की वजह से जब वो चल रही थी तो उसकी कमर इस माफिक थिरक रही थी कि देखने वाला बस देखता ही रह जाता था. परमात्मा ने उसे बनाया ही ऐसा था. गोरी चिट्टी , 5’8″ हाइट , 18 साल की उमर में 34-28-36 का कातिलाना फिगर. उपर से रोशनी के टाइट-2 कपड़े…ओह गॉड देखने वालो की जान निकालने के लिए ये हुस्न काफ़ी था लेकिन अभी तक रोशनी का कुँवारा हुस्न उन टच था. किसी भंवरे को कभी रोशनी ने अपने आस पास भी फटकने नही दिया था | (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |) स्कूल में बहुत से लड़को ने उसे प्रपोज किया मगर किसी भी लड़के का प्रपोज आक्सेप्ट नही हो पाया. ऐसा नही था कि रोशनी आक्सेप्ट करना नही चाहती थी बल्कि असल बात ये थी कि वो अपने घरवालो से इतना डरती थी कि उसकी हिम्मत ही नही हुई कभी किसी लड़के को इस नज़र से देखने की लेकिन जबसे उसने स्कूल छोड़ कर कॉलेज में अड्मिशन ली थी तब से ही उसमे बहुत चेंज आ गया था अब वो थोड़ा खुलने लगी थी. चोरी-2 अब लड़को को ताड़ना उसे अच्छा लगने लगा था. वैसे भी उसके घर में उसके मम्मी पापा ही थे उसका कोई भाई तो था नही इस लिए उसे किसी का ज़्यादा डर तो नही था. स्कूल में पढ़ते वक़्त भी उसे उसके मम्मी पापा ने कभी डराया या धमकाया नही था वो खुद ही बस डरती थी उनसे लेकिन अब कॉलेज में उसकी लाइफ बदलने वाली थी. वो तेज़-2 कदमो के साथ अपनी फ्रेंड के घर की तरफ बढ़ रही थी और रास्ते में अभी तक 3-4 लड़के उसके पास से गुज़रे थे और सभी ने वापिस पलट कर रोशनी के लहराते जिस्म का अपनी आँखो से बलात्कार किया था और एक लड़के ने तो उसे कॉमेंट भी दिया था मगर रोशनी इस सब की परवाह किए बिना अपनी दोस्त राजेश के घर पहुँच गई बल्कि उसे तो ऐसे सुन ना अब अच्छा लगने लगा था. रोशनी ने अपनी फ्रेंड को आवाज़ लगाते हुए कहा ‘राजेश मैं बाहर हूँ आजा जल्दी लेट हो गये आज’
राजेश बाहर आती उस से पहले ही उसका भाई सुमितप्रोशनी बाहर आ गया और बोला ‘अरे रोशनी तुम आ भी गई ये देखो अभी तक रेडी नही हुई’ (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
सुमितप्रोशनी राजेश का बड़ा भाई था उसका और राजेश का 1 साल का ही डिफ्रेन्स था और वो रोशनी और राजेश के साथ ही उनके कॉलेज में पढ़ता था और उन तीनो ने इसी सेशन में 1स्ट एअर में अड्मिशन ली थी. आख़िर राजेश तैयार हुई और वो तीनो अपने गाओं के बस स्टॉप की तरफ चल पड़े. उनका गाओं पंजाब में चंडीगढ़ के पास ही पड़ता था और वो तीनों मोहाली में एक सरकारी. कॉलेज में स्टडी करते थे. गाओं मैन रोड से थोड़ा पीछे था इसलिए उनके गाओं से शहर की तरफ जाने के लिए ऑटो या मिनी बसस की सुविधा थी. राजेश , रोशनी और सुमित तीनो बस स्टॉप की तरफ जा रहे थे. सुमित दिखने में काफ़ी अट्रॅक्टिव था. रंग ज़्यादा गोरा भी नही था लेकिन फिर भी उसका चेहरा अट्रॅक्टिव था. बाल कटवा रखे थे और चेहरे पे हल्की दाढ़ी और मूछ वो हमेशा रखता था. और हल्की दाढ़ी और मूछ उसे खूब जचती थी. उसके घर में उसके और उसकी बेहन राजेश के इलावा उसके मम्मी और पापा भी थे और वो दोनो टीचर थे और सुबह ड्यूटी चले जाते थे और शाम को वापिस आते थे. राजेश उसकी बेहन थी और अपने भाई की तरह ही वो भी बहुत सुन्दर थी. सुमित का रंग यहाँ इतना गोरा नही था वही पे राजेश एकदम गोरी और चिकनी थी और साथ ही साथ बहुत सेक्सी भी. अभी तक रोशनी और राजेश साथ ही पढ़ी थी और रोशनी के बिल्कुल उलट राजेश शुरू से ही बिंदास टाइप की लड़की थी. स्कूल में पढ़ते वक़्त उसका 2 लड़को के साथ चक्कर रह चुका था और दोनो ही लड़के राजेश के होंठो का रस तो बहुत बार पी चुके थे लेकिन किसी का हाथ उसकी सलवार के नाडे तक गया हो इसका कोई पक्का सबूत नही था. हालाँकि स्कूल में अक्सर लड़के बातें करते थे कि एक लड़के ने राजेश की ली है मगर कोई यकीन से नही कह सकता था. सच क्या था ये तो अब तीन लोग ही जानते थे. राजेश , वो लड़का और भगवान.
राजेश ने आज ब्लॅक कलर का पाजामी सूट पहना हुआ था. उसके कमीज़ में येल्लो कलर की लाइन्स थी. वो बहुत ही सेक्सी दिख रही थी. कॉलेज में उसके और रोशनी के पहले दिन से ही चर्चे थे मगर अभी तक किसी की हिम्मत नही हुई थी प्रपोज करने की. वो तीनो बस स्टॉप पे पहुँचे और बस का वेट करने लगे. जल्दी ही बस आई और वो तीनो उसमे चढ़ गये. सुबह के वक़्त हमेशा बस में भीड़ रहती थी और बस आस पास के गाओं में से घूम कर आती थी तो रोज़ जाने पहचाने चेहरे ही बस में होते थे. सुमित सबसे आगे खड़ा था और उसके पीछे राजेश और रोशनी खड़ी थी बस अपनी रफ़्तार से चल पड़ी. सुमित की नज़रें किसी को ढूंड रही थी और जल्दी ही उसकी तमन्ना पूरी हो गई थी क्यूंकी उसकी आँखों ने वो देख लिया था जो वो देखना चाहती थीं. जेसे ही उसने उनसे कोई 4-5 सीट्स आगे सीट पे बैठ राजेश और रोशनी की फरऔर और क्लासमेट सुनीता को देखा तो उसका दिल खुश हो गया. सुनीता एक बहुत ही शरीफ और इनोसेंट लड़की थी और उसकी ये शराफ़त ही सुमित को इतनी अच्छी लगी थी कि वो मन ही मन उसे दिल दे बैठा था लेकिन सुनीता को अभी तक कोई ऐसा अनुभव नही हुआ था और वैसे भी वो एकदम अलग लड़की थी शुरू से ही वो इन झमेलो से दूर रही थी और अपने माता पिता की एक अच्छी और संस्कारी लड़की थी. वो दिखने में बहुत ही सुंदर थी इसमे कोई शक नही था मगर वो हमेशा सिंपल बनकर रहती थी ज़्यादा बन ठन कर घूमना उसे संस्कारों के खिलाफ लगता था लेकिन वो नही जानती थी कि उसकी ये सिंप्लिसिटी ही सुमित को इतनी भा गई थी कि अब वो अपने एक तरफ़ा प्यार में ही उसके लिए सभ कुछ कुर्बान करने के लिए भी तैयार था.
बस अपनी रफ़्तार से चल रही थी कंडक्टर आया और उसने सुमित को टिकेट्स दी और रोशनी और राजेश को घूरता हुआ सेक्सी स्माइल के साथ आगे निकल गया. उसकी स्माइल देखते ही राजेश ने रोशनी को छेड़ते हुए कहा ‘लट्टु है तेरे पे बंदा’
रोशनी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए जवाब दिया ‘चुप कर्जा तू समझी’ (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |) बस कॉलेज पहुँची और वो सभी नीचे उतर गये. राजेश और रोशनी ने सुनीता को हग किया. सुनीता और सुमित की नज़रें एक पल के लिए मिली और फिर सुनीता पलट कर रोशनी और राजेश के साथ कॉलेज के अंदर जाने लगी. कॉलेज के गेट पे ही रोज़ की तरह कुछ सीनियर’स जोकि पक्के नशेड़ी थे वो इन तीनो परियो को आता देख एक दूसरे को इन्हे देखने का इशारा करने ल्गे. जैसे ही वो तीनो पास से गुज़री तो एक ने फ़िकरा कसा ‘अरे देख ना क्या चाल है बीच वाली की’
उन तीनो के बीच रोशनी चल रही थी. जेसे ही रोशनी ने सुना तो वो मन ही मन बहुत खुश हुई लेकिन उसने शो नही होने दिया और अपनी चाल को और मस्तानी कर दिया. ऐसे कॉमेंट्स तो रोज़ की बात थी. राजेश और रोशनी को तो ये अच्छे भी लगते थे लेकिन सुनीता को ये बिल्कुल भी अच्छे नही लगते थे. सुमित पीछे अपने दोस्तो के पास रुक गया था और उनके साथ ही अब अंदर की तरफ जा रहा था. सुमित के ज़्यादा दोस्त नही थे बस सिर्फ़ 2 लड़को से ही उसकी ज़्यादा बनती थी और वो थे चीनू और गुरजोत. वो तीनो अच्छे दोस्त थे लेकिन उनकी दोस्ती में कितनी गहराई थी इसके बारे में कुछ नही कहा जा सकता था क्योंकि अभी नयी-2 दोस्ती हुई थी उनकी. वो तीनो सीधा अपनी क्लास की तरफ निकल गये.
कॉलेज में एक पार्टी और थी जिसका काम था सिर्फ़ गुंडागर्दी करना और नशे करना. इस पार्टी का लीडर था स्टीफन. स्टीफन अपने गाओं के सरपंच का लड़का था और एक नंबर. का निकम्मा और नशेबाज़ था. कॉलेज की हर सुंदर लड़की के उपर उसकी आँख रहती थी और बहुत सी लड़किया उसके नीचे से गुज़र चुकी थी और तो और एक मेडम भी उसके चुंगल से बच नही पाई थी और वो मेडम का नाम रमण था और सभी उन्हे रमण मॅम ही बुलाते थे. स्टीफन ने रमण मॅम को कॉलेज की लॅब में कॉलेज के ही एक लेक्चरार राजपूत सर के साथ नगन हालत में पकड़ लिया था बस तब से ही ये सिलसिला चला आ रहा था और रमण मॅम परम से चुदती आ रही थी. परम का गॅंग कॉलेज में मशहूर था कोई उनसे पंगा लेने की हिम्मत नही करता था और उसकी गॅंग में दो और स्टूडेंट थे जिनका कि कॉलेज में काफ़ी प्रभाव था और वो थे तेजवीर और समीर. ये दोनो लड़के और परम इन सब से सारा कॉलेज डरता था और कोई इनसे पंगा लेने की हिम्मत नही करता था. ये सब खुद तो नशा करते ही थे साथ ही साथ कॉलेज के बाकी स्टूडेंट्स को भी इस दलदल में खीच रहे थे. कॉलेज में कुछ स्टूडेंट्स ने एकजुट्ट होकर कयि दफ़ा स्टीफन गॅंग के खिलाफ आवाज़ उठाई थी मगर उनकी आवाज़ को सुना तक नही गया और उल्टा उन स्टूडेंट्स को स्टीफन की पिटाई का शिकार होना पड़ा था. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
सुमित , राजेश , रोशनी और सुनीता इन सब के लिए कॉलेज एकदम नया माहौल था अब देखना था कि वो इस माहौल में खुद को केसे अड्जस्ट कर पाते हैं.
सभी लेक्चर. ख़तम होने के बाद रोशनी , राजेश और सुनीता कॉलेज से निकल कर बस स्टॉप की तरफ चल पड़ी. सुमित उन्हे कहीं दिखाई नही दिया. राजेश ने उसे कॉल की तो पता च्ला सुमित पहले से ही बस स्टॉप पे उनका वेट कर रहा था.
स्टीफन और पार्टी कॉलेज के गेट पे ही खड़ी थी और हर आने जाने वाली लड़की को ताड़ रही थी. तभी तेजवीर की नज़र मटक-2 कर उनकी तरफ आ रही 3 लड़कियों के उपर पड़ी ये कोई और नही रोशनी , राजेश और सुनीता ही थी. उसने उन्हे देखते ही अपने बाकी दोनो दोस्तो परम अंड समीर को कहा ‘अरे आ रही है’
स्टीफन और समीर ने उस तरफ देखा जिस तरफ से वो तीनो आ रही थी और वो दोनो भी उन्हे देखते ही रह गये. जैसे ही वो तीनो उनके पास आई तो स्टीफन ने अपनी जगह से उठ कर उनके रास्ते में आते हुए कहा ‘हेलो जी कैसी हो’
रोशनी को स्टीफन की इस हरकत से बहुत गुस्सा आया मगर वो कुछ बोली नही क्योंकि स्टीफन के बारे में कॉलेज के कुछ ही दिनो में उन्होने सुन लिया था. वो तीनो नज़रें झुकाए आगे निकलने लगी लेकिन स्टीफन ने अपनी राइट आर्म उनके आगे करते हुए कहा ‘अरे यार मेरी बात तो सुनती जाओ’
उसकी आवाज़ सुनते ही वो तीनो रुक गई और स्टीफन के बोलने का वेट करने लगी. स्टीफन ने आगे कहा ‘मैं तो सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ कि आप जूनियर की सुरक्षा हम सीनियर’स का फ़र्ज़ है इस लिए जब भी आपको यहाँ कोई तंग करे तो सीधा हमे आकर बताना’ (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
रोशनी , राजेश और सुनीता ने स्टीफन के बारे में ऐसा तो नही सुना था जैसा कि वो बोल रहा था. फिर भी रोशनी और पार्टी को अच्छा लगा और रोशनी और राजेश ने मुस्कुरा कर उसे थॅंकस बोला. स्टीफन ने सुनीता की तरफ देखा वो बिचारी नज़रें झुकाए चुप चाप खड़ी थी. स्टीफन ने रोशनी और राजेश को हस्ता देख अपना हाथ आगे बढ़ाया और कहा ‘बाइ दा वे आइ म स्टीफन’
रोशनी और राजेश ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया और अपना परिचय दिया. स्टीफन ने सुनीता की तरफ हाथ बढ़ाया तो सुनीता ने भी डरते-2 उससे हाथ मिला लिया और वो तीनो आगे निकल गई. स्टीफन जैसे ही समीर और तेजवीर के पास आया तो वो बोले ‘वाह भाई क्या आक्टिंग की लगता है मछलिया फस जाएगी जाल में’
स्टीफन ने हाथ को सूंघते हुए कहा ‘यार मछलिया तो कयामत है कयामत’
फिर वो तीनो उन तीनो लड़कियों की मटकती गाऔर को घूरते रहे जब तक वो बस स्टॉप तक नही पहुँच गई. स्टीफन से दूर होते ही राजेश बोली ‘अरे यार ये तो अच्छा बंदा है लोग तो ऐसे ही ग़लत बोलते है इसके बारे में’
रोशनी बोली ‘इतनी जल्दी किसी पे विश्वास नही करते’
राजेश बोली ‘अरे मेरा मतलब् है कि पहली मुलाक़ात में तो अच्छा इंप्रेशन है ना उसका’
रोशनी हँसते हुए बोली ‘हां ये बात तो है’ (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
सुनीता उन्दोनो की बातों को सुन कर मुस्कुराती रही. आख़िर वो बस स्टॉप पे पहुँची और बस के आते ही सुमित को साथ लेकर उसमे चढ़ गई…..
कहानी जारी है …… पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट ….|
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देखो कितनी मस्त आइटम है-1
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