प्रेषक: अजित
रीना की चूत की गहराई-1
गतांग से आगे …. मैं बिस्तर से उठ कर बदन को हाथ से मल मल कर मालिश करके दिखाने लगा, तब वह बोली- मैं बदन का तनाव नहीं, जिस्म का तनाव दूर करने की मालिश देखना चाहती हूँ !
मैंने कहा- मैं वही तो दिखा रहा हूँ ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
तब वह बोली- यह तो बदन की मालिश है, जिस्म को तो आपने निकर में छुपा कर रखा है, उसे बाहर निकाल कर उसकी मालिश कैसे करते हैं, वह करके दिखाइए ! मैं उसकी बात सुन कर एकदम सन्न रह गया और अनजान बनते हुए कहा- मैं तुम्हारे कहने का मतलब नहीं समझा ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
तब वह आगे बढ़ी और दोनों हाथों से पकड़ कर झटके से मेरी निकर नीचे कर दी और बोली- यह है आपका जिस्म…म… म… म… म…, हाय दैया, यह तो बड़ा लंबा और मोटा है ! मैंने तो ऐसा आज तक देखा ही नहीं !
मैंने एकदम निकर को ऊपर कर ली और कहा- तुम इसे जिस्म कह रही हो, मैं तो उसे लौड़ा कहता हूँ !
वह तुरंत बोली- इसका नाम लौड़ा है, यह तो मुझे पता है पर अगर एक औरत इसे बोले तो उस के मुँह से गंवारपन झलकता है ! इसलिए मैं तो इस जिस्म ही कहती हूँ और कहूँगी भी !
मैंने कहा- यह बताने के लिए तुमने मेरी निकर क्यों नीचे की?
तो वह कहने लगी- मुझ इसे देखना भी तो था, अच्छा बताओ तो आपका जिस्म कितना लम्बा और मोटा है? मैंने कहा- खुद ही नाप लो ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
वह बोली- मेरी मदद तो कर दीजिए !
मैंने कहा- लो मैं निकर उतार देता हूँ, अब तुम नाप लो !
उसने मेरे लौड़े को पकड़ लिया और हिलाने लगी और बोली- इसे टेंशन में लायेंगे, तभी तो नाप पायेंगे !
मुझे उसकी इस हरकत से उसके इरादे का अंदेशा समझ में आ गया और मैं बोला- टेंशन में नापने का तरीका तो बहुत मुश्किल है और उसमे मुझे तकलीफ तथा थकावट भी होती है !
वह मेरे कहने का भाव समझ गई और बोली- इतना तो मुझे भी मालूम है लेकिन इतने बड़े जिस्म को टेंशन में नापने से कितनी तकलीफ तथा थकावट होती है मैं यह भी जानना चाहती हूँ ! क्या इसमें आप मेरी मदद नहीं करेंगे?
मैंने कहा- मदद तो कर दूंगा पर इसके लिए पहले मुझे वह औज़ार ढूँढना पड़ेगा जिससे इसे नापेंगे ! वह बोली- तो जल्दी से ढूँढिये ना !
इससे पहले वह कुछ और बोले, मैंने झट से उसकी नाइटी सिर के ऊपर से उठा कर उतार दी, वह मेरे सामने बिल्कुल नग्न खड़ी थी क्योंकि उसने नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था !
वह एक अप्सरा की तरह लग रही थी, गोल गोल उठी हुई चूचियाँ, उन पर काली काली डोडियाँ बहुत ही सुन्दर लग रही थीं !
उसकी चूत पर लगे नर्म और छोटे छोटे सुनहरे भूरे रंग के बाल तो मुझे पागल बना रहे थे !
मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके झाँका तो उसकी चूत मुझे दुनिया की सबसे सुंदर चूत लगी, मैंने उसे पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया उसकी चूत को बड़े ध्यान से देखने लगा, उसकी चूत के बाहर के होंठ बहुत ही पतले थे, अंदर के होंट तो और भी पतले और रेशम जैसे चमक रहे थे ! उसका भग-शिश्न एकदम गुलाबी और एक छोटे से मटर के दाने जितना था ! चूत को थोड़ा खोलने पर उसके अंदर झाँका तो गुलाबी रंग की एक मखमली गुफा नज़र आई जिसमे मेरे लौड़े को भी काफी आराम मिलने वाला था और उसे कोई खरोंच तक नहीं आने वाली थी ! इसके बाद मैंने उसकी चूचियाँ और चूत का कुछ देर और निरीक्षण किया तथा उस के बाद मैं उठ खड़ा हुआ लेकिन वह वैसे ही बिना हिलेडुले लेटी रही ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
जब मैं बोला कि ‘मैं दरवाज़े को चटकनी लगा कर आता हूँ !’ तब उसने कहा “चिंता की कोई बात नहीं, पिताजी-माताजी नींद की गोली खाकर सोते हैं और सुबह चार बजे से पहले हिलते भी नहीं, उनके अलावा हम दोनों ही तो हैं, फिर कैसा डर !
उसकी यह बात सुन कर मैंने चिटकनी लगाने का ख्याल छोड़ दिया और उसके पास लेट कर उसकी चूचियों और चूत को दबाने तथा मसलने लगा, वह सी सी करने लगी। (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
तब मैंने उसकी एक चूची को मुँह में डाल कर चूसने लगा तथा उसकी डोडी को दांतों से दबाने लगा, दूसरी चूची पर मैं हाथ रख कर उसकी डोडी को दो उँगलियों के बीच में घुमाने लगा। मेरी इस हरकत से वह बहुत गर्म होने लगी और खूब सी सी करने लगी तथा अपने हाथ को अपनी चूत के बालों पर घिसने लगी ! मैंने उसे ऐसा करने से रोकने के लिए उसके हाथ में अपना लौड़ा दे दिया ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
वह लौड़े को मसलने तो लग गई लेकिन उसे उसके अंदर की आग उसे परेशान कर रही थी इसलिए उसने मेरे कान में कहा- मेरे नीचे उंगली भी तो करिये ! मैंने अच्छा कह कर अपने हाथ की बड़ी उंगली उसकी चूत में डाल दी और अंगूठे को छोले के ऊपर रख कर हिलाने लगा !
फिर क्या था रीना के मुँह से उंह.. उंह.. उंहह्ह्ह…… और आंह.. आंह… आंहह्ह्ह्.. की आवाजें निकलने लगीं और वह उछलने लगी ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
पांच मिनट के बाद उसका बदन अकड़ गया और उसके मुँह जोर के आवाज़ निकली- उंईईईई माँआ आआ आआहह…… उंईईई माँआआ आहह्ह… मरगईई… और उसकी चूत से पानी फव्वारा छूटा और मेरा पूरा हाथ तथा आधा बाजू तक गीला हो गया !
मैंने अपने तुरंत अपने एक हाथ को उसकी चूत पर से, दूसरे हाथ को उसकी चूची से और मुँह को उसकी दूसरी चूची से अलग करके उठ कर बैठ गया और उसका चेहरा पकड़ कर उस के होंटों को चूम लिया और उससे पूछा- कैसा लगा?
वह बोली- “बहुत बहुत अच्छा, मेरे पास इस अनुभव का विवरण करने के लिए शब्द नहीं हैं, मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गई थी, मैंने आज तक अपनी चूत में इतनी तेज खिंचावट महसूस नहीं की और इससे पहले मेरी चूत ने कभी इतना ज्यादा पानी भी नहीं फेंका ! देखिये तो आपके हाथ और बाजू भी गीले हो गए हैं, सारी चादर भी गीली हो गई है ! यह सब कैसे हुआ यह तो आप ही बता सकते हैं, लगता है आपके हाथों में कोई जादू है जो आपने मुझे इतना सुखद आनन्द दिया ! मैंने उसे उठा कर अपनी गोदी में बिठा दिया और मेरा लौड़ा उसकी गांड को छूने लगा, तब उसे याद आया कि वह तो मेरे लौड़े के नाप की बात कर रही थी, जो मालिश के कारण उत्तेजना और आनन्द में भूल गई थी।
वह तुरंत बोली- अब तो इसका नाप बता दीजिए, प्लीज़ !
मैंने कहा- पहले बताओ कि अंकुर का जिस्म कितना लम्बा और मोटा है, यह तो उसके जिस्म से छोटा ही होगा !
वह बोली- नहीं, यह तो उनके जिस्म से छोटा नहीं है, यह तो बहुत लम्बा और मोटा है ! उनका जिस्म तो सिर्फ छह इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा है ! आप का तो मुझे सात इंच लम्बा और दो इंच मोटा लगता है !
मैंने कहा- तुम गलत हो, मेरा जिस्म तो आठ इंच लम्बा है और दो इंच मोटा है, और इसका सुपारा ढाई इंच मोटा है !
वह बोली- हाय राम, इतना बड़ा, यह जब अंदर जायेगा तो बहुत तकलीफ देगा ! मैंने उसे उठा कर अपनी गोदी में बिठा दिया और मेरा लौड़ा उसकी गांड को छूने लगा, तब उसे याद आया कि वह तो मेरे लौड़े के नाप की बात कर रही थी, जो मालिश के कारण उत्तेजना और आनन्द में भूल गई थी। (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
वह तुरंत बोली- अब तो इसका नाप बता दीजिए, प्लीज़ !
मैंने कहा- पहले बताओ कि अंकुर का जिस्म कितना लम्बा और मोटा है, यह तो उसके जिस्म से छोटा ही होगा !
वह बोली- नहीं, यह तो उनके जिस्म से छोटा नहीं है, यह तो बहुत लम्बा और मोटा है ! उनका जिस्म तो सिर्फ छह इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा है ! आप का तो मुझे सात इंच लम्बा और दो इंच मोटा लगता है !
मैंने कहा- तुम गलत हो, मेरा जिस्म तो आठ इंच लम्बा है और दो इंच मोटा है, और इसका सुपारा ढाई इंच मोटा है !
वह बोली- हाय राम, इतना बड़ा, यह जब अंदर जायेगा तो बहुत तकलीफ देगा ! मैंने कहा- कहाँ अंदर जायेगा?
वह बोली- मेरी गुफा में जायेगा और कहाँ !
मैं बोला- अब यह गुफा क्या है?
वह बोली- वही जिसे आप चूत कहते हैं लेकिन मैं तो उसे गुफा कहती हूँ !
यह सुन कर मैंने कहा- मेरा ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है ! तुम्हारी संकरी सी गुफा में डालूँगा तो वह फट जायेगी और मेरा यह छिल जाएगा तो मैं क्या करूँगा !
वह बोली- एक बार डाल कर तो देखिये, फिर पता लगेगा कि यह मेरी गुफा में कितना फिट आयेगा !
मैंने कहा- फिट होगा या नहीं, इसका पता लगाने के लिए एक रास्ता है, तुम इसे मुँह में ले लो और जितना अंदर डाल सकती हो डाल लो ! अगर तो तुम इसे सारा अंदर डाल लोगी तब मैं समझूँगा कि यह जिस्म तुम्हारी गुफा में फिट हो जायेगा !
यह सुन कर रीना मेरी गोद से उठ कर नीचे बैठ गई और मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में गड़पने लगी ! जब मैंने उसे समझाया कि ध्यान से अहिस्ते अहिस्ते अंदर डालेगी तो पूरा अंदर चला जाएगा, तब उसने मेरे कहे अनुसार अंदर डाला और वह सारा का सारा उसके मुँह और गले के अंदर तक चला गया ! इसके बाद रीना ने मेरे लौड़े को बाहर निकला और खुशी से उछलते हुए मुझे कहा- देखा आपने, यह तो अब मेरे मुँह में बिलकुल फिट हो गया, अब तो आपको इसे मेरी गुफा में फिट करना ही पड़ेगा ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
मैंने कहा- पहले हम मेरे जिस्म और तुम्हारी गुफा को तैयार तो कर लें, इसके लिए तुम मेरे जिस्म को चूसो और मैं तुम्हारी गुफा को !
फिर क्या था रीना उलटी हो कर लेट गई और अपनी चूत को मेरे मुँह के ओर कर दिया तथा मेरे लौड़े को अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी। मैंने भी उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया और उसके छोले को कस कर चाटने लगा, उसकी चूत के बाहरी और अंदरूनी होंटों को चूसने लगा तथा उसकी मखमली गुफा में जीभ घुसा कर घुमाने लगा। मेरा यह आक्रमण रीना को बहुत भारी पड़ा, उसका बदन पांच मिनट में ही अकड़ने लगा और उसकी चूत से पानी का फव्वारा छुट गया। उसी समय, मैं भी बहुत देर से अपने पर रखे हुए नियंत्रण को खो बैठा और मैंने उसके मुँह में अपने रस की धार छोड़ दी। हम दोनों अपने अपने हिस्से का अमृत पी कर उठ बैठे और एक दूसरे को आलिंगन करके लेट गए।
कुछ देर बाद रीना ने फिर लौड़े को उसकी गुफा में फिट करने की बात कही तो मैंने कहा- जाओ कंडोम तो ले आओ !
वह बोली- कंडोम नहीं हैं, वो तो अंकुर ने खत्म कर दिए थे ! उसके जाने वाले दिन तो हम दोनों को तीन बार तो बिना कंडोम के चुदाई की थी ! अब जल्दी करिये और बिना कंडोम के ही इस गुफा को चोद दीजिए ! मैं माला-डी खाती हूँ इसलिए कोई खतरा नहीं है।
यह सुन कर मैंने रीना को पीठ के बल लिटा दिया, उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रख दिया और उसकी टांगें चौड़ी करके उनके बीच में बैठ गया और अपने सुपारे को उसके छोले पर रगड़ने लगा। दस मिनट तक ऐसा करने से उसकी गुफा में हरकत आ गई और मेरा जिस्म भी तन गया ! फिर मैंने उसकी गुफा के होंटों को फैलाया और अपने जिस्म के सुपाड़े को रीना की मखमली गुफा के मुँह पर टिका कर हल्का सा धक्का मारा क्योंकि गुफा बहुत गीली हो चुकी थी और जिस्म खाने के लिए मुँह खोले तयार बैठी थी, इसलिए मेरे हल्के से धक्के से ही मेरे जिस्म का पूरा सुपारा रीना की गुफा में घुस गया !
वो एकदम चिल्लाई- हाईई… मरर… गईई…, आपने तो मेरी गुफा ही फाड़ दी, हाईईई.. माँआआ.. मैं.. मर गईई, मुझे बचाओ इस लोहे के डंडे से, इसने तो मेरी गुफा फाड़ के रख दी है ! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
मैं कुछ देर के लिए रुक गया और रीना को शांत होने दिया !
जब वह शांत हुई तो मैंने कहा- फिट करवाना है या बाहर निकाल लूँ?
कहानी जारी है …. पढ़ते रहिये मस्तराम डॉट नेट और आप भी अपनी कहानी भेज सकते है मस्तराम डॉट नेट पर ….
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रीना की चूत की गहराई-2
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