All Golpo Are Fake And Dream Of Writer, Do Not Try It In Your Life

एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-2


प्रेषक: मुकेश


एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-1

गतांग से आगे …..पिछली रात, मैंने 4 बार मूठ मारा था और पिछले कुछ घंटों में मेरा 3 बार निकला था.. एक बार तो सिर्फ़ आंटी की चूत देख कर, एक बार उनके मुँह में और एक बार आंटी की चूत में.. सही पूछिए तो, मैं इतना थक गया था की मुझे बेहोशी जैसी आ रही थी.. खैर, फिर शाम को जब मैं उठा तो फ्रेश हो कर छत पर वॉक करने लगा.. तभी, आंटी का कॉल आया तो आंटी ने पूछा – कैसा है, मेरा मुकेश… मैंने कहा – बस आंटी, अभी भी यही सोच रहा हूँ की मैंने आपको सच में चोदा है या ये सपना था… आंटी ज़ोर से हंस पड़ीं और बोलीं – मुकेश बाबू, इतने मज़े लूटे और अब कह रहे हो की सपना है… और हम दोनों ही हंस पड़े..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर मैंने पूछा – आंटी, अगला खेल कब खेलेंगें…

आंटी – अभी नहीं, मुकेश… अंकल की कल से नाइट ड्यूटी है तो अब जल्दी मौका नहीं मिलेगा…

और मैं उदास हो गया तो आंटी बोलीं – आज ही तो चोदा है, मेरे मुकेश… अब थोडा सब्र कर ले…

मैं – नहीं आंटी… सब्र ही तो नहीं होता… मुझे तो हर जगह आपकी ही गुलाबी चूत और निप्पल दिखाई दे रहे हैं… मेरा तो खड़े खड़े अब (लण्ड) दुखने लगा है…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

आंटी – चल हट… रखती हूँ… बाय… इधर, मैं तो आंटी को चोदने की लिए बुरी तरह तड़प रहा था..

आंटी जब भी दिखतीं, उनको पकड़ कर चोद डालने का मन करता था..

फिर उन्हीं दिनों, आंटी मेरे घर आईं और मम्मी से बातें करने लगीं..

तभी मम्मी को कोई और भी मिलने आ गया और मम्मी बाहर चली गईं..

मैंने मौका देखा और आंटी को अपने रूम में ले आया..

मैं – अब कहाँ जाओगी बच कर, आंटी जान…

आंटी – मुकेश छोड़ो… कोई देख लेगा…

मैं कहाँ आंटी की सुनने वाला था..

मैंने आंटी को लीप पर, कस कर किस करने लगा और ज़ोर से मम्मे दबाने लगा..

वाह यार, क्या मज़ा आ रहा था.. इतने दिन बाद तो मौका मिला था..

तभी आंटी ने किस करना बंद किया और बोलीं – आराम से मुकेश… मुझे पता है तुम प्यासे हो, पर आराम से करो…

मैंने सॉरी बोला और फिर शुरू हो गया..

आंटी फिर सिसकारियाँ भरने लगीं – आहsss आहsss अहहहाहा आह अह आ आ अहहा… इयै याया आ आ या अय हेया… आह आह अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः आह… आराम से मुकेश… आ आ आ आ s s s s s s s s s… इनहया याः इया या या या या या ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… और फिर मम्मी ने आवाज़ दी तो आंटी चली गईं..

मैं तुरंत अपने कमरे का दरवाजा लॉक करके, मूठ मारने लगा और उस दिन फिर से मैंने तीन बार मूठ मारी..

शाम को आंटी का कॉल आया तो आंटी ने पूछा – क्यूँ मुकेश… कितनी मूठ मारी, आज…

मैं थोडा शरमा गया और बोला – क्या करूँ, आंटी… मैं चुदाई के लिए, तड़प रहा था…

तभी आंटी बोलीं – चल, ठीक है… कल 1 बजे, घर आना… मेरे पास तेरे लिए सरप्राइज है…

तो मैंने पूछा – सही में… बताओ ना, क्या है…

वो बोलीं – बोला ना… अभी नहीं, कल…

अब मैं सोच सोच कर, पागल हो रहा था की क्या सरप्राइज है..

फिर जब मैं उनके घर गया तो मैंने देखा की वो एकदम अकेली थीं और घर पर कोई नहीं था..

मैंने पूछा – आंटी, भैया कहाँ है…

तो वो बोलीं – वो, स्कूल गये हैं… 15-20 मिनट में आएँगे…

ये सुनते ही, मैं समझ गया की क्या सर्प्राइज़ है और मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचा और बाहों में ले कर बोला – सर्प्राइज़ तो, बड़ा मस्त है…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

वो बोलीं – तुझे पसन्द आया ना… लेकिन, अभी सिर्फ़ मम्मे तक ही क्यूंकि चोदने के लिए टाइम नहीं है…

मैंने बोला – ठीक है… और उन्हें बेड पे गिरा दिया..

आंटी – ओउच!! आराम से, मुकेश…

ये मुकेश सुनते ही, मुझे फिर से जोश आ गया और मैंने अपनी टी शर्ट निकाल कर उनके ऊपर आ गया और उन्हें लीप किस करने लगा और मम्मे दबाने लगा..

और फिर मैंने आंटी के सूट में हाथ डाल कर, ब्रा खोल दी और उनके मम्मे के निप्पल को जैसे ही छुआ तो मानो जैसे एक नया जोश आ गया हो..

मैंने निप्पल को कस के मसला तो आंटी चीख पड़ीं – आँहम्ह… मर गयइ… आराम से…

मुझसे रहा ना गया और मैंने उनका सूट और ब्रा उतार दी और उनके मम्मे देख कर तो पागल सा हो गया..

ऐसा लग रहा था की मैं उन्हें पहली बार देख रहा हूँ..

अब आंटी बोलीं – ऐसे क्या देख रहा है… पहली बार देख रहा है, क्या…

मैं हंस पड़ा और आंटी पे टूट पड़ा..

मेरे मुंह में आंटी का एक बूब था और दूसरे को हाथ से दबा रहा था..

आंटी – आह हह आ आ आ आह ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ आ आ आ आह उंह ह ह ह ह आह इहह स स ह ह मुकेश..

तभी मैंने उनकी निप्पल को काट लिया तो आंटी चीख पड़ीं – आँह ह ह ह ह आ आ हह आ हुम्म आ आ आ आ…

मैंने उनके मुंह पे हाथ रखा और लीप किस करने लगा..

तभी अंकल की बायक का हॉर्न सुना तो हमने अपने कपड़े पहने लिए और अलग बैठ गये और मैं अंकल से नमस्ते बोल कर वहां से चला आया..

फिर घर पर आ कर, आंटी के नाम की मूठ मारने लगा..

मूठ क्या मारी, एक दो बार हिलाया और अपने आप ही निकल गया..

दिन यून्हीं निकलने लगे और इसी तरह आंटी के बारे में सोच सोच कर, मैं उन्हें चोदने के लिए तड़पने लगा.

ऐसा करते करते, एक महीना हो गया जब मैंने पहली बार आंटी को चोदा था..

आप में से बहुत से लोग समझते होगें की किसी को पहली बार चोदने के बाद दूसरी बार चोदने की जो तड़प होती है, वो साली मिटती ही नहीं है..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

लेकिन, मेरी ये तड़प जल्दी ही मिट जाने वाली थी.. उसके कुछ ही दिन बाद, दोपहर को आंटी का कॉल आया..

मैं – हैलो, आंटी जान…

आंटी – क्या कर रहे हो, मुकेश बाबू…

मैं – कुछ नहीं आंटी, अपनी किस्मत को कोस रहा हूँ…

आंटी – क्यों…

मैं – मेरे सामने मस्त वाली मिठाई है पर खाने का मौका नहीं मिल पा रहा… अब आप ही बताओ, मैं क्या करूँ…

आंटी – तू मुझे मिठाई बोल रहा है, रे…

मैं – अरे वाह!! आंटी, आप तो बहुत समझदार हो…

आंटी – वो तो, मैं हूँ…

मैं – आंटी मेरा (लण्ड) फट जाएगा… प्लीज, कुछ करो ना…

आंटी – अरे बाबा!! इसलिए तो कॉल किया है… सुन…

मैं – बोलो, बोलो…

आंटी – मेरी पूरा परिवार, कल रात को 2 दिन के लिए बाहर जा रहा है… शादी में… बस मैं और मेरी बेटी रुक रहे है क्यूंकि उसकी परीक्षा है… सो, तू अपना गुबारा फटने से बचा सकता है… पर हाँ, सिर्फ़ दिन में…

मैं – आंटी, क्या कह रही हो आप… आपने तो मुझे खुश कर दिया… ओह आंटी, आप बहुत अच्छी हो…

आंटी – चल, अब ज़्यादा खुश मत हो… रेडी हो जा, सेकेंड इनिंग के लिए…

मैं – अरे, मैं तो हमेशा ही रेडी रहता हूँ आंटी… पर आंटी, मेरी एक ख्वाहिश है…

आंटी – क्या…

मैं – आंटी, हम सिर्फ़ दिन में ही कर पाएँगे और मैं आपको एक बार, रात भर चोदना चाहता हूँ…

आंटी – बाप रे, रात भर… मैं तो मर ही जाउंगी…

मैं – आंटी, प्लीज कुछ करो ना… मेरी प्यारी आंटी…

आंटी – चल, अब मखन मत लगा… अच्छा कुछ सोचती हूँ… बाय…

मैं – बाय, आंटी…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

ये खबर सुनकर तो मैं फूला नहीं समा रहा था..

मैं बहुत ज़्यादा खुश था की मेरा इंतज़ार ख़त्म हुआ..

फिर, अगले दिन दोपहर को आंटी मेरे घर पर आईं और मम्मी से कुछ बात करके चली गईं..

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था..

खैर, उसके थोड़े देर बाद आंटी का कॉल आया..

आंटी – रेडी हो जा, मेरे मुकेश…

मैं – किस के लिए, आंटी…

आंटी – अरे, अपनी ख्वाहिश पूरी करने के लिए…

मैं – मतलब्…

आंटी – मैंने तेरी मम्मी से बात कर ली है की मैं अकेली हूँ और मुकेश को मेरे यहाँ सोने भेज देना…

मैं – क्या कह रही हो, आंटी… ओह आंटी, आपकी जितनी तारीफ़ करूँ, कम है…

आंटी – हाँ हाँ, ठीक है…

मैं – आंटी, मैं आज अपनी सुहाग रात मानना चाहता हूँ…

आंटी – मतलब…

मैं – मतलब, आप बिल्कुल दुल्हन की तरह तैयार होना, प्लीज़… मैं बेड सज़ा दूँगा और आप मेरे लिए दूध भी बना लेना…

आंटी – वाह मुकेश, तू तो बिना शादी के ही सुहाग रात के मज़े लेना चाहता है…

मैं – आंटी, प्लीज मना मत करना, प्लीज…

आंटी – अच्छा, ठीक है… पर यार, मेरी बेटी भी तो है…

मैं – आप उसे जल्दी सुला कर, दूसरे कमरे में लेटा देना…

आंटी – मैं तो परेशान हो गई हूँ, तेरी ख़्वाहिशों से… चल अब, बाय…

मैं – ओह!! आंटी, आप कितनी प्यारी हो… बाय बाय…

फिर, शाम को आंटी का परिवार शादी में चला गया और उसके कुछ देर बाद मैसेज आया की मुकेश, तुम 7 बजे घर आ जाना…

मैंने भी, ठीक है का मैसेज कर दिया..

फिर, मैं शाम के 7 बजे आंटी के यहाँ गया तो आंटी अपनी साड़ी सेलेक्ट कर रही थीं..

मैंने उनसे अंकल की बायक की चाबी लेकर, बाज़ार गया फूल लेने..

मैं बाज़ार से ढेर सारे लाल गुलाब ले आया..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

और आंटी को एक गिफ्ट दिया..

आंटी – मुकेश, इसमें क्या है…

मैं – खुद खोल के देख लो…

आंटी – इसमें तो लाल रंग की नेट वाली ब्रा पैंटी है…

मैं – हाँ!! आज आप यही पहनना…

आंटी – ठीक है, पर कंडोम लाए हो ना…

मैं – नहीं… आंटी, प्लीज ऐसे ही करने दो ना…

आंटी – मुझे पता था तुम यही कहोगे, इसलिए मैंने पहले अंकल के रखे हैं…

मैं – क्या, आंटी…

और मैं फूल फ्रिज में रखने चला गया और हॉल में टीवी देखने लगा..

उसके कुछ देर बाद, आंटी आई और कहने लगीं की उनकी बेटी सो गई है.. ये सुनते ही, मैंने आंटी को अपनी बाहों में ले लिया..

आंटी – अभी ही शुरू हो जाओगे… मुझे तैयार नहीं होने दोगे…

मैं – हाँ!! जल्दी तैयार हो… जब तक, मैं बेड सजाता हूँ…

आंटी – ठीक है…

मैंने थोड़ी ही देर में, पूरा बेड सज़ा दिया और आंटी का इंतेज़ार करने लगा.. लेकिन, आंटी को पूरे 2 घंटे लगे तैयार होने में..

जब आंटी आईं तो मैं उन्हें देखता रह गया..

क्या लग रही थीं, यार..

एक दम सेक्स की देवी..

लाल साड़ी, डीप कट का बैक लेस ब्लाउज और सबसे मस्त वो कमरधनी..

आज तो, उनसे नज़र नहीं हट रही थीं..

आंटी ने आज पूरा बॉडी वैक्स करा था..

तभी आंटी बोलीं – क्या देख रहा है… और, मेरे हाथ में दूध का गिलास दे दिया..

मैंने गिलास लिया और आंटी बेड पर घूँघट करके बैठ गईं..

मैंने दूध पिया और आंटी क पास गया और उनके पास बैठ गया..

फिर मैंने धीरे से आंटी का घुघंट हटाया और उनका चेहरा थोड़ा ऊपर किया..

आंटी तो सच में, बिल्कुल शरमा रही थीं.. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैंने आंटी क लीप पर एक सॉफ्ट किस दी और आंटी के कान पर अपने होंठ फेरने लगा और फिर आंटी के हाथ चूमने लगा..

फिर मैंने आंटी के हाथ से उनकी लाल चूड़ी उतार दी और फिर उनकी कान की बालियां भी उतार दी..

और फिर, मैंने आंटी के बालों को जैसे ही खोला तो आंटी बोलीं – मुकेश ह ह ह ह ह s s s s s s s s s…

फिर, मैंने आंटी क गले का हार निकाला और उन्हें बेड पे लिटा दिया और उनके ऊपर गुलाब की पंखुड़ियाँ डालने लगा..

और उनके ऊपर आ कर, उनके होंठो को चूसने लगा.. खूब चूसा..

आंटी हाफ़ने लगीं..

फिर मैं उनके पूरे चेहरे पे और उनकी गले पे किस करने लगा..

आंटी, मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं..

फिर मैंने आंटी का पल्लु हटा दिया और उनके एक मम्मे को ब्लाउज को ऊपर से दबाने लगा, ज़ोर ज़ोर से..

आंटी सिसकारियाँ भरने लगीं – आह आँह… फूह यान्ह… आ आ आ आ आ आ आ आ उंह… इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा… उफ्फ मा ह उंह आह… आराम से, मुकेश…

पर हमेशा की तरह, मैंने कुछ भी नहीं सुनी..

फिर मैंने उनका ब्लाउज खोला और उनकी ब्रा के ऊपर से मम्मे दबाने लगा..

उफ्फ!! क्या लग रहे थे, उनके बूब लाल नेट वाली ब्रा में..

आंटी – अन्म आह इस्स… आह आह अहहहाहा आह अह आ आ अहहा… इयै याया आ आ या अय हेया… आह आह अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः आह… आराम से, मुकेश… आ आ आ आ स स स स स स स स स… इनहया याः इया या या या या या ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… उई माआअ…

फिर, मैं आंटी की पीठ पे किस करने लगा और अपने मुंह से उनकी ब्रा खोल दी..

इसके बाद, मैंने उन्हें सीधा किया और ब्रा हटा दी..

आंटी के मम्मे देख कर तो मुझे नया जोश आ गया..

उफ्फ!! क्या मम्मे थे, यारों..

एक दम गोल और वो गुलाबी निप्पल तो पूछो ही मत..

जितनी बार भी देख लो.. ऐसा ही लगता था, जैसे पहली बार देखें हो.. मैंने उनके एक बूब पे अपनी जीभ जैसे ही रखी, आंटी की फिर से सिसकारी निकल गई – इस्स स स स स स… मुकेश र र र र र… नहीं स स स स स… उन्हम्मह म म म म म…

इधर, मैं उनके बूब को मुंह में ले कर चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा..

आंटी, लगातार आवाज़े निकाल रहीं थीं – उन्हम्म… इनयः इस्स उफ्फ फूहस आह हह आ आ आ आह उन्म आह आ हह आह… और ज़ोर से मुकेश… आह आह अहह… आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर, मैंने आंटी का निप्पल कटा तो आंटी चीख पड़ीं – आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ मुकेश र र र र र…

अब मैं आंटी की टुंडी पे किस करने लगा और उनकी कमरधनी को उतार दिया..

फिर, मैंने उनकी साड़ी को खींच कर उतार दिया और उसके बाद पेटीकोट भी निकाल दिया..

अब आंटी, सिर्फ़ नेट वाली पैंटी में थीं..

मैं चूत की खुशबु पा कर, महक उठा और चूत पे पैंटी के ऊपर से, जैसे ही जीभ लगाई तो आंटी ने तेज़ सिसकारी ली – उन्हम्म…

मैं चूत को ऊपर से ही चाटने लगा और फिर मैंने आंटी की पैंटी उतार दी..

क्या चूत थी वो..

दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़, दूसरी बार मेरे सामने थी..

थोड़ी सी साँवली और पूरी तरह सॉफ..

एक भी बाल नहीं और काँच की तरह चमकती हुई..

अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनकी चूत को बेतहाशा चाटने लगा..

क्या स्वाद था, यार.. मज़ा आ गया.. आंटी, अब बेकाबू हो रहीं थीं और मुँह से गालियाँ निकलने लगीं – मुकेश र र र र र… माँ की चूत त त त त त त… मार डाला रे तूने ने ने ने ने ने… उन्हम्म… और चाट मुकेश और चाट… खा जा, मेरी चूत… बहन चोद द द द द द द… तूने मुझे बदजलन औरत बना दिया रे, कुत्ते… और ये सब कहते कहते, वो मेरा सिर चूत में ज़ोर ज़ोर से दबाने लगीं..

किसी औरत के मुँह से, मैंने पहली बार गाली सुनी थी और मुझे नहीं पता था की किसी औरत के मुँह से गाली सुनने में इतना मज़ा आता है..

मैं बिल्कुल मस्त हो गया और आंटी की चूत में तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा और आंटी को बोला – आंटी, जब झड़ने वाली हो तो मुझे बता देना…

आंटी – हाँ हन न न न न न न… चूस अभी स स स स स…

मैंने अपनी उंगली की स्पीड और बड़ा दी..

और थोड़ी देर बाद, आंटी बोलीं – मुकेश र र र र र मैं आ रही हूँ..

और मैं आंटी का सारा रस पी गया.. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अचानक, आंटी बोलीं – मुकेश, मुझे पेशाब आ रही है…

मैं – ठीक है, आंटी…

आंटी – तूने देखा है कभी, किसी औरत को पेशाब करते हुए…

मैं – नहीं आंटी…

आंटी – देखेगा…

मैं – हाँ, आंटी…

आंटी हंस दी और मुझे अपनी टाँगों के बीच में बैठने को बोला..

मैं – आंटी, यहाँ पर…

आंटी – क्यूँ, क्या हुआ…

मैं – कुछ नहीं…

आंटी को पेशाब करता देखने के लिए, मैं मचल रहा था और आंटी सीन्ह.. की आवाज़ के साथ, लेटे लेटे पलंग पर ही पेशाब करने लगीं..

उनकी धार इतनी तेज़ थी की मेरे पेट पर टकरा रही थी..

फिर, मैं अपना लण्ड उनकी धार के नीचे लाया और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा..

मैं बता नहीं सकता, मुझे कितना मज़ा आ रहा था..

इधर, आंटी की धार रुकी.. उधर, मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी और मेरा मूठ सीधे आंटी की चूत के ऊपर जाकर गिरा..

मैं आंटी के बगल में लेट गया और फिर, उनको लीप किस करने लगा..

थोड़ी देर बाद, आंटी मेरे ऊपर आ गईं और मेरे सारे कपड़े उतार कर, मुझे बेतहाशा किस करने लगीं.

धीरे धीरे नीचे जाते हुए, वो मेरे लण्ड को मुंह में लेकर चूसने लगीं..

दोस्तो, उस दिन मुझे पता चला लोग लड़कियों से ज़्यादा शादीशुदा औरतों के लिए क्यूँ मरते हैं..

क्या मज़ा आ रहा था, मैं ना बता सकता हूँ ना लिख सकता हूँ..

खैर, मेरा लण्ड चूस कर, आंटी ज़ोर से मेरे लण्ड को हिलाने लगीं और बोलीं – मूत…

मैं – क्या आंटी… आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

आंटी – मूत ना…

मैं कोशिश करने लगा और आंटी मेरे लण्ड के छेद पर कुछ इस तरह उंगली घुमाने लगी की जल्द ही, मेरी धार निकल गई..

आंटी, पहले अपने गालों पर फिर अपने गले और दूध पर मेरी धार लेने लगीं..

पहली बार, मुझे एहसास हुआ की मूतने में भी इतना मज़ा आ सकता है..

ऐसा लग रहा था, मैं बस मूतता रहूं और आंटी ऐसे ही मेरी मूत से नहाती रहें..

खैर, एक दूसरे की मूत में नहाए हम 69 की पोज़िशन में आ गए और मैं उनकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लण्ड चूसने लगीं..

फिर मैं उठा और जाने लगा तो आंटी बोलीं – कहाँ जा रहे हो…

मैं बोला – अभी आया, आंटी… बस 1 मिनट में…

मैं किचिन में गया और फ्रिज में से रसगुल्ले और ढेर सारी चासनी ले कर, बेडरूम में आया..

आंटी ने पूछा – अब, ये क्या है…

तो मैं बोला की रसगुल्ले…

आंटी बोलीं – उफ्फ… अब इनका क्या करोगे…

मैंने कहा – बस आंटी, देखती जाओ…

आंटी बोलीं – तुम्हें कैसे पता की फ्रिज में रसगुल्ले हैं… तो मैंने कहा – मैं जब फ्रिज में फूल रख रहा था तो तब देखे थे…

फिर, मैं रसगुल्ले ले कर आंटी के पास गया और एक रसगुल्ला ले कर उसमें एक उंगली से छेद किया और उनके एक मम्मे की निप्पल में फँसा दिया..

ऐसा ही, दूसरे दूध में किया..

फिर, मैं उनके बूब से रसगुल्ले खाने लगा और धीरे धीरे निप्पल भी चबाने लगा..

आंटी आवाज़े निकालने लगीं – आईई उई उह्म… मुकेश… खा जा मेरी चुचियाँ…

फिर मैं उनकी चूत के पास आ गया और एक रसगुल्ला उनकी चूत के अंदर रख दिया और दूसरा उनकी चूत के ऊपर और आस पास रगड़ दिया..

अब मैं चासनी से सनी उनकी चूत चाटने लगा..

आंटी – आहम्म उईईए सस्स्शह…

और जैसे ही, मैंने उनकी चूत के अंदर का रसगुल्ला खाना शुरू किया आंटी ने अपनी जांघें फैला दी और मेरा सिर दोनों हाथ से दबाने लगीं और बोलीं – मुकेश, मार डालेगा क्या मुझे, आज… आआअहह… आहष्ह… उफ्फ्ह… तूने मुझे रांड़ बना दिया, साले… हाय!! क्या मज़ा आ रहा है, चुदाई के नंगे नाच में… असल चुदाई तो आज हो रही है… उंह इयाः

अब मैं उनकी टुंडी पे गया और उस पर चासनी भर के उसे चाटने लगा..

आंटी सिसकारी लेने लगीं.. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर आंटी मेरे लण्ड के पास आईं और उस पे चासनी लगाकर, उसे चाटने लगीं..

उफ्फ!! क्या मज़ा आ रहा था, यार..

आंटी बोलीं – मुकेश, कहाँ से लाते हो ऐसे आइडिया… तुमने तो मुझे अभी से ही खुश कर दिया…

मैं बोला – बस देखती जाओ, आंटी… और उन्हें बेतहाशा लीप किस करने लगा..

किस करते करते, मैं आंटी के मम्मे दबाने लगा…

आंटी – उन्हम्म… मुकेश, अब डाल भी दो… कितना तड़पएगा…

मैं बोला – जैसी आपकी मर्ज़ी, आंटी जान… अब मैं आंटी की चूत क पास गया और मूत और चासनी से सनी आंटी की चूत पर, अपने लण्ड का सुपरा रखा और एक तेज़ झटका लगाया तो लण्ड का सुपरा थोड़ा अंदर गया और आंटी चीख.पड़ीं – अहहआहम्म… मर र र र र र गई ई ई ई ई ई मुकेश र र र र र… आराम से मुकेश, आराम से… आ ह आ आ आ आ आ आ आ ह…

फिर मैंने एक और झटका लगाया तो.थोड़ा और लण्ड अंदर गया तो आंटी, फिर चीखी – मादार चोद द द द द द स स स स s s s… मार डालेगा, क्या या या आह आ आ आ ह ह ह ह ह…

अब मैंने एक झटका और लगाया तो पूरा लण्ड अंदर गया तो आंटी बोलीं – मुकेश रुक जा… मत डाल, यार… पता नहीं क्यूँ, आज बहुत दर्द हो रहा है…

मैं बिना कुछ बोले उन्हें लीप किस करने लगा और आंटी का दर्द शांत होने के बाद, मैंने शॉट लगाने शुरू कर दिया..

कुछ देर बाद, आंटी सिसकारियाँ निकालने लगीं – शाबाश… ऐसे ही मुन्ना, ऐसे ही… हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ… माँ की चूत… चोद, अपनी आंटी को… बना दे, मुझे बदजलन कुतिया… चोद दद चोद द दद चोद द द दद चोद द द द दद चोद द द द द द द द द द द… उफ्फ उन्हम्म म्म म्ह… इयाः उम्ह… आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ… आँह मुकेश जू ह ह s s s s s कब से तड़प रही थी, ऐसी मस्त चुदाई के लिए… इस्स स स स स स… मेरे बहन के लौड़े पति के सामने, रोज़ शराफत का ढोंग करना पड़ता है… माँ का लौड़ा, ऊपर आ कर 10 धक्के लगा कर, सो जाता है… अहंह मुम्ह या या या या… चोद चोद चोद चोद चोद चोद चोद… माँ की चूत त त त त त त त त ह ह ह ह… उसे क्या पता, चुदाई के वक़्त औरत रंडी की तरह चुदना चाहती है… अन्ह: मुकेश र र र र र र… किसी और ने नहीं रे, मेरे पति ने मुझे रंडी बना दिया… आहम्मइयाः उंह ह ह ह ह ह… चोद डाल मुकेश, मुझे चोद डाल… रंडी जैसे चोद मुझे… गाली दे मुझे, बहन चोद… और तेज़ मुकेश, और तेज़… फाड़ डाल, आज अपनी आंटी की… बक ना गाली, मुझे मादार चोद द द द द द द द द द द s s s…

फिर क्या था, जब आंटी ही बोल रही थीं तो मैं भी शुरू हो गया और आज तक जितनी गलियाँ सुनी थीं, सब उन्हें दे डालीं..

मैं – हाँ!! बहन की लौड़ी… तू है, छिनाल… साली, कोठे की कुतिया तेरी माँ की चूत… रंडी की औलाद, तू तो गालियों में नंगी घूम कर, सड़क के कुत्तो के निचे भी लेट जाएगी… तेरी माँ का भोसड़ा, रांड… बता, आज तक कितनो का लण्ड ले चुकी है… मुझे तो बहन के लौड़े, तेरे गांडू पति पर हंसी आती है… हरामजादी, नाटक तो ऐसे करती है रांड़, जैसे तुझसे शरीफ कोई औरत नहीं हो,.. असल में तो, साली तू कोठे वाली को पीछे छोड़ दे… माँ चोद डालूँगा, मैं तेरी आज… भोसड़ा तो तेरी चूत है ही… भोसड़ी का बाप बना दूँगा, तेरी चूत का… साली माँ की लौड़ी, तेरी माँ की चूत छीनाल… तुझे तो चार चार लण्ड से अपने सामने, चुदवा डालूँगा… आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

आंटी भी अब पूरे जोश में आ गईं और बोलीं – उन्हम्म… इनयः इस्स उफ्फ फूहस आह हह आ आ आ आह उन्म आह आ हह आह… जितनी तेरी झांट पर बाल हैं, उससे ज़्यादा लण्ड खा लिए हैं मेरी चूत ने… आहम्मइयाः उंह ह ह ह ह ह… मैं कब मना कर रही हूँ… चार क्या, चालीस लण्ड से चुदवा दे… बोला ले ना अपने किसी दोस्त को मादार चोद द द द द द द द द द द s s s… दोनों मिल कर मेरी गाण्ड और चूत चोदना… मज़ा आ जाएगा रे… उफ्फ उन्हम्म म्म म्ह… इयाः उम्ह… और ज़ोर लगा, तेरी माँ का भोसड़ा… आह आ आ आ ह ह ह ह ह…

मैं इतना ज़्यादा उकस गया था की इसके बाद, आंटी को 1-2 मिनट तक चोदने के बाद ही, मैं झड़ने वाला था तो आंटी से बोला की मैं आ रहा हूँ…

आंटी बोलीं – हाँ!! मुकेश… मैं भी झड़ने वाली हूँ… ज़ोर ज़ोर से चोद…

मैंने अपनी स्पीड बहुत बड़ा दी..

आंटी – उन्ह इनयः अहह माह हह ह ह ह ह ह ह… और तेज़ मुकेश… और तेज़…

और एक झटके के साथ, मैं झड़ गया…

और.. आंटी के ऊपर ही लेट गया… कसम से, आज समझ आया की चुदाई से ज़्यादा मज़ा और नशा, किसी चीज़ में नहीं.. बस, साथी आंटी जैसा बिंदास हो..

मैं ये भी समझ गया की शादी के बाद, मैं अपनी पत्नी से बिल्कुल खुल के रहूँगा..

वैसे ही बिंदास चुदाई किया करूँगा, जैसी आंटी के साथ करी.. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

नहीं तो, पता चले कुछ सालों बाद, कोई और मुकेश मेरी बीवी के साथ मज़े कर रहा है और मुझ पर हंस रहा है..

वैसे ग़लत भी क्या है, आंटी अपने पति के साथ ऐसी चुदाई कर नहीं पाती थीं..

मुतना, मुतवाना या गली गलोच तो दूर, चूत लण्ड भी नहीं बोल पाती होंगीं क्यूंकी भैया यही सोचते, साली मेरी बीवी कितनी चालू है.. तो फिर आंटी की भी क्या ग़लती..

खैर, कुछ देर बाद मैं बोला – कैसा लगा, आंटी…

आंटी बोलीं – तुम जैसा तो कोई नहीं चोद सकता…

फिर थोड़ी देर यूँही बातें करने के बाद, हम 69 की पोज़िशन में आ गए..

और, मैं आंटी की चूत चाटने लगा और वो, मेरा लण्ड चूसने लगीं..


कहानी जारी रहेगी दोस्तों एसी और भी हजारो कहानियां है मस्तराम डॉट नेट पर |


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एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-2

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