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प्यासी बहु की प्यास ससुर ने मिटाई-3


प्रेषिका: शिवांगी


प्यासी बहु की प्यास ससुर ने मिटाई-1 | प्यासी बहु की प्यास ससुर ने मिटाई-2

दोस्तों अब और आगे की कहानी…. उन्होंने बैंक में मेरे नाम पर 10000/- एफ़डी भी करवा दी और फिर एक दिन मेरा बेटा राजू उदयपुर से आया और हम कुछ दिन ऐसे ही सामान्य रहे।

पर उन्हीं दिनों एक दिन जब राजू सो रहा था और बाबू जी मेरे कमरे में आ गए और मेरे पास आकर मुझे छत पर ले गए, बोले- शिवांगी मेरी जान.. आज चाँदनी रात है आज यहीं छत पर तुम्हें चोदने का मन हो रहा है।

‘बाबू जी.. राजू यहीं है.. यदि उसको पता लग गया तो? नहीं.. नहीं… आप उसके जाने के बाद कर लेना, जो भी करना है।’

‘नहीं शिवांगी जानू.. प्लीज़।’

और वे मुझे पागलों की तरह चूमने लग गए।

मैं पेटीकोट-ब्लाउज में थी, उन्होंने वो भी खींच कर खोल दिए।

अब मैं कच्छी और ब्रा में थी।

‘बिल्कुल कयामत लग रही हो बहू रानी.. मेरी जान.. चाँदनी रात में चुदाई का मज़ा ही कुछ और है।’

‘कोई देख लेगा बाबू जी.. प्लीज़ नीचे चलो ना..’

‘नहीं बहू.. कोई नहीं देखेगा.. तुम मेरा साथ दो बस..’

मैंने भी वासना के वशीभूत होकर अपनी ब्रा का हुक खोल कर पिंजड़े में बन्द अपने कबूतरों को आजाद कर दिया।

मेरे दोनों बोबों को जो मेरी छोटी ब्रा में समा ही नहीं रहे थे, ससुर जी उनको चूसने लग गए और मेरी चूत में उंगली करने लगे।

अब वो भी नंगे हो गए और उनके लंड को मैंने हाथ में लेकर आगे-पीछे करने लगी।

मुझे भी मज़ा आने लगा और मैंने उनका लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

अब मुझे उनका लौड़ा बहुत टेस्टी लगने लगा था, चाँदनी रात में चुदाई के पहले चुसाई का असीम आनन्द मिलने लगा था।

‘आह.. जानेमन शिवांगी हय.. बहुत अच्छा चूसती हो.. तुम मेरा लंड आज बहुत मजे से चूस रही हो.. आह्ह…आ।’

फिर उन्होंने मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और अपना लौड़ा पीछे से मेरी चूत में ठूंस दिया और धकाधक चूत मारने लगे।

गली में कुत्ते भौंक रहे थे, रात के एक बज रहे थे और मैं अपने ससुर के साथ चुदाई करवा रही थी।

उस रात ससुर जी ने अलग-अलग आसनों में लिटा कर मुझे 4 बजे तक चोदा।

मैं थक गई और वो भी नीचे आकर अपने कमरे में जाकर सो गए। सुबह सब कुछ सामान्य रहा जैसे कुछ नहीं हुआ हो।

कुछ दिन बाद राजू वापस उदयपुर चला गया, उसकी छुट्टियाँ ख़त्म हो गई थीं।

फिर एक दिन में ससुर जी के साथ खेत पर गई थी।

हमारे पास खेत पर एक गाय भी है। जिसका ससुर जी ही दूध निकालते हैं।

‘बहू तुम्हें गाय का दूध निकालना आता है?’

‘नहीं बाबू जी..’

‘अच्छा बहू, मैं सिखाता हूँ तुझे.. इधर आ… बैठ मेरे पास नीचे..”

‘हाँ बाबू जी..’ मैं खेत पर घाघरे चोली में गई थी।

फिर ससुर जी ने मुझे दूध निकालना सिखाया। उसी वक्त बाहर एक बैल किसी दूसरी गाय के ऊपर चढ़ा हुआ था।

मैंने पूछा- बाबू जी, यह बैल गाय के ऊपर क्यों चढ़ा हुआ है?

‘बहू रानी.. तुम भी भोली हो, जैसे मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ कर चुदाई करता हूँ ना… वैसे ही यह बैल भी इस गाय की चुदाई कर रहा है। वैसे यह बैल नहीं साण्ड है।’

‘बाबू जी.. बाप रे… इसका तो…!’ मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया।

फिर मैं शरमा गई।

‘बहू साण्ड का इतना बड़ा ही होता है… मेरे जैसा.. क्यों बहू रानी शिवांगी..!’

ससुर जी अश्लील भाव से हँसने लगे।

मैं वहाँ से हट गई, मुझे कुछ कपड़े धोने थे, मैं धोने वाले कपड़े खेत पर लाई थी। खेत पर एक कुँआ है और वहीं एक छोटी सी कुण्डी बनी है जिसमें मैंने पानी भर लिया और मैं कुण्डी के पास बैठ कर कपड़े धोने लगी।

ससुर जी दूसरी तरफ़ देख-रेख करने चले गए।

कपड़े धोते-धोते मैं गीली भी हो गई थी और मुझे पता ही नहीं चला। तभी पीछे से मेरे ससुर जी ने आकर मुझे कुण्डी में धक्का दे दिया जिससे मैं पूरी पानी में भीग गई।

‘बाबू जी, ये क्या किया… आपने तो मुझे गीला कर दिया..!’

‘शिवांगी बहू, जिस दिन से तुमको घर पर नंगा नहाते हुए देखा, उस दिन से ही बड़ी इच्छा थी कि तुम्हें नहाते हुए देखूँ।’

‘नहीं.. बाबू जी, यह ग़लत बात है, हम लोग अभी घर पर नहीं… खेत पर हैं। आप घर पर चल कर कुछ भी कर लेना, बस अब इधर कुछ नहीं।’

‘बहू यही एक बार.. जान प्लीज़.. अपने पति की बात नहीं मानोगी?’

‘पति कौन?’

‘मैं और कौन?’

‘आप मेरे पति हो?’

‘हाँ शिवांगी..’

‘तब तो ठीक है।’

अब मेरे कपड़े उन्होंने खोल दिए, मेरे तन पर केवल घाघरा और चोली ही थी। तो उन्होंने मुझे अगले ही पल नंगा कर दिया और मुझसे बोले- शिवांगी, अब मैं भी नंगा हो जाता हूँ, अब दोनों साथ में ही नहाते हैं।

‘हाँ.. बालू राजा..आ जा!’

हम दोनों साथ में कुण्डी में उतर कर नहाने लगे।

‘शिवांगी, तेरे नंगे बदन पर पानी की बूंदें बहुत ही अच्छी लग रही हैं।’

‘बालू आपका भी…’

‘मेरा क्या? शिवांगी बोल ना.. इधर खेत पे हम दोनों की सिवा कोई नहीं है, तू खुल कर बोल रानी!’

‘आपका लंड भी पानी में सलामी देते हुए अच्छा लग रहा है।’

उन्होंने एक किलकारी मारी- वाह.. मेरी जान..

मुझे पानी में ही चूमने लग गए।

‘आह शिवांगी जान.. कितना गदराया हुआ माल हो तुम.. आह..’यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

उन्होंने मेरे दूध दबा कर मसलना शुरू कर दिया, मैंने भी उनके लौड़े से खेलना चालू कर दिया।

‘मेरी जान, आज तुमको जी भर कर चोदूँगा.. आह्ह..!’

‘तुम्हें मालूम है बालू, मेरे सनम, मैं कहीं जा रही हूँ क्या… प्यार से करो ना!’

तभी ससुर जी ने मेरी टाँगें अपनी कमर से लपेट लीं और अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया।

‘आह.. उमाआ.. क्या किया अन्दर भी पेल दिया….आहह..’

तभी उन्होंने मुझे कुण्डी के दोनों तरफ़ पाँव करके संडास करते वक़्त जैसे बैठते हैं वैसा बैठा दिया और पानी में ही मेरी चुदाई करने लगे। यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

मैंने तो आज तक ऐसा कोई आसन नहीं देखा या सुना था।

मेरा ससुर तो वात्सायन का भी गुरु निकला।

ससुर जी ने मुझे 20 मिनट तक खूब पेला, मुझे बहुत मज़ा आया।

फिर उन्होंने मुझसे कहा- ले चूस मेरा लंड.. आज इसका पानी तुझे पीना होगा।

उन्होंने मेरे मुँह और बोबों पर वीर्य छोड़ दिया।

मुझे बहुत मज़ा आया।

फिर हम लोग घर पे वापस आ गए। फिर ऐसे कुछ दिन गुज़रते गए।

एक दिन मुझे और मेरे ससुर जी को चुदाई करते हुए सुरेश जी ने देख लिया, वे मेरे मोहल्ले में ही रहते हैं और मेरे पति गोपाल के दोस्त हैं।

एक दिन जब मैं अपने कमरे में ससुर जी के साथ चुदाई करवा रही थी तो नीचे दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई, तो ससुर जी ने बोला- बहू तुम जाकर देखो शायद पोस्टमैन होगा।

तो मैंने पसीने में लथपथ तो हो ही रही थी। पेटीकोट को ऐसे ही टांगों पर चढ़ाया और ब्लाउज भी ऐसे ही पहन कर चुन्नी को साड़ी की जगह लपेट कर नीचे चली गई।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने मेरे पति के दोस्त सुरेश जी सोनी थे।

‘भाभीजी आप इतने पसीने में… कैसे कुछ काम कर रही थीं?’

‘नहीं.. वो कुछ नहीं बस कपड़े समेट रही थी… क्या हुआ?’

‘वो भाभी जी आपको खाना खाने शाम को हमारे घर पर आना है और भाभी जी आपके ससुर जी कहाँ हैं?’

‘वो ऊपर हैं, कुछ काम कर रहे हैं।’

‘अच्छा आप जाओ.. मैं दरवाजा बंद कर दूँगा।’

मैं तो भाग कर ऊपर आ गई। वो नीचे ही थे और चुपके से ऊपर आकर मैं ऊपर आते ही नंगी हो गई और बाबू जी के खड़े लंड पर जाकर बैठ गई।

‘ओह शिवांगी बहू बहुत ही मस्त.. आ..हह तुम आज के बाद अब नंगे ही रहना घर में।’

हमारी चुदाई बदस्तूर मुकम्मल हुई।

पर इसी बीच सुरेश जी ने हमको चुदाई करते देख लिया था और वे बुदबुदाते हुए चले गए, ‘ओह्ह.. हे भगवान यह मैं क्या देख रहा हूँ? एक ससुर अपने ही बेटे की पत्नी यानी भाभी जी को चोद रहा है और भाभी जी भी मज़े लेकर उनके लंड पर उछल रही हैं… वाहह क्या सीन है.. मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है..ये वही औरत है जो हमसे बोलने में भी हिचकती है.. घूँघट निकालती है और अपने ससुर जी से चुद रही है..’ यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

फिर रात हुई मैं सुरेश जी के घर पर खाना खाने गई।

‘आइए भाभी जी आइए.. आपका ही इंतजार कर रहे थे।’

‘क्या सब लोग खाना ख़ाकर जा चुके है?’

‘हाँ.. आप आइए।’

‘वो घर पर कुछ अधिक काम था और बाबू जी भी अकेले थे तो उनको दूध देके फिर अब आई हूँ।’

‘अच्छा चलो मेरे कमरे में यहाँ बैठिए।”घर पर कोई दिख नहीं रहा, बीना किधर गई है?’

बीना सुरेश जी की पत्नी है।

‘शिवांगी भाभी जी.. वो उसका कोई फोन आ गया था मेरे ससुराल से.. अभी तो वो कुछ देर पहले ही गई है।’

‘अच्छा सुरेश जी।’

मैं खाना खाने लगी। खाना बहुत ही अच्छा था, वो मेरे सामने ही बैठे मुझे भोजन कराते रहे।

‘अच्छा भाभीजी बताइए.. मैं कुछ लाता हूँ क्या लाऊँ?’

मैंने खाना खा लिया और जाने को हुई।

‘बैठो तो सही.. लीजिए भाभी जी सौंफ खाइए.. खाने के बाद अच्छा रहता है।’

मैंने सौंफ खाई।

‘कुछ देर बैठो ना.. मैं भी अकेला ही तो हूँ और आपको घर ही तो जाना है… चले जाना..।’

‘घर पर बाबू जी अकेले हैं।’

‘अरे आप कब-कब आती हैं। कुछ देर तो रूको।’

‘अच्छा ठीक है टीवी खोल दीजिए..’

उन्होंने टीवी चला दी, कोई मूवी आ रही थी। तभी उसमें गाना आया, हीरो हेरोइन चुम्मी करते बिल्कुल कम कपड़े में थे।

मुझे शर्म आ रही थी।

‘सुरेश भाईसा चैनल बदलिए ना.. सीरियल आ रहा होगा।’

‘हाँ.. तुम औरतों का बस यही है.. सीरियल दिखा दो.. दिन भर कितनी अच्छी मूवी आती हैं।’

हम दोनों हँसने लगे। यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

‘भाभी जी आपसे एक बात पूछूँ?’

‘क्या?’

‘गोपाल मेरा दोस्त, आपका पति आपको प्यार नहीं करता क्या?’

‘क्यों नहीं.. वो तो मुझसे बहुत प्यार करते हैं। आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?’

‘क्योंकि जब मैं आपके घर पर आया था, तो मैंने जो कुछ देखा उसको देख कर मुझे यही लगा, कि शायद गोपाल आपको प्यार नहीं करता है और जो कुछ मैंने देखा तो उसे देख कर तो मेरे पैरों तले ज़मीन निकल गई।’

‘क्या हुआ सुरेश जी…?’ मैंने डरते हुए पूछा।

‘वही जो एक मर्द और एक औरत अकेले में करते हैं। आप अपने ससुर जी से एक रंडी बनकर चुदवा रही थीं। बताओ क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ शिवांगी भाभीजी? बोलो?’

‘नहीं आप झूठ तो नहीं बोल रहे हो, वो मेरा कसूर नहीं है.. मैंने कुछ नहीं किया सुरेश जी.. मेरे ससुर जी बहुत ही बड़े चुदक्कड़ हैं।’ मेरे मुँह से ये सुन कर तो सुरेश जी बोले- वाह शिवांगी भाभीजी.. जो सच है वो बताओ.. नहीं तो मैं गोपाल को फोन करके अभी बता दूँगा।

‘नहीं सुरेश जी.. प्लीज़.. आपको मेरी कसम प्लीज़.. आप जो बोलेंगे.. मैं करने को तैयार हूँ।’

‘अच्छा जो बोलूँगा वो करोगी.. फिर एक बार सोच लो शिवांगी भाभी जी..!’

‘अच्छा बाबा.. हाँ.. सुरेश जी बस आप मेरे पति को कुछ नहीं कहोगे।’

‘अच्छा ठीक है भाभी जी.. तो जैसे तुम अपने ससुर जी रंडी की तरह से चुदवा रही थीं वैसे ही मैं भी आपको चोदना चाहता हूँ। मेरी दिल की बहुत दिन से बड़ी तमन्ना है।’

‘अच्छा ऐसा क्यों सुरेश जी.. मेरे से सुन्दर तो आपकी पत्नी है.. आप भी सुन्दर हो।’

‘लेकिन शिवांगी रानी वो तुम्हारे जितनी सुंदर और सेक्सी नहीं है।’

‘अच्छा सुरेश जी मैं क्या इतनी सेक्सी हूँ?’

‘और नहीं तो क्या शिवांगी… जब से तुमको आज ससुर जी से चुदवाते हुए देखा है, तब से ही तुम्हें रंडी बना कर चोदने का मन हो रहा है।’ यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

मैं चुप थी।

‘अच्छा तो आ जाओ ना.. नहीं तो कोई आ जाएगा.. शिवांगी ओह्ह शिवांगी कितनी मस्त माल हो तुम.. काश तुम मेरी पत्नी होती, तो मैं भी चुदाई करता और मेरे सब दोस्तों से भी तुमको चुदवाता और हम दोनों खूब पैसे कमाते।’

‘बहुत अच्छा, चुदवाने से पैसे मिलते हैं क्या सुरेश?’

‘हाँ.. मेरी रंडी शिवांगी ओह्ह कितनी सेक्सी आवाज़ है तेरी.. ले मेरा लंड मुँह में ले…. मेरा बाबू जी जितना मोटा तो नहीं है, पर बहुत लंबा है।’

सुरेश ने अपनी पैन्ट खोल कर अपना लंड हवा में लहरा दिया।

‘ओह्ह गॉड.. सुरेश जी इतना लंबा.. आपका तो बहुत बड़ा है।’यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

‘हाँ.. मेरी रंडी शिवांगी.. तेरे लिए ही लंबा हुआ है ये मेरी जान.. मुँह में ले रंडी।’

सुरेश ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचा।

‘तू रहने दे.. बाल क्यों खींच रहे हो.. लेती हूँ ना…’

मैंने सुरेश का लंड अपने मुँह में ले लिया।

‘अह अहह आपका लंड तो बहुत ही टेस्टी है।’

‘सुरेश मेरी जान मैं तो इस लंड से रोज ही चुदवाऊँगी।’

‘अहह हाँ.. रंडी रोज चोदूँगा तेरे ससुर और पति गोपाल के सामने भी ऐसे ही चोदूँगा..’

‘आह मेरे बोबे में भी रगड़ो न अपना लंड..’

‘आह अहोमूओआहह शिवांगी रंडी कितने मुलायम मम्मे हैं तेरे.. तुझे पता है तू जब बाजार जाती है तो ब्रा पहने हुए भी तेरे बोबे तेरे चूतड़ों की तरह बहुत हिलते हैं इस गाँव के सब लौंडे तुझे चोदना चाहते हैं।’

‘सुरेश जी अहह चाटना छोड़ो.. अब प्लीज़ मुझे छोड़ो.. मैं इतनी भी कामुक नहीं हूँ।’

‘आह ओह्ह आहहमूओुआ हय शिवांगी हय मेरी रंडी.. ओह्ह ले आ.. मेरी कुतिया..।’

मैं झट से कुतिया बन गई और सुरेश ने अपना लंड मेरी बुर में पेल दिया।

‘अहहुईमाआ.. सुरेश अहह निकालो प्लीज़.. अह..’

‘शिवांगी रंडी.. मेरी जान तूने अपने ससुर का लंड बहुत बार लिया है.. रंडी बता और किस-किस का लंड अपनी चूत में खाया है। शिवांगी मादरचोदी बहुत सती सावित्री बनती है तू घूँघट निकालती है रण्डी.. साली सब मोहल्ले की गाँव की औरतें तुझे सीधी समझती हैं और तू रंडी साली एक बहुत ही चुदासी औरत है। तू और तेरी चूत आह.. ओह्ह..ले..’

‘सुरेश जी.. आह.. ऐसी बातें मत कीजिए प्लीज़.. मेरी चूत में खुजली हो रही है…’

‘अहह.. ओह्ह शिवांगी आह मेरी रंडी.. आह आह ले मेरा लंड अब तुझे मैं रोज चोदूँगा।’

‘हाँ.. सुरेश आहह हाँ.. रोज चुदवाऊँगी.. बस अहह.. बहुत मज़ा आ रहा है आह..’

सुरेश ने मुझे लगभग 20 मिनट तक धकापेल चोदा।

‘आह रंडी शिवांगी.. मेरा..पानी निकलने वाला है किधर निकालूँ?’

‘आह मेरे बोबों पर आह..’

‘आह.. ले आज उउउमा ले आह ले आह…’

सुरेश और मैं दोनों ही झड़ गए और एक-दूसरे के ऊपर निढाल होकर लेट गए।

‘आह शिवांगी बहुत खुश कर दिया तूने..’

फिर मैं भी उठ गई।

‘सुरेश जी मुझे बहुत देर हो गई, घर जाना है.. नहीं तो बाबू जी को मुझ पे शक हो जाएगा कि मैंने आपके साथ कुछ किया होगा तो देर हो गई है।’

‘अरे कुछ नहीं कहेगा तेरा ससुर.. बस तुझे चोदेगा और क्या.. मेरी रंडी।’

‘क्या सुरेश जी अब तो मुझे रंडी मत बोलो ना.. आपने जो बोला वो मैंने किया। अब तो कुछ नहीं कहोगे ना मेरे पति को प्लीज़?’

‘हाँ.. नहीं कहूँगा.. लेकिन मैं जब भी बोलू तब मुझसे चुदाई करवानी होगी।’

‘हाँ.. ठीक है मैं आ जाऊँगी.. बस अब जाऊँ?’

‘नहीं.. अभी एक राउंड और चोदूँगा।’

यह कर सुरेश ने मेरे पपीतों को जोर से अपने मुँह में भर लिया।

‘आह प्लीज़.. आराम से.. आह बोबों को काटो मत ना.. अभी घर जाऊँगी तो मेरे ससुर जी इन मम्मों को कटा हुआ देख कर मुझसे हजार सवाल पूछेंगे।’

अभी हम अपनी चुदाई में ही लगे थे कि मेरे ससुर मुझे ढूँढ़ते हुए यहाँ आ गए और खिड़की से हमको चुदाई करते हुए देख लिया।

वे एकदम से अन्दर आ गए।

‘ओह्ह सुरेश तुम बहुत बदमाश हो, तुमने मेरी बहू को खराब कर दिया।’

‘साले बालू तुम भी तो पापी हो, मेरी रानी को उसके पति के होते हुए चोदते हो।’

मेरे ससुर जी चुप हो गए और सुरेश भी चुप हो गया।

फिर अचानक सुरेश मुझसे मुखातिब होकर बोला- साली तू पापिन है, तू ही अपने ससुर और पति के दोस्त के साथ चुदाई कर रही हो?

‘मैं क्या करूँ.. इसमें मेरा क्या कसूर? जब मेरा पति मेरी चूत का ख्याल नहीं रखता तो और नहीं चोदता है, तो दूसरे तो चोदेंगे ही ना मुझे.. मैं ही ऐसी तो वो क्या करें।’

मेरी बात सुनकर वे दोनों हँसने लगे।

सुरेश ने अपना लंड हवा में लहराया और कहा- ले चूस मेरा लंड शिवांगी..

मैं भी अपने चूतड़ मटकाती हुई गई और सुरेश के लौड़े को अपने मुँह में ले लिया।

‘आहहह मुआ उमाम्मा आह.. अब चल दीवार के सहारे खड़ी हो जा.. आईने के सामने चल शिवांगी।’

‘आह्ह मार क्यों रहे हो.. प्लीज़ दर्द होता है।’

सुरेश ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके मेरी चुदाई शुरू कर दी।

‘वाह मेरी बहू रानी.. मैं सोच रहा हूँ वहाँ सुरेश के घर पर खाना खा रही होगी तू यहाँ उल्टा सुरेश को खाना और दुद्दू पिला रही है। अब बहू मैं भी आ गया हूँ ना तुझे और तेरी लेने। बहू क्या मस्त लग रही है मेरी जान।’

‘हाँ.. बाबू जी आपकी बहू तो बहुत हो सेक्सी माल है बिल्कुल एक रंडी है इसको आज हम दोनों चोदते हैं..’

‘हाँ सुरेश मैंने भी एक बार सोचा कि बहू को दो लौड़ों से चुदवाऊँ.. आज वो आस भी पूरी हो जाएगी।’

दोनों भूखे कुत्ते की तरह मुझ पर टूट पड़े।

‘आहझहह बाबू जी… आह बाबू जी।’

‘नहीं बालू बोल बहू रानी।’

‘आह सुरेश प्लीज़ धीरे ना.. तुम तो दो बार चुदाई कर चुके हो ना..’

‘आह शिवांगी रंडी.. लेकिन तू है ही ऐसी चीज़ कि छोड़ने का बिल्कुल मन नहीं करता। आज रात तेरी सुहागरात है शिवांगी!’

‘हाँ.. बहू रानी आह ओह्ह..’

एक ने मेरी गाण्ड में और दूसरे ने मेरी चूत में अपने-अपने लौड़े पेल दिए।

दोनों ज़ोर-ज़ोर से मेरी चुदाई करने लगे।

उस रात में 5 बार दोनों ने मिल कर मेरी चुदाई की।

चुदाई के बाद हम तीनों ऐसे नंगे ही सुरेश के घर पर सो गए।

सुबह मेरी 7 बजे नींद खुली, वो दोनों अभी तक सो ही रहे थे।

मैं उठ कर फ्रेश हुई, रसोई में चाय बनाने लगी।

तभी दोनों ने पीछे से नंगे ही आकर मुझे उठा लिया।

मैं डर गई कि अब पीछे से कौन आ गया।

‘ओह्ह शिवांगी रानी तुम नंगी बहुत ही खूबसूरत सेक्सी औरत लग रही हो।’

‘चुप करो बाबू जी.. अब चलो घर.. नहीं तो मोहल्ले वाले सोचेंगे कि हम ससुर-बहू सुरेश के घर पर क्या कर रहे हैं।

‘हाँ.. बहू चलते हैं।’ यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे रहे ।

‘नहीं शिवांगी और बाबू जी आज रुक जाओ ना बाद में चले जाना।’

‘नहीं बाबा.. अब और नहीं चुदवाना.. मुझे तो पूरा रंडी बना दिया आप दोनों ने।’

‘हाँ.. बहू तू तो है ही हमारी रंडी.. अब से रोज मैं और सुरेश दोनों चोदेंगे।’

‘अच्छा बाबू जी चोद लेना.. पर अभी तो चलो।’

‘हाँ.. किसी को बाहर पता नहीं चलना चाहिए, नहीं तो और बाहर से भी गाँव के, मोहल्ले के लोग आ जायेंगे। रंडी खाना बन जायगा आपका घर।’

‘तो उसमें क्या हुआ बहू? क्या पैसे तो देंगे ना वो सब।’

सुरेश और ससुर जी जोर-जोर से हँसने लगे।

फिर मैं और बाबू जी घर पर आ गए और बस तब से यह मस्ती चालू है जो अभी तक मेरे साथ चल रही है।


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