लीना की चुत काफ़ी गरम हो चुकी थी. उससे अब सहा नही जा रहा था. वो बोल पड़ी, “है जीजू, क्यों तडफा रहे हो. लंड हुमारी चुदसी चुत को दिखा रहे हो और उसको चुत के अंदर नही पेल रहे हो. अब जल्दी से अपने मूसल जैसे लंड को चुत मे घुसाओ, प्ल्ज़्ज़.‚
तभी अपने लंड को उसकी चुत की खाई के सामने रखकर उसकी दरार मे टीका दिया और एक ज़ोर का धक्का मारा की लीना के मूह से आनंद-भारी चीख निकल पड़ी. “है.. दैया.” लंड आधा एक ही धक्के मे चुत के अंदर घुस गया. दूसरे धक्के मे लंड पूरा का पूरा चुत के अंदर था. रवि ने धीरे-धीरे अपने धक्के लगाने चालू रखे. लंड चुत मे पिस्तन की तरह अंदर बाहर हो रहा था. उसका लंड चुत की गर्मी पाकर और फूल गया. लीना भी धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी. फिर अपने हाथ बढ़ा कर रवि ने लीना के मुममे को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया और धक्को की बढ़ता बढ़ा दी. लंड चुत की जड़ तक जा रहा था. रवि का लंड चुत के धक्के से एकदम बेकाबू हो उठा. रवि के मूह से आवाज़े आनी शुरू हो गयी.
“लो रानी… मेरे लंड के झटके… खाओ, खूब खाओ.. देखो तुम्हारी चुत की प्यास बाकी नही रहे.. लो यह लो.. ”
लीना की चुत धक्के पर धक्के खा कर अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया. “एस.. मेरे जीजू… उउफ्फ.. मरो धक्के.. और मरो धक्के… मेरी चुत से फिर से पानी निकल रहा है. तुम्हारा सख़्त लंड ही मेरा पानी इतनी जल्दी-जल्दी निकल पाया.” फिर भी रवि अपने धक्के मरने चालू रखा. वो भी अपना पानी निकलना चाहता था. लीना ने देखा की रवि इसी तरह छोड़ता रहा तो पानी उसकी चुत मे ही छोड़ देगा तो अपनी चुत को एक दम से हटा लिया. रवि चिहुनक पड़ा, “यह क्या रानी. मेरा पानी निकालने वाला था.”
“यही तो मैं नही चाहती की तुम मेरे अंदर झड़ो. मैं तुम्हारे वीर्या को अपने पूरे बदन पर झाड़वाना चाहती हूँ.”
“ऐसी बात है तो लो अपना मुहन खोलो और इसको चूसो. अब थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा मेरे झदाने का.”
लीना ने रवि के लंड को हाथ से पकड़ कर पहले अपने मुम्मो पर सहलाया फिर लेट कर उसके मूसल को अपने दोनो बूब्स के बीच डाल कर रवि से बोली, “लो जीजू, अब मेरे टिट्स को चोदो. अपने लंड को मेरे बूब्स की खाई मे डाल कर यहाँ भी अपना झंडा गाड़ दो.”
रवि अपने लंड को लीना के कबूतरो के बीच मे लाकर उसकी टिट- फक्किंग चालू कर दी. लेकिन जो टेंपो डॉग्गी-स्टाइल मे बना हुया था वो वापस नही बन रहा था. पानी निकलता नही देख उसने अपना ध्यान उसके कबूतरो पर टीका दिया.
“मेरी प्यारी साली, अब इस टिट-फक्किंग के बाद तुम्हारी चुत की फिर एक बार चुदाई करूँगा. तेरे कबूतरो का जवाब नहीं…..तेरे बूब कितने मलाई जिट्नी चिकनी है…..और तेरे गुलाबी निपल्स…इनेह तो मैं खा जाऊँगा,” कहता हुआ अपने लंड को मुम्मो से निकाल कर उसके उपर टूट पड़ा और उसकी चुचियों को मसल मसल कर दबोचने लगा.
“प्लीज़ मेरी चुची को और ज़ोर से दबाओ, बहुत मज़ा आ रहा है. मुझे नशा सा हो रहा है. तुम मेरी चुची दबा रहे हो और मेरी चुत मे कुच्छ कुच्छ हो रहा है. है! तुम्हारा तो लंड भी अब वापस से कड़क हो गया है.”
लीना नीचे पड़ी पड़ी अपनी चुचियों की खाज मिटा रही थी. जीजू को पागल हटे देख उसकी चुत मे खाज शुरू हो गयी थी. अपनी चुत पर उसके लंड को रख कर अपने बदन को उसके बदन से जाकड़ लिया और कहने लगी, “मुझे चुत में आहूत…अया….खुजली हो रही है….. अब अपना चाकू मेरी चुत पे छाला दो…… मितादो मेरी खुजली….. मिताआओ.”
लीना को भी तड़फते देख अपने लंड को उसकी चुत के उपर रख कर एक ज़ोर से धक्का दिया और बोला, “ही! मेरी रानी, ले! लीईए! और ले, जी भर कर खा अपनी चुत मे मेरे लंड के धक्के.” फिर धक्के पर धक्के चालू हो गये. थोड़ी देर तक कमरे मैं केवल “अफ” “है” “श” की ही आवाज़े आ रही थी. तभी रवि और लीना दोनो एक साथ ही चीख पड़े. दोनो का ही पानी एक साथ च्छुतने लगा. दोनो निढाल हो कर पलंग पर लेते रहे और उसी हालत मे नींद आ गयी. सुबह लीना ने उठकर रवि को उठाया. रात की मस्ती झड़ी नही थी. एक बार फिर दोनो आपस मे लग कर चुदाई शुरू कर दी. रवि लीना को नीचे ले कर कस कस कर उसकी चुत को छोड़ना शुरू कर दिया. सिसकारीओं से कमरे का वातावरण काफ़ी मदहोश हो गया. लीना नीचे से हर धक्के का जवाब अपनी सिसकारी से दे रही थी.
“सचमुच तुम्हारा लंड तो बहुत लंबा और मोटा है. उस लड़की को बहुत मज़ा आएगा जो तुमसे चुदवाएगी,” लीना रवि से चुद़वति हुई बोली.
रवि कस-कस कर धक्के मराते हुए बोला, “हन जाने-बाहर, तुम्हारी चुत भी एक दम लाज़वब है. लगता है इसे छोड़ता ही जाऊं.”
नीचे से लीना सिसकारी मराते हुए बोली, “श! मेरे राजा और पेलो और पेलो अपनी रानी की छ्होट मे अपना मोटा लंड. आ! मेरी चुत तुम्हारा लंड खा कर निहाल हो रही है. ही! लंबे और मोटे लंड की चुदाई ही कुछ और ही होती है. बस मज़ा आ गया. हाँ हाँ, तुम ऐसे ही अपनी कमर उच्छाल उच्छाल कर मेरी चुत मे अपने लंड से धक्का माराते रहो. मेरी चुत को भी बहुत दीनो से शौक था तगड़ा और लंबा लंड खाने का. उसको और ज़ोर ज़ोर से खिलाओ अपना लंबा-तगड़ा लंड.”
लेकिन जल्दी ही ख़त्म हो गयी उनकी छुदाई. दोनो का पानी आधे मिनिट के फराक पर निकल गया. लीना ऐसी चुदाई पा कर मस्त हो गयी. रात की छोड़ाई से ज़्यादा कड़क छोडई उसे अभी वाली लगी.
हॉस्पिटल जाकर रीमा को देखने और समीरा को फ्री करने के कारण रवि को बिस्तर पर से जल्दी उतना पड़ा. बाथरूम मे जाने के बाद पता चला की बात्ट्च्ब का शवर और नाल दोनो खराब हो गये है. पानी नही आ रहा था. तो रवि यह कहकर निकल गया की मैं प्लमबर को भेज रहा हूँ. अगर जल्दी आ गया तो ठीक है नही तो समीरा को बता देना की प्लमबर से नाल ठीक करवाना है. रवि हॉस्पिटल जाकर समीरा को फ्री किया और बोला की घर पहुँचकर लीना को जल्दी भेज देना ताकि वो खुद ऑफीस जा सके.
समीरा घर पहुँची तो लीना बाथरूम से निकल कर अपने कप़ड़ बदल रही थी. बाथरूम मे स्टोरेज किए हुए पानी से उसने अपना काम चला लिया था. लीना के चेहरे पर च्चाय हुई खुशी को देखकर समीरा समझ गयी की रात भर क्या क्या हुआ होगा. फिर भी अंजान बनते हुए उसने लीना को च्छेदते हुए पूछा, “है मेरी जान, बड़ी खुश दिख रही हो. रात भर सोई नही थी क्या? लगता है जीजू ने बहुत परेशान किया है.”
“नही तो. ऐसी तो कोई बात नही है.”
“अच्छा हमसे ही नाटक.”
“जब कुच्छ हुआ ही नही तो क्या नाटक करूँ.”
फिर धीरे धीरे सारी बात रात की उगल दी लीना ने. समीरा और लीना रात की बात करते करते दोनो ही उत्तेजित हो गये. आपस मे अंजाने ही एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे. दोनो की चूटें अंदर की गर्मी से पिघलने लगी. तभी टेलिफोन की घंटी बाजी. लीना ने फोन उठाया.
“मैं रवि बोल रहा हूँ.”
“बोलो जीजू, मैं लीना बोल रही हूँ.”
“देखो प्लमबर को बोल दिया है. थोड़ी देर मैं आ जेएगा. लेकिन तुम जल्दी आ जाओ. मुझे कुच्छ मेडिसिन्स लाना है फिर मैं ऑफीस निकल ज़ाऊगा.”
लीना जल्दी ही हॉस्पिटल के लिए निकल गयी साथ मे कह कर गयी की बाथरूम का नाल खराब है, प्लमबर आएगा. समीरा मन मसोस कर रह गयी. रात मे भी मौका नही मिला ऑरा अब सुबह थोड़ी बहुत गर्मी शांत होती वा भी नही हुई. आख़िर चुत तड़फती ही रह गयी. वो उसे शांत करने के लिए जीजी की एक नाइटी पहन कर बाथरूम मे चली गयी. उससे बदन तो धक गया लेकिन गला काफ़ी खुला हुआ था और नीचे से भी घुतने के उपर तक ही थी. नाइटी को उतार कर जैसे ही नाल खोला तो ध्यान आया की वो तो खराब है. उसी हालत मे बैठी बैठी अपनी चुत को हाथ से सहलाने लगी. चुत को सहलाते-सहलाते उसे ध्यान ही नही पड़ा की दूर बेल कितनी देर से बाज रही है. फटा- फॅट नाइटी पहन कर बाहर निकली और गाते खोल दिया. सामने खड़ा था प्लमबर.
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