All Golpo Are Fake And Dream Of Writer, Do Not Try It In Your Life

सर प्लीज एक बार कर दीजिये


प्रेषक: दिनेश


हेलो दोस्तों मेरा नाम दिनेश है। और मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ। और में ग्रेजुएशन करके जैयपुर मैं नौकरी कर रहा हूँ। मेरी उम्र 26 साल है और सुंदर बॉडी है। मेरी लम्बाई 6,”3″ है। और ये सारी बात सच्ची है। मस्तराम डॉट नेट पर मैने बहुत सी कहानियां पड़ी है। तो मैने सोचा की एक घटना जो मेरी रियल लाइफ में हुई है। तो उसे भी आप सभी लोगों से शेयर क्यों ना करूँ मैं मस्तराम डॉट नेट का बहुत बड़ा फ़ैन हूँ। अब मैं अपनी सच्ची कहानी पर आ जाता हूँ। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ये घटना आज से 3 साल पहले की है। जब मैं गोरखपुर के एक कॉलेज से एमए कर रहा था। तो उस वक़्त मैं सिर्फ़ कुछ बनना चाहता था। इसलिए फालतू किसी से बात नही करता था। उन्ही दिनो हमारे पडोस में एक नये किरायेदार आये हुए थे। उनके परिवार में सिर्फ तीन ही लोग थे। उस परिवार में दो तो बच्चे और एक उनकी माँ थी। उनकी माँ कही पर नौकरी करने जाती थी। और दोनों बच्चे पढने स्कूल जाते थे। उनकी एक बड़ी लड़की थी जिसका नाम मुन्नी था। और छोटा भाई उसका नाम रविकेश था। मुन्नी हमेशा मेरी बहन से मेरे बारें मैं कुछ ज़्यादा ही बात करती थी। जो की मेरी बहन मुझे अक्सर बताती थी। लेकिन मैने कभी इन बातों पर इतना गौर नही किया। मुन्नी जब भी मुझे देखती थी तो घूरती रहती थी। लेकिन मैं उससे कभी बात नही करता था। एक बार मेरी बहन मुझसे बोली भैया वो मुन्नी आपसे ट्यूशन पढ़ना चाहती। वो मुझसे कई बार यह बात कह चुकी है। थोड़ा उसे केमिस्ट्री पढ़ा दो प्लीज। मैने उसे सोचकर कहा की ठीक है। तुम कल से उसे यहाँ भेज दो बहन ने कहा ठीक है। दोस्तों क्योंकि मैने अपनी पढ़ाई पीसीएम से की थी। इसलिए उसने मुझे केमिस्ट्री पढ़ने के लिए बोल दिया और क्योंकि बेसिकली मैं उत्तराखंड से हूँ तो यहाँ की लड़किया ब्यूटी होती और थोड़ा मेकप कर ले तो फिर बात ही क्या हो?

वैसे तो मुन्नी भी बहुत खूबसूरत थी। और उसकी उम्र 20 साल की होगी। और उसका साइज़ “30 28 30″ का होगा। मुन्नी अगले दिन मेरे कमरे मैं आई ट्यूशन पढने के लिये और मुझसे बोली सर मैं अंदर आ सकती हूँ। तभी मैने उसे देखा तो में देखता ही रह गया। और फिर बोला हाँ आ जाओ। अब वो अंदर आकर सोफे पर बैठ गयी। मैने उसे कहा की तुम क्या लोगी ठंडा या गरम? तभी वो बोली सर कुछ नही?  फिर मैं उससे बोला केमिस्ट्री कमजोर है क्या तुम्हारी?

मुन्नी: हाँ सर मेरा पहला साल खराब हो गया है। अब आप प्लीज़ मुझे कुछ पढ़ा दीजिये। मै : देखो मुन्नी मैं तुमको जितना भी हो सकता अच्छे पढ़ा दूँ लेकिन पढ़ना तुम्हे ही है। और मेहनत भी तुम्हे ही करनी है। मुन्नी: सर मैं मेहनत पूरी करूँगी। मेरा तो पहला सप्ताह ऐसे ही चला गया और मैने वैसे भी आपको दूसरे सप्ताह मैं बोला है। मुन्नी: सर मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ। लेकिन डरती हूँ की कही आप बुरा तो नही मान जाओ। मै : कहो क्या बात है? मुझे कोई प्रॉबलम तो नही है? दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मुन्नी: नहीं सर लेकिन मैं यहाँ पर बहुत अच्छा महसूस नही कर रही हूँ। यहाँ पर कभी कोई आ जाता है। तो कभी कोई थोड़ा डिस्टर्ब हो जाता है। लेकिन मेरे घर पर सर कोई भी नही है। मम्मी भी नौकरी पर चली जाती है। वहाँ आप मुझे आराम से पढ़ा लेना और सर कॉलेज से आने के बाद सीधे मेरे घर पर आ जाना फिर और आप मुझे पढ़ा कर अपने घर चले जाना। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |


मै : मुन्नी ठीक है तुम कहती हो तो कल से मैं ही तुम्हारे घर आ जाया करूँगा और तुम अपने घर पर ही पढना।


अगले दिन मैं कॉलेज से लौटने के बाद सीधे मुन्नी के घर पर गया तो मुन्नी ने ही दरवाजा थोड़ा खोल कर रखा था। फिर भी मैने दरवाजे की घंटी बजाई। तो मुन्नी अंदर से ही बोली आ जाइए सर। मैं अंदर चला गया फिर वो सामने आई बोली आपको धन्यवाद सर। मैं भी कितना आपको परेशान करती हूँ।


मै : नही मुन्नी इसमे परेशानी की कोई बात नही है ये तो अब मेरा काम है।


मुन्नी: सर मैं अभी आई वो अंदर जाकर एक ठंडा शरबत का गिलास ले कर आई। उस समय गर्मियों के दिन थे इसलिए वो बोली सर आराम से बैठ जाइए जूते निकाल लीजिए और फ्रेश हो आइए।


मै : ठीक है बाथरूम किधर है? फिर मैं बाथरूम चला गया। और कुछ देर बाद वापस आकर हम दोनो बैठ गये। और तकरीबन एक घंटा बीता था।


मुन्नी बोली: सर आपकी कोई गर्लफ्रेंड’स नही है?


मै : नही है लेकिन ये क्यों पूछा तुमने?


मुन्नी: बस यूँ ही सर

फिर में अगले दिन पढ़ाने गया तो वो…..

बोली: सर मैं आपको कैसे लगती हूँ?


मै: मैं सब कुछ समझ गया था फिर भी मैं बोला तुम अच्छी लगती हो क्यों?


मुन्नी: सर थोड़ी देर पढ़ाई ब्रेक कर लेते है। आप अपने बारे में मुझे बताइए ना प्लीज। तभी मैं तो खुली किताब हूँ कोई भी पढ़ लेता है। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |


मै: मुन्नी हाथ पकड़ कर क्या बात है मैं तो सीधा साधा इन्सान हूँ। और तुम बताओ।


मुन्नी: सर आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो।


मै: मुन्नी तुम भी कोई कम खूबसूरत नही हो फिर उसके बाद वो बोली सर आपकी बीवी आपको बहुत प्यार करेगी आप तो बहुत लकी हो। फिर मैने उसे बिस्तर पर लिटाया। और उसके बूब्स पर हाथ फेरने लगा। तभी वो बोली सर ये आप क्या कर रहे हो। तो मैने कहा क्यों तुम्हे यह सब कुछ अच्छा नही लग रहा है क्या?

मुन्नी: सर मैं आपको क्या बताऊँ आप तो इस तरह सोए है। जैसे हम पति पत्नी है। मैने कहा तो हम बन जाते है। तो वो कुछ नही बोली बस उसने अपनी आँखें बंद कर ली। फिर मैने उसकी कुरती के अंदर हाथ डाला तो उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। अब वो बहुत गरम हो चुकी थी। मैने पीछे से हाथ डालकर उसका ब्रा का हुक निकाल दिया। जिससे उसने मुझे और टाइट से पकड़ लिया। और कस कर मेरे सीने से लग गयी। तभी वो धीरे से बोली: क्या दिनेश आज तुम मूझे पागल ही बना डालोगे। तुम अब क्या करना चाहता हो मेरे साथ? मै: जानू आज मैं तेरी सारी ख्वाहिशे को पूरी कर दूँगा। और फिर मैं उसे किस करने लगा। मैने उसके बालों को खोल दिया और गालों पर किस करने लगा किस करते करते उसके होठो को अपने दांतों से दबा लिया। तभी वो उछाल पड़ी और बोली आराम से दिनेश फिर मैने अपनी जीभ उसके मुहं के अंदर डाल कर चूसना शुरू कर दिया। अब उसका गला सूख गया था। फिर मैने उसकी कुरती उसके दोनो हाथ ऊपर करके बाहर निकाल दी। मेरे सामने अब वो केवल ब्रा मैं थी। फिर मैने उसकी ब्रा को भी निकाल दिया था। तभी अचानक से उसके बूब्स उछल कर मेरे सामने आ गये। अब मैं तो उन्हें देखकर पागल हो गया था। क्या मोटे मोटे बूब्स थे वो बहुत टाईट उसके गुलाबी निप्पल थे। मुझसे रहा नही गया मैने उसे मुँह मैं ले लिया। पहले उसके बूस को 10 मिनट तक मसला फिर उसके बाद उसे मुहं मैं डाल कर चूसने लगा। मुन्नी अब मदहोश हो गयी और उसने मेरे सारे कपड़े एक ही झटके मैं निकाल दिए। फिर मैं उसके उपर लेट कर उसके बूब्स को चूसता हुआ थोड़ा नीचे की तरफ आने लगा। जैसे ही मुन्नी ने लंड को देखा वो उसको पागलो की तरह किस करने लगी। क्योकि शायद मुन्नी ने ये सब कुछ पहले कभी नही किया था। लेकिन मुन्नी की रूचि देखकर मैं भी पागल हो गया था। वो बोली दिनेश आज मैं सिर्फ़ तुम्हारी हूँ। आज जो तुम चाहो वो कर सकते हो। मैने मौका देख कर अब उसकी सलवार भी निकाल दी और वो अब मेरे सामने पेंटी मैं थी और क्या सेक्सी लग रही थी वो। फिर वो भी मेरे लंड को मसलने लगी उसने मेरे सारे कपड़े पहले ही उतार लिये इसके बाद मैं उसके सामने बस अब अंडरवेर मैं था। फिर मैंने मुन्नी की टाँगों को थोड़ा सा फैलाकर उसकी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा।

मुन्नी: तुम आज इससे आगे कुछ नही करोगे क्या? मै: सब कुछ करूंगा जानेमन तुम थोड़ा सा तो सब्र तो करो।


फिर मैने उसकी पेंटी निकाल दी और उसके टाँगों को फैलाया जिससे उसकी पिंक रंग की मुलायम चूत मुझे साफ़ दिखने लगी। और उसके चारो तरफ बाल भी नही थे। थोडा बहुत हल्के से बाल थे। मैने कहा क्या जानेमन कब से इसे तुमने मुझसे छुपाया था। वो बोली: बस तुम्हारे लिए ही तो छुपाई थी। इसे चूसो जितना हो सके चोदो इसे प्लीज दिनेश। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। जिससे वो पागल हो गयी उसकी साँसे तेज़ी से चल रही थी। थोडी देर के बाद मैने अपनी ऊँगली से उसे धीरे धीरे चुदना शुरू कर दिया। पांच मिनट तक ऊँगली से चोदने के बाद वो बोली दिनेश मैं झड़ने वाली हूँ। मैने कहा कोई बात नही और वो मेरे मुहं मैं ही झड़ गयी। और वो बोली तुम लेट जोआ मैं लेट गया तो वो मेरे पैर पर चड़ गयी। और मेरी अंडरवियर को निकल दिया। अब मेरा लंड मोटा नाग बन गया था। निकलते ही साँप के जैसे फुकार कर खड़ा हो गया। वो लंड को देखकर चौंक गयी। वो बोली: बाप रे इतना बड़ा लंड कहा छिपाया था? फिर मेरे लंड को अपने हाथों मैं लेकर खेलने लगी। फिर उसकी चमडी को उपर नीचे करने लगी। मेरे लंड की चमड़ी खुल गई थी। और उसने उसे मुँह मैं लेकर चूसने लगी। 10 मिनट तक वो सक करती रही। फिर बोली दिनेश अब देर मत करो और डाल दो अंदर इसे मेरी चूत में। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैं भी अब फुल चोदने के लिए तैयार था। फिर मैने उसके पैर के नीचे एक तकिया लगाया। और उसके दोनो पैर को अपने कंधे पर रखा। और उसकी चूत पर अपना लंड रखा और थोड़ा सा रगडा और धक्का दिया। तभी लंड फिसल कर चूत में चला गया। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मुन्नी: तुम लंड पर थोड़ा वेसलीन लगाओ वो वहाँ पर रखा है। मैने झट से वेसलिन लिया और उसकी चूत पर लगाई और थोड़ा अपने लंड के सुपाडे पर भी उसके बाद एक ज़ोर का धक्का मारा तो मुन्नी की चीख निकल गयी”उईईईईईई म्माआ मर गयी। और बोली बाहर निकालो जल्दी से मैं मर गई तो मैं रुक गया और बोला कुछ नही होगा थोड़ा दर्द झेल जाओ फिर तुम्हे बहुत मज़ा आएगा। फिर में उसे मुँह से मुँह लगाकर किस करने लग गया। थोड़ा उसे आराम हुआ तो मैने एक जोर का झटका और मारा तो पूरा का पूरा लंड अंदर घुस गया और फ़च्छक की आवाज़ आई मुन्नी की आँखों मैं से आसू आ गये। फिर मैं उसके बूब्स को चूसता रहा। और धीरे धीरे धक्के मरता गया। अब वो भी उछल उछल के मेरा साथ दे रही थी। और अब उसे भी मज़ा आने लगा था। मुन्नी: दिनेश आज तुम जी भर के चोद डालो मुझे मैं केवल तुम्हारी हूँ। मैने धक्के तेज कर दिए। जिससे मुझे लगा मैं भी अब झड़ने वाला हूँ। लगभग 15 मिनट चोदने के बाद मैने मुन्नी से कहा डार्लिंग मैं झड़ने वाला हूँ। तभी वो बोली अंदर ही गिरा दो वीर्य को बस मैने चूत के अंदर ही पूरा का पूरा वीर्य डाल दिया। अब वो बोली आज से मैं तुम्हारी हूँ। तुम जब भी चाहो मुझे चोद सकते हो। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |


फिर मैं उस रात भी वहीँ रहा और रात भर मैं मैने उसे तीन बार चोदा जब तक मैने उसे पढ़ाया दो साल तक लगातार उसे चोदता रहा। आज उसकी शादी हो चुकी है। लेकिन हमारा प्यार अमर है। क्योंकी उसका पति विदेश मैं है। और वो आज भी मुझे फोन करके बुलाती है। लेकिन मैं नौकरी की वजह से नहीं जा पता हूँ। लेकिन जब भी में गोरखपुर जाता हूँ। तो उसकी तमन्ना पूरी कर के आता हूँ। क्योकि पति के बाहर होने से वो अभी तक अच्छे से नही चुदी उसका पति उसको अच्छे से नही चोदता है। और आज भी वो चुदाई के लिए वो मेरा इंतजार करती है।


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