दोस्तों आज मैं अपने जीवन की एक नर्स के साथ चुदाई हादसा सुनाने जा रहा हूँ. मैं पेशे से एक डॉक्टर हूँ और मेरे हॉस्पिटल मी बहुत ही नर्स काम करती है, तो जिस की मैं बात कर रहा हूँ उसका नाम है अनीता. अनीता शादी शुदा नर्स है मेरे से करीब ४ साल बड़ी . मैं २८ साल का और वह ३० साल की हैं .अनीता का कोई बच्चा नही है और उसका पति विदेश में रहता है | अनीता सभी नर्सों से बिल्कुल अलग थी लेकिन उसमे कुछ अलग तरह की कशिश थी जो मुझे उसकी तरफ़ खिचती थी . वो देखने मी सांवली थी और बड़े ही धीरे धीरे मटका के चलती थी , उसके बड़े बड़े कूल्हे चलते वक्त उसके गांड का बहुत ही सेक्सी नज़ारा दिखाते थे.. उसकी आंखों मी झील की गहराई थी और जब वो मेरी तरफ़ देखती तो ऐसा लगता की मैं उसकी आंखों की गहराई में डूब रहा हूँ . उस से नजर मिले तो ऐसा लगता की जैसे मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हूँ और वो मेरे नंगे बदन को देख रही है . जब भी कभी हमारी आंखें चार होती तो वो तब तक देखती रहती जबतक मैं अपनी नजर हटा न लूँ . धीरे धीरे मैंने भी उसको देखना शुरू किया, मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. वो हल्का हल्का मुस्कुराती तो बड़े अजीब अजीब से ख्याल आते . अक्सर उसकी आंखों और मुस्कराहट को देख के ख्याल आता की जैसे वो मेरे लंड को अपने मुहँ मे लेकर चूस रही है धीरे धीरे .अब तो बिल्कुल ऐसा हो गया है की उसका चेहरा सामने आते ही मेरे लंड को उसके मुहँ की गरमी महसूस होने लगती है और वो आहिस्ते आहिस्ते जागने लगता है और आराम से 5 -7 मिनट में तन कर खड़ा हो जाता है मेरे इस 7.5 इंच लंबे और मोटे लंड को पैंट के अन्दर काबू मे रखना मुश्किल हो जाता है. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अनीता मे और बाकी नर्सों मे एक अन्तर और है और वो ये की बाकि नर्सें जो मुझे सेक्सी लगती हैं उनको देख के मेरे लंड मे तुरंत तनाव आ जाता है पर अनीता को देख कर दिल बड़ा शांत रहता है और जिस्म धीरे धीरे मजे से गरम होता है , लंड मजे से बिना उतावलेपन के खड़ा होता है और तबियत होती है की अच्छे से इत्मिनान से अनीता के जिस्म को महसूस करूं , और 2 – 3 घंटे एक दुसरे से लिपटे रहे और बीच बीच मे चुदाई भी चलती रहे . शायद अनीता का शांत स्वभाव भी एक कारन हो सकता है . उसको देखकर ही ऐसा महसूस होता की मैं पानी में तैर रहा हूँ . जहाँ तक चुचिओं की बात है , मैं चूची के लिए पागल हो जाता हूँ लेकिन चुन्चियाँ भी वैसी होनी चाहिए मुझे मीडियम साइज़ की जो मेरे हथेली मे समाँ जाए ऐसी चुन्चिया पसंद है..अनीता इस मामले मे भी मेरे लिए ख़ास थी.यहाँ भी उसकी चूची मीडियम साइज़ की थी पर एक अन्तर था उसकी चूची उसके सीने के उपरी हिस्से मे थी एकदम कसी हुई और सामने खड़ी . बाकी नर्सो में चुन्चियाँ अक्सर सीने के बीच वाले हिस्से मे या निचले हिस्से मे थी . तो जब भी उसकी चुचियों के उभार के दर्शन होते तो दिल में ऐसा ख्याल आता की मेरा लंड उसके दोनों चुचियों के बीच से होकर उसके होठों की तरफ़ जा रहा है . मेरी टेबल कुर्सी के ठीक बायीं तरफ़ उसकी केबिन थी जिसमे एक मरीज होता था जिसका देखभाल करना अनीता की जिम्मेदारी थी . केबिन के शीशे के दरवाजे से वो अक्सर स्टूल पे बैठ कर मुझे देखती . मैं भी टेबल पे एक दिन बायीं तरफ़ सिर रख कर उसे देखने लगा . हम दोनों एक दुसरे को देखते रहे और 15 मिनट के अन्दर मेरा लंड खड़ा हो चुका था . मैंने हिम्मत करी और सोचा की बात अब आंखों से आगे बढ़नी चाहिए और रिस्क लेने की ठान ली . मैंने अपनी चैन खोली और मेरे ७.५ इंच के मोटे फनफनाते लंड को पँट के चैन से बाहर निकाल लिया . सामने टेबल होने के वजह से बाकि केबिन की नर्सें मुझे देख नहीं सकती थी और सिर्फ़ अनीता ही मुझे देख सकती थी शीशे से . उस दिन उसका बेद भी खली था . वो टेबल से उठ कर खड़ी हो गई और मेरे ताने हुए मोटे लंड को देख कर चौंक गई लेकिन फ़िर थोड़ा सकुचाई फिर एक गहरी मादक नजर से देखा और अपना स्टूल उठा कर खिड़की के तरफ़ चेहरा करके बैठ गई याने अब उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी . जैसा की मेरा अंदाजा था वो गुस्सा तो नहीं हुई और उसके अंदाज से एक बात साफ था की व्हो नाराज भी नहीं थी .
मैं अपने लंड को चैन से पीछे किया और उठ कर उसके केबिन मे गया . शीशे पे परदा लगा दिया और अनीता के पीछे खड़ा हो गया , वो चुपचाप बाहर देखती रही . मैंने अपना लंड उसकी पीठ से सटा कर दबाया और अपने दोनों हाथों से उसके कंधे और बांहों को सहलाने लगा. व्हो जोर जोर से साँस ले रही थी और धीरे से बोली, ‘डॉक्टर स्टॉप, प्लीज़ . ऐसे मत करो डॉक्टर ‘.
मैंने कहा, ‘सिस्टर ये ग़लत है लेकिन मेरा बदन मेरी बात नहीं मानता. अआप इसको समझाओ की ऐसा ना करे’ .
ऐसा कहते कहते मेरे हाथ अनीता की चुचियों के ऊपर पहुँच गए और सहलाना शुरू कर दिया . मेरी कमर हिलने लगी और लंड को पीठ मे दबा कर रगड़ने लगा अनीता की आंखें बंद हो गयी और वो धीरे धीरे आह.. ओह इश श श श स् स् स् स् की आवाज़ निकलने लगी . उसकी चुचियाँ सहलाने से फूल कर तन गई थी और उसके चेहरे पे और गले पे और सीने पे लाली छा गई थी , उसके चुचियों की गरमी उसके ड्रेस के ऊपर से भी महसूस हो रही थी. तभी मैंने उसके ड्रेस के ऊपर के दो बटन खोलने की कोशिश करी तो वो उठ कर खड़ी हो गई और बोली, ‘प्लीज़ डॉक्टर ड्रेस मत खोलो’ .
‘अच्छा अनीता ड्रेस नही लेकिन प्रोमिस करो की मुझे किस करने दोगी’
कहते कहते मैं स्टूल पे बैठ गया और अनीता को खींच कर अपनी गोदी मे बैठा लिया . अब उसकी गांड मेरे लंड के ऊपर आ गयी उसकी पीठ मेरे सीने से लगी थी और मेरे दोनों हाथ उसके दोनों चुचियों को ड्रेस के ऊपर से सहला और दबा रहे थे . उसकी चुन्चियाँ एकदम मख्खन जैसी थी.. मेरे दोनों हाथों मे समाँ रही थी.. वो चूची को सहलाने से मस्त हो रही थी और ऊऊ..ओ ओ o आ आ डॉक्टर ईई ओह्ह डॉक्टर आः डॉक्टर आ आ स्.स्.स्.स्.स्. उसके मुहँ से निकाल रहा था . मैंने उसको मस्त होते देख कर उसके कन्धों को चूमना शुरू कर दिया , उसके कान को चूमा कान को जीभ के नोंक से सहलाया.. फ़िर कान की पत्ती को होंठों मे ले कर चूसना शुरू किया.. , गाल पे पप्पी ली और गले को भी चूमा और दोनों चूची को ड्रेस के ऊपर से पकड़ ऊपर नीचे, दांये और बांये हिलाने लगा ऐसा करने से वो गरम होती जा रही थी.. फिर मैंने धीरे से उसके कान में फुसफुसाकर पूंछा ‘अनीता क्या तुम्हे ये अच्छा नही लग रहा ‘? आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
‘डॉक्टर आप सेक्स करना चाहते है या प्यार? सेक्स तो सिर्फ़ 2 मिनट का होता है’ .
मैं समझ गया जरूर उसका पति उसके जिस्म में 2 मिनट में झड़ जाता होगा . वैसे उसका जिस्म इतना सेक्सी था की शायद मैं भी पहली बार ज्यादा देर नही टिक पाऊंगा.. मैं उसे भी तैयार करने के बाद चोदना चाहता था. लेकिन अनीता की चुचियों को सहलाते हुए मैंने पूंछा,
“अनीता तुम्हारे हिसाब से प्यार क्या होता है?”
तो वो बोली ‘जो माँ और बच्चे मे होता है और मेरा कोई बच्चा नही है’ .
मैंने कहा ” कोई बात नही मैं आ गया हूँ ना मैं तुम्हारा बच्चा हूँ’.
कहते कहते मेरे हाथ अनीता की दोनों जांघों को सहलाने लगे. जांघों पे हाथ पड़ते ही वो उठ कर खड़ी हो गई और बोली ‘ डॉक्टर अब और मत करना’ .
मैंने स्टूल बीच से हटाया और अनीता को पीछे से कास कर पकड़ लिया अब मेरा लंड ठीक उसके गांड पे था . मैंने उसके गले के पीछे किस करते हुए अपने लंड को उसकी गांड पे दबा कर खूब रगड़ा . तभी मेरा मोबाइल बज उठा और मुझे जाना पड़ा .उस दिन के बाद एक चीज साफ थी की उसे लंड और चूत की होली पसंद नही थी . शायद उसकी चुदाई का अनुभव बहुत ही बुरा था उसे चुदाई मे शायद प्यार और अपनापन नहीं मिला था . उस दिन के बाद से हम जब कभी अकेले मिलते तो एक दुसरे से लिपट जाते और एक दुसरे को खूब सहलाते . जब भी मैं उसके पीछे से लिपटता था तो खड़े खड़े अपने लंड को उसकी गांड पर खूब रगड़ता और उसकी चुन्चियों और जांघों को खूब सहलाता .
जब कभी हम दोनों सामने से लिपटते तो मैं लंड को ड्रेस के ऊपर से उस के चूत पे दबा दबा कर रगड़ता और हाथ से उसकी पीठ को और गांड को ड्रेस के ऊपर से सहलाता . ऐसे ही मौका मिलते ही कभी चंद मिनटों के लिए तो कभी आधे एक घंटे चूमा चाटी और एक दुसरे के जिस्म की रगडाई चलती रही . मैंने कभी उसे चोदने के लिए जल्दबाजी नही दिखाई. हाँ मैंने उसे फील करवाया की मै उसके जिस्म को और उसे प्यार करता हूँ.. हम लोग बातें भी करते थे.. और मै उसके जिस्म की तारीफ़ भी करता था. एक दिन उसकी केबिन मे जब हम चूमा चाटी कर रहे थे उस समय उसकी पीठ दीवाल से सटी थी और उसने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाये हुए थे और मैं अपने सीने से उसकी चुचियों को और लंड से उसकी फूली हुयी गदराई चूत को रगड़ रहा था और वो मस्त हो रही थी तब मैंने कहा, “अनीता , एक बात कहूं “? आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“हाँ डॉक्टर बोलो”
“मैं तुम्हारा बच्चा हूँ ना?
“हाँ डॉक्टर ”
“मेरा मसाज करोगी अनीता?”
“अच्छा डॉक्टर कहाँ करना है मसाज?
“अनीता मेरे पीठ पर मसाज करना है. ”
उसने कुछ कहा नही पर उसने मेरे शर्ट के ऊपर से मसाज करने लगी मैंने शर्ट के अन्दर से मसाज करने की रिक्वेस्ट करी तो वो मान गई और शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपने नरम और गरम हाथ से मेरी पुरी पीठ को गरमा दिया . तभी मैंने अपनी पॅंट खोल कर नीचे कर दिया और अपने गांड पे अनीता का हाथ पकड़ कर रख दिया और कहा – ‘प्लीज़ अनीता यहाँ भी करो’ फिर अनीता के नरम हाथ मेरे गांड पे मसाज करने लगे . मैं तो मस्त हो गया और फिर पलट गया और मेरी पीठ उसकी तरफ़ थी और उसके दोनों हाथ के बीच मे मैंने अपना लंड रख कर उसके हाथ को पकड़ कर अपने लंड को सहलाने लगा फिर उसके हाथ से अपने बालों से भरे सीने को और जांघों को भी सहलाया . मजा आ गया . ओह्ह फ़िर मेरे मोबाइल का रिंग..मैंने देखा डीन का फ़ोन है किसी ऑपरेशन के लिए और हम अलग हो गए
एक दिन मैंने उससे कहा – “अनीता जब तुम मेरे बदन को छूती हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है तुम्हारे हाथों मे जादू है मैं एक अलग दुनिया मे पहुँच जाता हूँ’.
वो मुस्कुरा दी. मैंने कहा इसके बाद जब तुम अकेली रहोगी तो मुझे फ़ोन से बता देना मैं बिना अंडरवियर और बनियान के आऊंगा.. और वो मुझे मोबाइल पर मिस काल देती थी.इस तरह . फिर जब भी हम चूमा चाटी और चिपका चिपकी करते तो वो मेरे पूरे जिस्म को सहलाती और लंड को भी सहलाती जबकि मैं उसके जिस्म को ड्रेस के ऊपर से ही सहलाता . एक दिन फिर जब हम चिपके हुए थे .. मैं उसके ड्रेस के ऊपर से हाथ फिर रहा था.. मेरा हाथ उसकी गदराई चूतड से होते हुए उसके गांड पर पहुँची.. उसकी गांड पे हात फिरते हुए मुझे महसूस हुआ की अन्दर शायद पैंटी नहीं है . मैंने धीरे धीरे सहलाते हुए कन्फर्म किया तो वो खिलखिला कर बोली – “डॉक्टर आप बहुत गंदे है ” आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैंने कहा, “You are right” – कहके मैंने ड्रेस को कमर के ऊपर उठा कर अनीता की नंगी गांड को हथेली से दबाने लगा और मेरे हाथ उसके ड्रेस के अन्दर पहली बार गए थे.. मैं बहुत ही आराम से य्सकी गांड और पीठ को सहलाता रहा वो इस दौरान मेरे सीने से चिपकी रही और मैं उसकी नंगी गांड को और उसके नंगी पीठ को ड्रेस के अन्दर से सहलाया उसकी आँखे बंद हो गई थी.. मैं उसके होंठो को हलके हलके किस भी कर रहा था उसकी चुन्चियों को हाथ से दबा रहा था..अब मैंने अपना पॅंट घुटने तक नीची कर स्टूल पर बैठ गया और उसकी ड्रेस को कमर से ऊपर उठाये हुए अपने गोदी मे बिठाया . अनीता ने पहले ही आंखें बंद कर ली थी . मैंने उसके ड्रेस को ऊपर उठाकर उसके ब्रा का हूक खोल कर चुचियों के दर्शन किए , असल मे उसे ब्रा की ज़रूरत ही नही थी.. मेरा खड़ा ७.५ इंच का मोटा काला लंड मेरी गोदी मे बैठे उसके चूत और गांड से सता हुआ था लेकिन मैंने उस दिन चुदाई ना करने का फैसला किया . आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
क्युकी मैं उसके साथ कोयी जबरदस्ती नही करना चाहता था. मैंने उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी से चूसना शुरू किया उसके निपल बहुत ही कड़े थे.. और मैं होंठो मे ले कर चूस रहा था.. उसके ड्रेस के बटन खुल चुके थे और अन्दर काली ब्रा थी जिसका हूक मैंने पीठ सहलाते हुए खोल दिया था..अनीता की आँखें बंद थी और वो मेरा सिर अपने सिने पर दबा रही थी .. उसकी गुदाज़ छाती पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था..मैं निपल को कभी कभी हलके से दांतों से काट लेता तो वो सित्कार उठती थी..सी.इ.इ.इ.इ.इ..आह.. और मुझे दबा लेती थी. मैं उसके स्तनों को दबा रहा था और बीच मे कभी उसे सीने से चिपका कर उसके नंगी पीठ और गांड को सहलाता जिसकी की अनीता को आदत हो चुकी थी. उस दिन एक घंटे तक मैंने उसकी चुंची चुसी और गांड और पीठ और जांघों को सहलाया. फिर मैंने पूंछा – “अनीता ये प्यार है या सेक्स?”
“डॉक्टर, यह तो प्यार है ” बोल कर वो फिर चिपक गई.
उसकी पीठ को सहलाते सहलाते मैंने फिर पूंछा – “अनीता, एक बात पूछूं?”
“पूंछो डॉक्टर.”
“सेक्स ख़राब है या बिना प्यार के सेक्स ख़राब है.”
“डॉक्टर आप बहुत बदमाश हो.”
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मेरी असिस्टेंट की कुवारी गांड
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