प्रेषक: अनुराग
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनुराग है, उम्र 24 साल है, मैं दिखने एक आम इन्सान हूँ। मैं आप सभी को बता दूँ कि मैं एक शादीशुदा व्यक्ति हूँ मगर मेरा गौना होना अभी बाकी है। मेरी बीवी कानपुर के एक हॉस्टल में पढ़ती है मगर हम दोनों के बीच में मात्र और मात्र फोन पर ही बातें होती थीं। हम कभी-कभी मिलते भी थे मगर परिवार के लोग साथ में होने के कारण कभी एक-दूसरे के करीब नहीं आ सके, ज्यादातर हम एक-दूसरे से पांच वर्षों से फ़ोन पर ही अपने हाले-दिल सुनाते थे।
बात उन दिनों की है जब मैं एक राजनैतिक पार्टी की मीटिंग में दिल्ली जाने वाला था। उस समय वह पार्टी भ्रष्टाचार पर लड़ रही थी। मैं सूरत से कार्यो को देखता था। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
25 नवम्बर को मैं दिल्ली पहुँच गया, वहाँ से मुझे जंतर-मंतर जाना था।
26 नवम्बर तक मैंने अपने सारे काम निपटा लिए क्योंकि 28 तारीख को मेरी शादी की सालगिरह थी और मैं अपनी बीवी को एक तोहफा देना चाहता था, उसके साथ समय भी व्यतीत करना चाहता था।
सब एकदम सही हो रहा था और ठीक सुबह छः बजे मैं कानपुर पहुँच गया। वहाँ पहुँच कर मैंने अपनी स्वेता को फ़ोन किया।
स्वेता बहुत आश्चर्य से बोली- आप कहाँ हैं.. मैं कल से आपको फ़ोन कर रही हूँ। आप का फ़ोन बंद आ रहा है।
मैंने स्वेता को बोला- जल्दी अपने हॉस्टल से बाहर आओ मैं तुम्हें लेने आया हूँ।
स्वेता ने बोला- आप झूठ बोल रहे हैं?
मैंने बोला- तुरंत अपने गेट पर आओ, मेरे फ़ोन की बैटरी लो है।
स्वेता जल्दी से गेट पर पहुँची और मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया।
फिर मैंने स्वेता से कहा- तुम अपना दूसरा फ़ोन दे जाओ.. मैं घर जाकर आता हूँ.. तब तक तुम तैयार हो जाओ.. हम बाहर घूमने जाने वाले हैं। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
स्वेता तैयार होने चली गई और मैं वहाँ से अपनी साली के घर चला गया।
मैं तैयार हो कर स्वेता को लेने आया। स्वेता ने आज मेरी दी हुई नेट की साड़ी पहनी हुई थी जिस पर कढ़ाई की बहुत ही सुन्दर कारीगरी की गई थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
दोस्तों क्या बताऊँ.. स्वेता क्या लग रही थी।
वो आ कर कार में बैठ गई, मैंने उसे चूमना शुरू किया।
मैं तो उसे देख कर जैसे पागल हो गया था।
आप किसी को प्यार करते हैं और आप उसे काफी दूर हों तो ऐसा होना स्वाभाविक बात है।
फिर मैंने उस समय अपने आप पर काबू किया और हम दोनों खाना खाने जेएचवी मॉल चले गए।
वहाँ खाना खा कर हमने साथ में पिक्चर देखी और इस सबमें काफी समय बीत गया था रात हो गई थी।
अब हमने सोचा रात में कहाँ जाएं, तो मैंने अपने साढू को फ़ोन किया और सब बात बता दी।
उन्होंने हमें अपने घर रुकने का आग्रह किया।
मैं आप को बता दूँ मेरे साढू एल्लाहाबाद के एक दबंग शख्सियत हैं।
फिर हम उनके घर की तरफ चले गए वहाँ पहुँच कर हमने हाथ-मुँह धोए और सोने के लिए बोला।
उन्होंने हम दोनों के लिए एक ही कमरा रखा था शायद वो हमारी बात समझ गए थे।
स्वेता और मैं दोनों बिस्तर पर पहली बार मिले जैसे लगा आज की रात नींद ही नहीं आने वाली है।
मैं स्वेता को चूमने लगा, धीरे-धीरे मैंने स्वेता की साड़ी उठा कर पहली बार स्वेता की चूत को छुआ।
स्वेता ने अपनी आँखें बंद कर लीं और मैं और पागल होता चला गया।
मैंने स्वेता के गहने उतारने शुरू कर दिए।
स्वेता ने मुझे देखा और मुस्कुरा दी।
मुझे समझ में आ गया कि स्वेता क्या सोच रही थी।
मैंने तुरंत ही स्वेता की साड़ी ऊपर करके उसकी बुर को रगड़ना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में उसकी बुर से पानी निकलने लगा। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
एक बार तो दिल किया कि चाट लूँ, मगर पता नहीं क्यों मैं अपने मैं ही व्यस्त हुआ और स्वेता के कपड़े खोलने लगा।
अब हम दोनों एकदम नंगे थे। मैंने स्वेता की चूची चूसनी शुरू कर दी।
पहले वो मुझे इतना साथ नहीं दे रही थी मगर मैं लगा हुआ था।
अब मैंने जैसे ही स्वेता की बुर पर अपना लंड रखा, स्वेता एक बार फिर से गीली हो चुकी थी।
मैंने अपना लंड धीरे-धीरे अन्दर डालना शुरू किया, स्वेता की आँखों में आंसू आने लगे।
मैं थोड़ा धीरे हो गया फिर मैंने थोड़ा रुक कर स्वेता से खेलना शुरू कर दिया।
स्वेता को चूमना, काटना, उसकी चूची को दबाना आदि करने लगा।
फिर स्वेता ने कहा- अब मुझे अच्छा लग रहा है।
फिर मैंने पहले धीरे-धीरे हिलना शुरू किया।
अब स्वेता कराहती हुई आवाज निकाल रही थी मगर मैं तो स्वेता के बुर में लंड धकेलने में व्यस्त था।
मुझे तो बस जल्दी पानी निकालना था ताकि मेरा मन शांत हो।
मैं जितना तेज चोदने लगा स्वेता और तेज आवाज निकालने लगी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मुझे ये हिलाते समय अच्छा लगा, मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था बस चोदे जा रहा था उसकी गोल चूची को दबाए जा रहा था, उसकी पप्पी ले रहा था और अपनी चोदने की रफ़्तार को भी तेज कर रहा था।
अब मुझे लगा मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने स्वेता को बोला- बाबू मेरा निकलने वाला है।
स्वेता ने मना कर दिया, बोला- अभी मेरा मासिक आया था.. बच्चा रह जाएगा।
मगर उस समय मुझे कुछ दिमाग में सूझ ही नहीं रहा था और मैंने करते-करते पूरा रस स्वेता की बुर में ही छोड़ दिया।
स्वेता ने मुझे कस कर अपनी बाहों में भर लिया।
कुछ देर बाद मैंने स्वेता की पप्पी लेनी शुरू कर दीं। हम दोनों एकदम तृप्त हो गए थे।
दोस्तों मै अपनी बीवी को अब और भी कई तरीको से चोदता हु वो सब फिर कभी लिखुगा |
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बीवी की चूत में झड़ने का मजा
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