प्रेषक : रवि …
“परिवारो के बीच सेक्स की कहानी” से आगे की कहानी …
हैल्लो दोस्तों, आप सभी का रवि एक बार फिर से हाजिर है और आप सभी के सामने अपनी कहानी का अगला भाग लेकर। दोस्तों संजय अब तक देहरादून पहुंच चुका था और वो संजय के बताए हुए पते पर विनोद के घर चला गया और फिर उसने घंटी बजाई। तो आरती ने दरवाज़ा खोला संजय उसे देखता ही रह गया। वो दिखने में बिल्कुल मस्त, गोरी पहाड़ी लड़की की तरह लग रही थी और उसका फिगर ना ज्यादा बड़ा था और ना ज्यादा कम था। अब आरती संजय को विनोद समझकर उसे देखते ही गले लग गई उस वजह से संजय थोड़ा सा सकपका सा गया कि वो अब क्या करे, लेकिन उसने ज्यादा दिमाग ना लगाते हुए उस भी अपने गले से लगा लिया, लेकिन तभी उसे अपना वो वादा याद आ गया (कि वो विनोद की पत्नी हो हाथ नहीं लगाएगा) और वो यह बात सोचकर तुरंत आरती से अलग हो गया और अपना सामान लेकर अंदर चला गया। इस बात से आरती को थोड़ा अटपटा सा लगा, लेकिन फिर उसने सोचा कि शायद सफ़र की वजह से वो थोड़ा ज्यादा थक गये होंगे और उसने कुछ नहीं बोला वो भी चुपचाप अंदर चली गई। फिर वो किचन में जाकर संजय के लिए चाय और नाश्ता बनाकर ले आई। तो संजय ने बाहर आकर उससे थोड़ी बहुत बात की ताकि आरती उससे ज्यादा सवाल ना करे।
फिर कुछ घंटो के बाद रात का खाना खाने के बाद वो दोनों सोने की तैयारी करने लगे(विनोद औरआरती सेक्स में एक दूसरे से हमेशा बहुत खुलकर बातें करते थे, लेकिन आरती ग्रूप सेक्स के लिए कभी भी राज़ी नहीं थी) तो आरती ने कहा कि आज मेरा बड़ा मन हो रहा है प्लीज चलो ना करते है कितने दिन भी तो हो गए है आज मेरा बड़ा मन कर रहा है। आरती के मुहं से यह बात सुनकर संजय भी थोड़ा गरम हो गया, लेकिन फिर उसे अपनी वो शर्त याद आ गई और उसने एक बहाना बना दिया कि वो थक गया है और अब उसे बहुत नींद आ रही है और आरती ने भी मन ही मन सोचा कि रहने दो शायद सच में थके होंगे। अब अगले दिन से वो विनोद की लाईफ जीने लगा और उसे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आ रहा था और वो इस बात का फायदा उठाकर पूरा देहरादून घूमता तो कभी कभी वो मसूरी भी चला जाता और बहुत मजे करता रहा, लेकिन वो भी अब थोड़ा थोड़ा आरती की तरफ खिंच रहा था, लेकिन उसने आपने मन को बहुत काबू में रखा हुआ था। एक सुबह सुबह जब संजय उठा तो वो क्या देखता है कि आरती बाथरूम से सीधी बाहर निकलकर टावल लपेटकर बेडरूम में आ गई है और अब वो उसके सामने ही कपड़े बदल रही है। अब संजय उसकी जवानी को देखकर बिल्कुल पागल होने लगा था, लेकिन वो कुछ करना नहीं चाहता था इसलिए वो वहां से उठकर बाहर चला गया और उसका ऐसा व्यहवार देखकर आरती को बहुत बुरा लगा, लेकिन संजय सीधा बाथरूम में गया और वो आरती के नाम की मुठ मारने लगा और अपने आपको शांत करने लगा।
फिर शाम को जब वो वापस आया तो आरती बहुत प्यार के मूड में थी और उसके अंदर आते ही उसने संजय को तुरंत अपने गले से लगा लिया और फिर वो उसे जबरदस्ती प्यार करने लगी, लेकिन संजय ने उसे दूर हटा दिया और आगे बढ़ गया। फिर आरती ने उसे और भी मनाने की कोशिश की और उसने संजय को पीछे से पकड़ लिया और हग करने लगी, लेकिन संजय ने उसे एक बार फिर से अपने से अलग कर दिया। अब तो आरती संजय का उसके लिए ऐसा बर्ताव देखकर और भी उदास होने लगी थी और उसे पता नहीं चल रहा था कि संजय उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा था और वो भी अब अपनी पूरी जवानी उस पर उड़ेलना चाह रही थी, लेकिन संजय था कि उसे पूरी तरह से नकार रहा था। फिर उसका ऐसा व्यहवार देखकर आरती तुरंत उसके आगे चली गई और अब उसने अपने बूब्स को खोलकर उससे कहा कि क्या हो गया है तुम्हे, मुझमें ऐसी क्या कमी है ध्यान से देखो में तुम्हारी वही पुरानी आरती हूँ?
संजय : हाँ में वो सब अच्छी तरह से जानता हूँ।
आरती : तो तुम आज मुझसे ऐसा व्यहवार क्यों कर रहे हो, जैसे में कोई अजनबी हूँ?
संजय : ऐसी कोई भी बात नहीं है जैसा तुम सोच रही हो।
आरती : फिर क्या बात है? मैंने तुम पर बहुत ध्यान दिया है और तुम्हे परखकर भी देखा है कि तुम जब से आए हो मुझे एक बार भी ध्यान से देख भी नहीं रहे हो?
संजय : क्यों देख तो रहा हूँ? तो तुम ही मुझे बताओ कि में कैसे देखूं?
आरती : क्या देख रहे हो तुम मुझे प्यार क्यों नहीं करते, तुम्हे ऐसा क्या हो गया है?
अब आरती ने संजय का हाथ उठाकर जबरदस्ती अपने बूब्स पर रख दिया और कहा कि तुम मुझे प्यार करो में पूरी तरह से तुम्हारी हूँ। फिर संजय ने जैसे ही उसके बूब्स छुए तो उसके बदन में जैसे कोई करंट सा दौड़ गया, लेकिन उसने कुछ सोचकर तुरंत अपना हाथ हटा लिया और वो वहां से घर छोड़कर चला गया और अपने पीछे आरती को रोता बिलखता हुआ छोड़ गया। अब आरती बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या करे? लेकिन उसने भी मन ही मन ठान रखी थी कि वो इस समय यमराज से भी अपने पति को लेकर ही रहेगी और रात के करीब दस बजे संजय आया और आते ही वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गया, लेकिन आरती भी आज अपने पूरे प्लान के साथ तैयार थी और उसने संजय के लेटते ही उसे प्यार करना शुरू कर दिया, वो कभी उसे किस करती तो कभी उसके लंड को रगड़ती। अब उसके यह सब करने से संजय का अपने ऊपर से काबू भी धीरे धीरे खोने लगा था, लेकिन इसके बाद जो आरती ने किया उस काम से संजय के सब्र का बाँध टूट गया और वो अब अपने काबू से बाहर हो चुका था, वो अब कामवासना की उस आग में जलने लगा था, क्योंकि आरती ने संजय का लंड उसकी पेंट से बाहर निकालकर जबरदस्ती अपने मुहं में डाल लिया था और वो उसका लंड लोलीपोप की तरह बहुत मज़े लेकर चूसने लगी जिसकी वजह से संजय एक बिना पानी के तड़पती हुई मछली जैसा हो गया था, लेकिन अब संजय से ज्यादा देर रहा नहीं गया और उसने आरती के सर को पकड़कर अपने लंड पर दबाने लगा जिसकी वजह से आरती और तेज़ी से उसका लंड चूसने लगी और वैसे भी संजय बहुत दिनों से सेक्स से बहुत दूर था तो वो दस मिनट लंड को चूसने में ही उसके लंड का लावा आरती के मुहं में अब पूरी तरह से फूट पड़ा और आरती उसे पी गयी।
अब संजय ने आरती की मेक्सी को उतारकर दूर फेंक दिया और उसने अपनी जीभ से उसके सारे बदन को नाप डाला, उसने ऐसी कोई जगह नहीं छोड़ी जहाँ पर उसने उसे चूमा ना हो जैसे एक बांध टूटने के बाद पानी सभी जगह पर पहुंच जाता है ठीक उसी तरह संजय आरती के पूरे कामुक जिस्म पर टूट पड़ा था। इस बीच उसका लंड एक बार फिर से धीरे धीरे खड़ा होकर सांसे लेने लगा था और आरती की वो आहें उसके लंड को अपनी चूत में बुला रही थी। अब संजय ने अपना लंड आरती की चूत के मुहं पर लगाकर एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे उसका आधे से ज्यादा लंड अब आरती की चूत में था और वो एकदम के चीखकर रह गई, लेकिन संजय पर हवस अब इतनी बुरी तरह से हावी हो चुकी थी कि उसे आरती का दर्द से तड़पना, आहें, चीखे और अपनी वो शर्त कुछ भी याद नहीं थी और अब माहोल में संजय के लगातार ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने की थप थप और आरती की चीखे पूरी तरह से घुली हुई थी। इस बीच संजय का बदन अकड़ गया और वो आरती के अंदर ही झड़ गया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया और वो दोनों उसी हालत में सो गया। सुबह संजय की पहले नींद खुल गई उसने अपने आपको नंगी आरती के ऊपर पाया और फिर उसे लगा कि यह उसने क्या कर दिया? और वो वहीं पर बैठकर अपने आपको दोष देने लगा ।।
धन्यवाद …
परिवारो के बीच सेक्स की कहानी – 2 (अंतिम भाग)
No comments:
Post a Comment