All Golpo Are Fake And Dream Of Writer, Do Not Try It In Your Life

पागल लंड ‘नयी घोड़ी’–2


रम्भा इस तरह चुदती हुई बेहद

कामुक लग रही थी. Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai काले लम्बे बाल खुले हुए और आँखों में काजल जो की थोड़ा

फैल सा गया था. रम्भा काफ़ी नाटे कद की, सांवली सी एक बहुत ही गरम औरत है.

वो मात्र 4 फुट 6 इंच की है. जबकि भोंदू पुरे 6 फुट लम्बा है. ऐसे में

बिलकुल नंगी रम्भा भोंदू की गोद में बिलकुल बच्ची सी लग रही थी. भोंदू की

ख़ुशी का ठिकाना न था. उसकी अपनी माँ बिलकुल नंगी होकर उसकी गोद में थी.

भोंदू ने किसी बच्ची की तरह रम्भा को उठा रखा था. उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था

क्यूंकि उसका बुरी तरह तन्नाया हुआ लंड रम्भा की गांड में घुसा था.

“भोंदू …………ज़रा…..संभल के बेटा……….बस गिरा मत

देना……चोट लग जाएगी तेरे लंड को भी और मेरी गांड को

भी…………उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ ……..पूरा अंदर घुसेड़ रखा है तूने तो

……..हाययय……कितना मोटा है…….उन्न्नन्न्न्न

…….संभल.ललल्ललल ……..के भोंदू……….गिर

जाउंगी……….आआउन्न्च……उतार दे मुझे नीचे……..लंड चुभ रहा है

गांड में………..” भोंदू रम्भा को गोद में उठाये आगे की ओर चलने लगा तो

लंड रम्भा की गांड में ठुमकी मारने लगा जिससे रम्भा मज़े से सीसक भी रही थी

और डर भी रही थी कि कहीं भोंदू का लंड उसकी गांड में घाव न कर दे या उसके

लंड को ही कहीं चोट न लग जाये क्यूंकि रम्भा का पूरा वज़न भोंदू के लंड पर

टिका था और भोंदू का लंड मोटी लम्बी मूली सा उसकी नरम गुदाज़ नंगी गांड में

काफ़ी गहराई तक घुसा हुआ था. पर जब भोंदू रम्भा को उठा कर चल रहा था तो वो

नंगी कुतिया उसके लंड के ठुमको से बड़ी मचल भी रही थी. सच में मुझे उस समय

तो नहीं पता था की रम्भा काकी को कैसा लग रहा होगा पर अब पता है कि कितना

गुदगुदाने वाला अहसास होता है जब कोई तगड़ा लड़का आपको इस तरह नंगी हालत में

गोद में उठा कर अपने मोटे लम्बे लंड पे बिठा के इस तरह टहलता है तो. लंड

गांड में इधर उधर ठुमकता रहता है और गांड के अंदर ऐसी ऐसी जगह मीठी मीठी

ठोकरें मारता है जहाँ लड़का मस्त चुदाई के वक़्त भी लंड की ठोकर नहीं मार

पाता.

“भैया अब तुम गीता दीदी को चोदो ना……..अब मम्मी की गांड कुछ देर मैं भी चोद लूं.”

“उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………..बड़ा मज़ा आ रहा है नंदू…………अब ये

अपनी मम्मी नहीं बल्कि अपनी रंडी है रंडी………..मेरी रंडी…….अपने

भोंदू की रंडी, रांड…………रम्भा रंडी…………” भोंदू रम्भा को

चोद चोद के पागल हो रहा था.

“भैया जुबान संभाल के बोलो………….” भोंदू के अपनी मम्मी को रंडी कहने पर नंदू को बुरा लगा.

“अबे नंदू………इतनी गरम औरत एक रंडी ही हो सकती है. साले अभी तो तू मम्मी की गांड मारने के लिए कह रहा था और अब नाटक कर रहा है.”

“भैया गांड मारना अलग है पर गाली तो मत दो न” नंदू ने फिर कहा.

“कहने दे नंदू………मुझे सही में एक रंडी जैसा ही मज़ा आ रहा

है…………..उन्न्ह्हह्ह्ह्ह……….आ.आ.आ.हिस्ता

भोंदू…………तेरा लंड गांड में दर्द कर रहा है.” रम्भा भोंदू की गोद

में चढ़ी लंड पे फुदकती हुई बिलकुल मस्त हो रही थी.

“अच्छा दे लो भैया मम्मी को गाली पर अब उन्हें प्लीज नीचे

उतारो…………तुम 2 बजे से मम्मी की गांड चोद रहे हो……..घड़ी में

देखो……पूरा पौन घंटा हो गया तुम्हे चोदते हुए.” नंदू भी शायद रम्भा को

चोदने के लिए बेताब था.

“यार तू गीता की गांड मार ले न…….वो भी तो मस्त घोड़ी है !” भोंदू रम्भा को चूमता हुआ लंड पे कूदा रहा था.

“दीदी की गांड बहुत टाइट है….. मैं कल भी जल्दी झड़ गया था आज मेरा जी भर

कर गांड चोदने का मन है. मैं मरा जा रहा हूँ गांड चोदने के लिए भैया

………….दो न ये रम्भा रंडी मुझे चोदने को.”

नंदू भी जोश में आकर रम्भा को रंडी कह रहा था. रम्भा बस मुस्कुरा दी.

“अरे नंदू……….एक काम कर तू मेरी गांड मार ले. भोंदू को जी भर कर

रम्भा की गांड चोद लेने दे. देख किस कदर आनंद में डूबे हैं दोनों. आजा मेरे

लाल………बहुत दिनों से तूने मेरी गांड मारी भी नहीं है.

आजा………..तेरे मुन्ना चाचा गीता को चोद लेंगे तब तक.” मम्मी ने नंदू

के बेकरारी देख कर उसे अपनी गांड चोदने के लिए बोला. मैंने ग़ोर से देखा तो

पता चला कि मुन्ना काका उनकी चूत चोद रहे थे.

“ठीक है……मालकिन जैसा आप कहो………मैं तो बहुत सालों से आप की चूत

और गांड चोदने का आनंद ले रहा हूँ. मैं समझ सकता हूँ इन जवान लड़कों की

तमन्ना. मैं भी जब इनकी जितनी कम उम्र का था तो मेरा भी लड़कियों की बजाये

औरतों को ही चोदने का दिल करता था. और जब औरत तुम्हारे जैसे हो मालकिन तो

कोई भी खुद को उसकी गांड मारने से नहीं रोक पायेगा. पता नहीं साले हीरा ने

क्यूँ नहीं चोदी तुम्हारी गांड……………उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.” और मुन्ना

काका ने तुरंत मम्मी की चूत से अपना लंड निकल लिया और झुक कर मम्मी के नंगे

चौड़े चूतड़ चूमने और चाटने लगे.


“ओह्ह्ह्हह्ह मालकिन……….बड़े मीठे चूतड़ है आप

के……….उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ ….पुन्न्च … पुन्न्च … पुन्न्च …

पुन्न्च …” मुन्ना मम्मी के नंगे मुलायम चूतडों पे ताबड़तोड़ चुम्बन जड़ रहा

था.

इतने में ही नंदू गीता को घोड़ी बना छोड़ के आ गया अपनी सुधिया काकी के पास. उसका लंड फनफना रहा था.

“हटो चाचा……..अब मुझसे रुका नहीं जा रहा………….अब तो खूब जी भरकर

गांड चोदुंगा सुधिया काकी की. चोदने दोगी ना काकी?” मुन्ना हट कर जैसे ही

गीता के पास गया तो गीता दीदी थोड़ी कुनमुनाई……..दरसल मुन्ना काका ने

सीधे जाकर गीता दीदी की गांड चाटनी शुरू कर दी थी.

“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह काका …….मेरी गांड क्यूँ चाट रहे

हो?…………..तुम मेरी गांड चोदोगे क्या?” दीदी शायद काका के मोटे लंड

से डर रहीं थीं पर गांड चाटे जाने ने एकदम से गरमा भी गयीं थीं.

“कल ही तो इस नंदू ने कितनी बेरहमी से मेरी गांड मारी थी. मैं चीखती रही पर

इस कमीने ने बिलकुल रहम नहीं किया मेरे पर काका. मेरी गांड का बाजा बजा के

रख दिया था इसने…………देखो ना कितना गन्दा लड़का है ये” दीदी ने इतरा

के कहा.

“क्यूँ बे नंदू………तूने बिलकुल रहम नहीं किया कल हमारी गीता बिटिया पर………..”

“वैसे गीता बिटिया ये तो आम कहावत है कि अगर मर्द औरत की गांड चोदे और उसका

लंड गांड चोदते वक़्त अगर औरत की चीखें ना निकाल पाए तो औरत को भी गांड

मरवाने में मज़ा नहीं आता.”

“सही कह रहे हो मुन्ना…………..मुझे भी कसम से तब बड़ा मज़ा आता है जब

तुम्हारा लंड बेरहमी से मेरी गांड मारता है. भले ही थोड़ा दर्द होता है पर

मस्ती खूब आती है. तुम्हारा तो हमेशा मुझ पर ये अहसान रहेगा कि तुम ही वो

शख्स हो जिसने मेरी पहली बार गांड मारी और मुझे इस बेहद कामुक और गुदगुदाने

वाली चुदाई का मज़ा दिया. अब तो मेरी गांड जब तक दिन में कोई मस्त लंड कम

से कम दो बार ना निगल ले साली ठुनकती ही रहती है. और ये कमीने भोंदू और

नंदू तो बड़े ही बुरी तरह से मेरी गांड चोदते हैं.” मम्मी ने भी मुन्ना काका

की हाँ में हाँ मिलायी.

“उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माँ……….कितना हरामी है तू नंदू……….चल

हट………कमीना कहीं का” मम्मी गुस्से में चिल्लाई. दरसल नंदू ने अपने

लंड की ठोकर मम्मी की गांड में मार दी थी जिससे मम्मी को अपनी गुदा पे एक

तेज़ टीस का अहसास हुआ. नंदू के लंड पे लगी गीता दीदी की चूत की चिकनाई सूख

चुकी थी और मम्मी की गांड भी इकदम सूखी थी क्यूंकि मुन्ना काका मम्मी की

चूत चोद रहे थे गांड नहीं. ऐसे में जैसे ही नंदू ने अपने मोटे लंड का

सुपाड़ा मम्मी की गुदा में ज़ोर से धकेला तो चिकनाई न होने की वज़ह से लंड उस

मोटी गांड में अंदर घुसने की बजाए गांड में बड़ी तेज़ी से चुभा जिससे मम्मी

को दर्द हुआ. नंदू बड़ा गरम हो गया था और तुरंत अपने घोड़े जैसे लंड को मम्मी

की मस्त कददू सी फूली गांड में घुसा देना चाहता था. उसने इतनी तेज़ धक्का

मम्मी की गांड में मारा था की अगर मम्मी की गांड में ज़रा भी चिकनाई लगी

होती तो उसका वो फनफनाता लंड मम्मी की नंगी गांड में पूरा जड़ तक घुस जाता.

“इतना बेकाबू क्यों हो रहा था तू…………उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई इतनी तेज़

ठोकर मार दी मेरी सूखी गांड में. जा जाकर पहले रसोई से मक्खन के टुकड़े ले

के आ 7-8”

नंदू लगभग भागता हुआ रसोई में गया और अमूल बटर के कुछ टुकड़े जल्दी से उठा

लाया. नंदू बुरी तरह उत्तेजित लग रहा था. भागते हुए उसका लंड बुरी तरह फुदक

रहा था जिससे देख कर मम्मी बुदबुदाई “आज तो ये लड़का मेरी गांड फाड़

देगा………….लग रहा है बड़ा रुलाएगा कमीना आज”

“मालकिन आज तो नंदू सच में आपको मस्त कर देगा……..देखो कितना फूल गया है

उसका लंड आपकी गांड देख कर. आपको याद है जब आपने पहली बार मुझे अपनी गांड

चोदने की इजाज़त दी थी तो मैं भी बस ऐसे ही पागल सा हो गया था. सच में

मालकिन मैंने आज तक जितनी भी औरतों की गांड चोदी हैं मुझे तुम्हारी गांड

सबसे मस्त लगी. सच में सुधिया मालकिन ऐसा लगता है जैसे लंड किसी गरम

गुलाबजामुन में घुसेड़ दिया हो. झड़ने का तो मन ही नहीं करता बस उस नंगी कददू

सी गांड को चोदते रहने का मन करता है.”………..मम्मी बस मुस्कुरा दी ये

सुनकर और नंदू के सामने कुर्सी पर घोड़ी बन गयीं. अपने सामने एक मस्त नंगी

औरत को घोड़ी बना देख वो मम्मी की गांड सहलाने लगा और उनकी मुलायम गुदा को

ऊँगली से कुरेदने लगा. गुदा पे ऊँगली लगते ही मम्मी सीसक पड़ी.

“नंदू………उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ जल्दी से गांड में मक्खन भर दे और चोद दाल

मेरी गांड………….अरे मुन्ना तुम भी गीता को यहीं ले आओ. मेरे पास

वाली कुर्सी पर ही उसे घोड़ी बना के चोदो.” मम्मी नंदू से गांड चुदवाने के

लिए तड़प सी रहीं थीं.

“हुन्न्न्न……….. ये हुई ना बात……चल नंदू आज इन माँ बेटियों को एक

साथ घोड़ी बना के चोदते हैं. भोंदू तो लगता है कि अब रम्भा को किसी और को

चोदने नहीं देगा. देख कैसे पागलो की तरह अपनी माँ को उछाल उछाल के चोद रहा

है” मुन्ना काका काफ़ी उत्तेजित दिख रहे थे.

“चाचा ……..सही कह रहे हो यार……..दोनों एक साथ डालेंगें इन रंडियों

की गांड में अपना लंड…..आप भी दीदी की गांड में अच्छे से मक्खन लगा लो

……….ये लो मक्खन के टुकड़े. मक्खन लगा के बड़ा मज़ा आता है काका गांड

चोदने में. सुधिया काका ने परसों ही ये मस्त तरीका बताया था मुझे और भोंदू

भैया को. मक्खन गांड में दाल के चोदने से तो उससे भी कई गुना ज्यादा मज़ा

आता है जितना कि सरसों के तेल से गांड चोदने में आता है. क्या मस्त “पिच”

.. “पिच” करता हुआ गांड को चोदता है लंड.

“ज़रा पूछ सुधिया मैडम से कि कहाँ से सीखा उन्होंने ये मक्खन लगा के गांड

चुदवाना” मुन्ना काका मम्मी की तरफ़ जोशीले ढंग से मुस्कुराते हुए नंदू से

बोले जो कि अपने हाथ में एक अमूल बटर की टिक्की लेके उसे मम्मी के नंगे

चूतड़ फेलाकर उनके मस्त भूरे और काफी चौड़े गांड के छेद पर मल रहा था. नंदू

तो जैसे उस मस्त गांड में खो सा गया था. वो बड़ा उत्तेजित लग रहा था. मम्मी

भी लगता था जैसे उन पलों का आखें बंद करके आनंद ले रहीं थीं. वो कुर्सी पर

बिलकुल नंगी होकर अपने दोनों घुटने आपस में चिपका कर घोड़ी बनी हुई थीं.

अपनी कमर को नीचे के तरफ गोल करके बड़ी ही बेशर्मी से उन्होंने अपने नंगे

चूतड़ नंदू के सामने परोस रखे थे. और बस इतना ही नहीं बल्कि अपने सीधे हाथ

को पीछे ले जाकर उन्होंने अपने दियें चूतड़ को पकड़ कर फेला रखा था. बायाँ

चूतड़ मम्मी का नंदू ने अपने बाएं हाथ से फेला रखा था. इस तरह मम्मी की गांड

उन्होंने खुद ने और नंदू ने पूरी तरह फेला रखी थी और नंदू का दायाँ हाथ

उनकी भूरी गुदा पर बटर का टुकड़ा मल रहा था. मैं देख रही थी की बटर मलने से

मम्मी की गुदा चिकनी हो गयी थी और चमक रही थी. मैं पहली बार मम्मी की गुदा

देख रही थी. मम्मी को नंगा तो बहुत बार देखा था पर गुदा तो चूतडों में छुपी

रहती है इसलिए कभी नहीं देखा था. मम्मी की गुदा सच में बड़ी दिलकश लग रही

थी. बिलकुल गहरे भूरे रंग की और उनके नरम गांड के छेद के चारों तरफ़ सैकड़ों

भूरे रंग की सलवटें बड़ी जान लेवा लग रहीं थीं.


मुझे समझ आ गया कि यही सलवटें उनकी गांड के छेद को चौड़ा करने में मदद

करेंगीं जब नंदू अपने मोटे लंड को उनकी गांड में घुसयेगा. मुझे बाद में पता

चला कि औरत की गांड में जितनी ज्यादा सलवटें होतीं है लड़कों को उतना

ज्यादा मज़ा आता है उनकी गांड चोदने में.


खेर नंदू बटर की टिक्की लेके अपनी सुधिया काकी के गांड के छेद पे मल रहा

था. और जैसे ही मुन्ना काका की नज़र मम्मी की इतनी कामुक अंदाज़ में खुली

गांड पे पड़ी वो दीदी की गांड चाटना छोड़ तुरंत मम्मी के पीछे घुटनों के बल

आकर बैठ गए और मम्मी की गुदा की सलवटों पे लगे मक्खन को जीभ से चाटने लगे.


खेर नंदू बटर की टिक्की लेके अपनी सुधिया काकी के गांड के छेद पे मल रहा

था. और जैसे ही मुन्ना काका की नज़र मम्मी की इतनी कामुक अंदाज़ में खुली

गांड पे पड़ी वो दीदी की गांड चाटना छोड़ तुरंत मम्मी के पीछे घुटनों के बल

आकर बैठ गए और मम्मी की गुदा की सलवटों पे लगे मक्खन को जीभ से चाटने लगे.


“ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्ह्हह्हह्ह्ह

………..नंन्न्नन्न्न्नन्न्न्न…………………………………..

दूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ………ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़” गुदा पे गरम जीभ

का अहसास होते ही मम्मी ने नंदू के नाम की एक गहरी सिसकी ली. उनकी आँखें

बंद थी और उन्हें लगा कि शायद नंदू उनकी गरम गांड को मस्ती में आकर चाटने

लगा है.

“सुधिया काकी देखो ना मुन्ना चाचा ने फिर से तुम्हारी गांड थाम

ली……….” नंदू तिलमिला उठा मुन्ना को सुधिया की गांड चाटता देख कर.

मम्मी ने पीछे मुड़ कर देखा तो मुस्कुरा कर बस इतना कहा “पागल कुत्ता मेरा”.


“ओह्ह्ह….सुधिया काकी बोलो ना चाचा को यहाँ से उठने के लिए……..देखो

कैसे गांड चाट रहें हैं तुम्हारी. चाचा हटो भी अब………प्लीज

………आप तो ना जाने कितनी बार चोद चुके हो सुधिया काकी की गांड….आज

मुझे चोद लेने दो प्लीज़ ………..हटो ना अब.” नंदू मम्मी और मुन्ना काका

दोनों से मिन्नतें कर रहा था.

“उन्न्नंह …………न्न्नन्न्न्नन्न्न्न …उन्नंह …………

मुन्ना…….. आआअह्ह्ह ………. ऐसे हीईईईईइ……..उन्न्न्हह

……… हाय्य्यय्य्य्य…….कोई चोदो मेरी गांड……….अब नहीईईईई

सहा जा रहा मुन्ना…..तू जा और गीता की गांड चाट इसी तरह और उसे भी मस्त

कर दे. और नंदू को मेरी गांड मारने दे……….मैं और नहीं सह सकती

मुन्ना……………आआनंहह्ह्ह्हह ………. मुझे गांड मरवानी है अब.”

मम्मी गांड मरवाने के लिए तड़प रहीं थीं. उनकी गांड मुन्ना काका के चाटने से

बेहद गरमा गयी थी और वो अब अपनी नंगी कददू जैसी फूली गांड में नंदू का लंड

डलवाना चाहती थी. उधर नंदू भी तिलमिला रहा था. एक बिलकुल नंगी अधेड़ उम्र

की औरत उससे अपनी गांड मरवाना चाह रही थी और उसके लिए घोड़ी बनी खड़ी थी और

कोई और नंदू की घोड़ी की लज्ज़तदार गांड को चाट रहा था और वो कुछ नहीं कर पा

रहा था बस अपनी नंगी घोड़ी की गांड को हाथों से फेलाए खड़ा था.

“ओह्ह……हट मुन्ना…….तू तो सैकड़ों बार मेरी गांड चाट और चूस चुका है

और ना जाने कितनी बार बींद चुका है अपने लौड़े से मेरी गांड……..चल हट

……. अब नंदू को अपनी हसरतें पूरी कर लेने दे. चोद लेने दे उसे मेरी

ठरकी गांड. उन्न्न्नन्न…..हट मुन्ना………तू रात में जी भर के चाट

लेना और चाहे तो पूरी रात चोदना मेरी मटकी जैसी गरम गांड को……वादा करती

हूँ पूरी रात नंगी होकर घोड़ी बनी रहूँगी तेरे लिए. आराम से ऊपर चड़ चड़ के

चोदना अपनी सुधिया की गदराई गांड. पूरी रात तुझे गांड मारने दूंगी पर अभी

नंदू को चोद लेने दे. देख बेचारा कितना पागल सा हो गया है मेरी गांड में

घुसने के लिए. चोद लेने दे इसे इसकी मनपसंद गांड.” मम्मी मुन्ना काका से

अपनी गांड का पीछा छुड़ा कर अपनी गरम गांड नंदू के हवाले करना चाहती थी ताकि

नंदू एक मस्त गदराई गांड को चोद कर अपनी ठरक शांत कर सके और मम्मी भी उसकी

गांड चुदाई का लुफ्त उठा सकें. मम्मी अपनी नंगी गांड को ज़ोरों से दायें

बाएं हिला के मुम्म काका को हटने के लिए कह रहीं थीं.

“ठीक है मालकिन अभी तो गीता की गांड मार कर काम चलाता हूँ पर रात में तेरी

नंगी गांड को घोड़ी बना के खूब पीट पीट कर चोदुंगा. पूरी हवेली में तुझे

नंगी दौड़ा दौड़ा के तेरी गांड मरूँगा. आज रात तू सिर्फ मेरी रांड बनेगी.

भोंदू हो चाहे नंदू……कुत्तो को हाथ भी नहीं लगाने दूंगा आज

रात….पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह … पुछ्ह्ह्हह …

पुछ्ह्ह्हह …” मुन्ना काका मम्मी की चूतडों पे 7-8 चुम्बन जड़ के खड़े हो

गए और नंगी सुधिया घोड़ी को नंदू के हवाले कर दिया.

“ले चोद ले इस कुतिया की गांड नंदू…………साली की चीखें निकाल दे गांड

चोद चोद के इस हरामजादी की. खूब कूद कूद के गांड मार इस रंडी की.” कहते

हुए मुन्ना काका गीता दीदी के नंगे चूतडों की तरफ लपके.

उधर गीता दीदी भी विरोध छोड़ कर मम्मी की ही तरह उनके पास वाली कुर्सी पर

किसी चुदक्कड़ नंगी घोड़ी की तरह झुक चुकी थीं और मुन्ना काका को अपने जवान

नंगे चूतडों से खेलने दे रहीं थीं.


काका बड़े प्यार से दीदी के चूतडों को अपने हाथों से सहला रहे थे. दीदी की

भी आँखें बंद हो चलीं थीं. फिर अचानक मम्मी की एक प्यारी सी सिसकी ने मेरा

ध्यान अपनी तरफ खींचा तो मैंने देखा की नंदू बटर की टिक्की उनकी गांड में

घुसा रहा था. मम्मी शायद गुदगुदी के कारण सिसकीं थीं. नंदू ने मक्खन की

टिक्की धीरे से मम्मी की गांड में घुसा दी और दूसरी टिक्की उठा कर फिर से

उनकी भूरी गुदा पर मलने लगा. उधर मुन्ना काका ने जब एक बटर की टिक्की अपने

हाथ में उठाई तो मैं ये देख कर हैरान रह गयी कि गीता दीदी ने मम्मी की तरह

अपने दायें हाथ से अपनी गांड फेला ली जैसे जानती हों कि काका अब क्या करना

चाहते हैं.

“बिलकुल अपनी माँ पर गयी है…………कुतिया” काका ने मुस्कुरा के कहा और

एक हाथ से दीदी की गांड पूरी तरह खोल कर बटर की टिक्की दीदी की गुदा पर

मलने लगे. जैसे ही ठन्डे बटर की टिक्की दीदी की गुदा पर फिसलनी शुरू हुई

दीदी के मुंह से मीठी मीठी सीत्कारी फूटने लगीं. काका का लंड अब और ज्यादा

मोटा और फनफनाता हुआ लग रहा था. दीदी की गांड शायद मम्मी की गांड से भी

ज्यादा गरम थी क्यूंकि बटर लगभग पिघल कर दीदी की गांड से चू कर उनकी चूत को

गीला करने लगा था पता नहीं काका को ये देख कर क्या हुआ ……….

उन्होंने दीदी की चूत में झटके से अपना लंड दाल दिया. काका का लंड बुरी तरह

फुला था जिससे दीदी की चीख निकल गयी.

“उन्न्न्नन्न्न्न.न्न्न्नन्न्न्नन्न न्न्न्नन्न्न्न न्न्नन्न्न्न

……………….. उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ईईईईईईईईईईईइ

मुम्म्मम्म्म्मम्मम्मम्ममाआआआआआआआआआ

………मर्रर्रर्रर्र्र्रर्र्र्रर्र्र गयी……” दीदी ज़ोर से चीखीं.

“अरे मुन्ना………बच्ची है कुत्ते ……………. इतनी बुरी तरह क्यूँ

चोद रहा है मेरी बच्ची की गांड.” मम्मी ने काका को लगभग डांटते हुए कहा.

वो समझ रहीं थीं कि काका ने दीदी की गांड में लंड घुसेड़ दिया है शायद.

“मालकिन मैंने तो गीता की चूत में ही डाला है………देखो कैसे घोड़ी की

तरह चिल्ला रही है………..हाय मालकिन ……….. अगर आप बुरा न मानो तो

आज गीता को गालियाँ देते हुए चोद लूं जैसे जब कभी आप मूड में होती हो तो

गालियाँ खाते हुए मुझसे चुदवाती हो. मैंने गीता को इतनी बार चोद लिया और

इसकी गांड भी मार ली पर पता नहीं आज क्यूँ मेरा मन इसे गालियाँ देते हुए

किसी रंडी की तरह चोदने का कर रहा है.” काका दीदी की चूत में लंड डालकर

पागल से हो गए थे.

“आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ………. काका जो भी तुम बकना चाहते हो बक लो

…….. मुझे बुरा नहीं लगेगा. भोंदू और नंदू जो कि वैसे मुझे दीदी कहतें

हैं….. मुझे चोदते वक़्त खूब गालियाँ देतें हैं. उन दोनों को तो इस लंगड़ी

घोड़ी को चोदने में तभी ज्यादा मज़ा आता जब वो मुझे गालियाँ देतें हैं. मैं

बुरा नहीं मानती काका. इससे तो बल्कि चुदवाने में और मज़ा आता है. क्यूँ

मम्मी?”

“गीता इस वक़्त तुम्हारी घोड़ी है मुन्ना……….जैसे तुम्हारा दिल करे

वैसे चोद लो अपनी इस लंगड़ी घोड़ी को. मुझे तो चुदते टाइम तुम्हारे मुंह से

गालियाँ भी अच्छी लगतीं हैं और तुम्हारा बेरहम चोदने का तरीका भी. मैं तो

बस इतना कहूँगी कि जी भर कर चोदो मेरी बेटी को पर इतना ध्यान रखना कि वो

चुदाई में अभी बिलकुल नयी है. उसे एक लड़की की तरह ही चोदना नाकि किसी रंडी

औरत की तरह. तुम तो एक मस्त मंझे हुए मर्द हो और मुझ जैसी गांडू और चुदक्कड़

औरत का भी बैंड बजा देते हो अपने इस लंड से. इसलिए गीता को चोदते टाइम ये

सब याद रखना और ये भी कि गीता विकलांग है, लंगड़ी है………..ज्यादा बेरहम

होके मत चोदना उसे.

उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़……….नंदू………..तूने तो ४-5

बटर की टिक्की मेरी गांड में भर दीं हैं………..आज लग रहा है कि मेरी

गांड को मस्त कर देगा तू………हाय्यय्य्य कमीने……….ला अब तेरे लंड

पे थोडा मक्खन मल दूँ” मम्मी ने मस्ती में आकर मुन्ना काका को पूरी आजादी

दे दी गीता दीदी को मन मर्ज़ी से चोदने की.

“हान्न्नन्न्न्न………सुधिया………तू नहीं जानती कितना मज़ा आता है

तेरी इस लंगड़ी बेटी को चोदने में. उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़…….औरतें भी बहुत

चोदी और लौंडियाँ भी पर इस लंगड़ी घोड़ी के साथ अलग ही मज़ा आता है. घुटनों के

बल चल चल के कुतिया के घुटने इतने मज़बूत हो गए हैं कि रंडी कहीं भी घोड़ी

बनी घंटों चुदती रहती है. और कितनी मस्त ठुकी हुई गांड है बिलकुल किसी

गांडू औरत जैसी.” मुन्ना काका दीदी की गांड में बटर चुपड़ रहे थे और उनकी

चूत मारते हुए बडबडा रहे थे.

उधर नंदू मम्मी के मुंह के आगे जाकर खड़ा हो गया था. मम्मी ने बटर की एक

टिक्की उठाई और नंदू के मोटे नंगे लंड पर मलने लगी. नंदू का लंड मस्ती से

नाच उठा. मम्मी लंड के चारों तरफ बटर का लेप लगा रहीं थीं जिससे नंदू और भी

ज्यादा उत्तेजित हो गया. गरम लंड ने मक्खन को पिघला दिया और मक्खन ने लंड

को बेहद चिकना और तर्र कर दिया. नंदू मम्मी की उठी हुई गांड को बेसब्री से

घूर रहा था. मम्मी की गांड मक्खन में सनी हुई और भी कामुक लग रही थी. और जब

नंदू ने भोंदू और रम्भा की ओर देखा तो उसकी लंड की नसें फटने को हो गयीं.

भोंदू सोफे पे बैठा था और रम्भा काकी उसी सोफे पे बिलकुल मदर्जात नंगी अपने

घुटनों और हाथों पे झुकी थीं. और भोंदू ने अपने दोनों हाथों से काकी के

नंगे मांसल चूतड़ फेला रखे थे और लप लप करके काकी की मस्त गुदा चाट रहा था.

रम्भा काकी बेहद कामुक ढंग से सीसक रहीं थीं. उनकी गांड चुदने की वजह से

इकदम खुल गयी थी और गांड के अंदर का लाल लाल मुलायम मांस गांड के छेद से

बाहर झांक रहा था.

गुदा से थूक जैसा लिसलिसा पानी निकल रहा था जिसे भोंदू मस्ती से चाट रहा

था. उनकी आँखें मस्ती से बंद थीं. थोड़ी देर गांड चाटने के बाद भोंदू ने फिर

से उस कामुक कुतिया की गांड में लंड दाल दिया और सोफे पे घोड़ी बनी अपनी

पूरी नंगी माँ को बेदर्दी से कूद कूद के चोदने लगा. रम्भा काकी की गांड

इतनी निर्मम तरीके से चुद रही थी कि उनकी लम्बी लम्बी चीखें पुरे हॉल में

गूंज रहीं थीं. ये सब देख कर नंदू फिर से अपनी सुधिया काकी की गांड के पीछे

आकर खड़ा हो गया. नंदू मुझे गांड चोदने का बड़ा शौक़ीन लग रहा था. वो भोंदू

से भी ज्यादा पागल लग रहा था. पर अब नंदू की लाटरी लगने वाली थी. उसकी घोड़ी

यानि मेरी मम्मी अब बिलकुल तैयार थी अपनी गांड में उसका लंड घुसवाने के

लिए. गांड में अंदर और बाहर मक्खन चुपड़ा था और नंदू का लंड भी मक्खन में

सना था.

“ओ री सुधिया……….ज़रा दोनों हाथों से गांड फेला ले

अब………उन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न्न्नन्न” नंदू लंड को हाथ में

लेकर बोला.

“बिलकुल हीरा पे गया है कुत्ता ….. वो भी ऐसे ही कहता है “ओ री

सुधिया”……….और मैं समझ जाती हूँ कि मैं चुदने वाली हूँ………ले

घुसा” मम्मी ने एक हाथ से अपनी गांड खोलने की कोशिश की.

“काकी दोनों हाथों से फेलाओ अपने चूतड़……..तब मज़ा आएगा” नंदू मम्मी के नंगे चूतड़ पे थपकी मारकर बोला.

“दोनों हाथों से कैसे फेलाऊँ???…..मैं कुर्सी पे हूँ ……..अपनी छाती

कहाँ टिकाऊँ?? अगर तू चाहता है कि मैं अपने दोनों हाथों से अपनी गदराई गांड

फेला कर तेरे सामने परोसूं तो अपनी इस घोड़ी को उठा के बिस्तर पर ले चल

ताकी मैं आगे झुक कर अपनी गर्दन बिस्तर पे टिका लूं. यहाँ कुर्सी पे तो बड़ी

दिक्क़त होगी. और जब तू गांड मारेगा तो मुझे सहारा तो चाहिए ना!! यहाँ तो

सहारे के लिए कुर्सी ही पकडनी पड़ेगी ……. और अगर कुर्सी पकडूगी तो गांड

कैसे फेलाउंगी??” मम्मी जब दोनों हाथों से चूतड़ फेलाने की कोशिश करने लगीं

तो घोड़ी बनी रहने की कोशिश में अपने दोनों घुटनों पे बैलेंस करने लगीं.

इतने में ही नंदू ने उनकी खुली गांड में अपने मोटे लंड से ज़ोरदार शॉट मारा.

मक्खन लगा लंड का सुपाड़ा दनदनाता हुआ मम्मी की गांड में दाख़िल हो गया. पर

इससे मम्मी का बैलेंस बिगड़ा और संभलने के लिए मम्मी ने हाथों से अपने चूतड़

छोड़ झट से कुर्सी पकड़ ली. अगर मम्मी को पहले से हाथों का सहारा होता तो

नंदू का लंड काफ़ी अंदर तक उनकी गांड में घुस जाता क्यूंकि नंदू गांड मारने

के लिए बैचैन था और इसलिए इतना तगड़ा धक्का अपनी काकी की नंगी गांड में दे

मारा था. पर फिर भी नंदू का सुपाड़ा मम्मी की गांड में जाकर फ़स गया था और

मम्मी अपनी गांड से नंदू के लंड पे अटकी हुई थीं.

गांड लंड की मुंडी अपने मुंह में दबाये फूल पिचक रही थी और मम्मी पीछे मुड़

कर नंदू की तरफ़ देखती हुई अपने होंठ गोल करके “उन्न्ह्हह्ह

…उन्न्न्हह्ह्ह” कर रहीं थीं. पर दृश्य बड़ा मादक था. मुझे पहली बार लगा

कि काश मम्मी की जगह मैं उस कुर्सी पे होती और ठीक इसी तरह मेरी गांड में

उस मोटे लंड की नथुनी फंसी होती. हालाँकि तब तक मेरी खुद की गांड कभी नहीं

चुदी थी पर मम्मी के चेहरे को देख कर और उनकी मादक सिसकी सुन कर ऐसा लगा

जैसे उनकी गांड में फंसी उस मोटे लंड की नोक उनकी गांड में मीठी गुदगुदी

पैदा कर रही थी. अनायास ही मेरा हाथ सलवार के ऊपर से मेरी गुदा को कुरेदने

लगा. ये पहली बार था जब मेरे दिल में अपने आप ही ये ख्याल आया कि काश मेरा

चोदू हीरा काका भी इसी तरह अपने उस मोटे चूहे को मेरी गांड में घुसेड़ दे.

उफ्फ्फ्फ़…..कितना गुदगुदाता होगा ना लंड गांड में घुस कर. मैं आज तीसरी

बार हीरा काका से अपनी चूत चुदवा के आई थी. पर मुन्ना काका तो अभी अभी कह

रहे थे कि हीरा काका गांड नहीं चोदते. मैं सोच में पड़ गयी कि जिस गांड को

चोदने और चाटने के लिए ये तीनों सांड मरे जा रहे हैं हीरा काका तो उसे हाथ

भी नहीं लगाते. आज ही उन्होंने खेत पर मुझे एक प्लास्टिक की उलटी बाल्टी पर

बिलकुल नंगी करके घोड़ी बना कर पुरे घंटे भर चोदा था पर काका ने मेरी गांड

और गुदा को छुआ तक नहीं जबकि लड़की को पीछे से घोड़ी बना के चोदने से उसकी

गुदा हमेशा मर्द के सामने होती है. हीरा काका चाहते तो मेरी गुदा को कम से

कम ऊँगली से तो छेड़ ही सकते थे. मैं देख ही रही थी कि कैसे मुन्ना काका अभी

भी गीता दीदी को चोदते हुए उनकी भूरी लचीली गुदा पे मक्खन मल रहे थे.

मुन्ना काका के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे कोई नायाब चीज़ उनके हाथों में हो.

और सच में लड़की की गांड का छेद बेहद नायाब होता है. अगर लड़की पूरी नंगी भी

खड़ी हो जाये तो भी उसकी गुदा उनके चूतडों में दुपकी रहती है. लड़की को थोड़ा

झुका कर और उसके चूतडों के पट खोल कर ही आप लड़की की मलाईदार गुदा को देख

सकतें हैं. तो हीरा काका ने मेरी गुदा को हाथ क्यूँ नहीं लगाया?? और यहाँ

हॉल में दो मदमस्त नंगी घोड़ियों को अपनी गांड चुद्वाते देख कर मेरा मन भी

गांड मरवाने का करने लगा. पर मुझे हीरा काका से कोई उम्मीद नहीं लग रही थी.

जब उन्होंने रम्भा, सज्जो और मम्मी जैसी इतनी गदराई और गरम औरतों की गांड

नहीं मारी तो वो मेरी क्या मारेंगे. मुझे लग रहा था कि आने वाले वक़्त में

नंदू, भोंदू या फिर मुन्ना काका में से कोई एक मेरी गांड चटकाएगा…..मेरी

मटकी फोड़ेगा. मैं ये सोच के रोमांचित हो रही थी कि तभी एक तेज़ थप्पड़ की

आवाज़ ने मुझे चौका दिया.

“चटाक”




पागल लंड ‘नयी घोड़ी’–2

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