प्रेषक: महमूद अंसारी
मै आज एक येसी कहानी लिख रहा हु अगर लड़कियां पढेगी ये कहानी तो उनकी चूत रोने लगेगी लडको के लंड से लार गिरने लगेगा कृपया ध्यान से पढ़े तो कहानी स्टार्ट होती है अब …. वो धीरे धीरे चलती हुई अदा से उसके करीब आई और बाहें गले में डाल दी. “यू नो, इफ़ आइ डिड्न’ट लव यू सो मच, आइ’ड नेवेर बी हियर अलोन विथ यू.” कहकर वो मुस्कुराया और उसे अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर तक ले आया. वो बिस्तर पर उसके सामने बैठ गयी और वो ज़मीन पर खड़ा खड़ा झुका और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. जीन्स में उसका लंड इस तरह खड़ा हुआ था के जीन्स पहने रखना अब मुश्किल हो चला था. झुक कर उसे चूमते हुए ही एक हाथ से उसने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए. उसकी मोटी मोटी चूचिया अपने हाथ पर महसूस करना जैसे उसके जिस्म की आग में घी का काम कर रहा था. कुछ पल बाद ही वो बिस्तर पर सिर्फ़ एक जीन्स में बैठी हुई थी. एक कदम पिछे को होकर वो उसे देखने लगा. “ऐसे क्या देख रहे हो?” वो मुस्कुरा कर बोली “योर ब्रेस्ट्स” वो वैसे ही खड़ा खड़ा बोला “सिर्फ़ इनमें ही इंटेरेस्ट है?” वो शरारत से मुस्कुराइ “इंटेरस्ट तो सर से पावं तक पूरा है” “तो पूरा देखो ना” कहकर वो बिस्तर पर ही खड़ी हो गयी और धीरे धीरे अपनी कमर ऐसे लहराने लगी जैसे संगीत की आवाज़ पर थिरक रही हो. हाथों को उसने अपनी कमर पर फिराया, फिर अपनी चूचियों को सहलाया और आख़िर में अपने बालों को पकड़कर अपने सर के ऊपर कर लिया और धीरे धीरे नाचने लगी. “योर टिट्स लुक्स सो कूल लाइक दट, बाउनसिंग अप आंड डाउन” वो वहीं खड़ा उसे नाचते हुए देख रहा था. “व्हाट अबाउट माइ आस?” कहकर वो पलटी और आगे को झुक कर अपने कुल्हों पर हाथ फिराने लगी “मेरी गांड कैसी लगती है तुम्हें?” “इफ़ ओन्ली यू वुड लेट मी फक इट पर तुम लंड घुसाने ही नही देती” वो हस्ते हुए बोला “बिकॉज़ इट हर्ट्स. एक बार तुमने डालने की कोशिश की थी तो जान निकल गयी थी मेरी” कहकर वो सीधी खड़ी हो गयी और नाचना बंद कर दिया “तुम्हें चाहे जितनी बार नंगी देख लूँ, ऐसा लगता है के जैसे पहली बार नंगी हो रही हो तुम मेरे सामने” कहता हुआ वो उसके करीब आया. वो बिस्तर पर खड़ी थी और उसकी चूचियाँ ठीक उसके मुँह के सामने आ रही थी. आगे बढ़कर उसने एक निपल अपने मुँह में लिया और चूसने लगा. “आआअहह” वो मस्ते में ऐसे लहराई जैसे हवा में उठ गयी हो “और जब मुझे चोद्ते हो? हाउ डू यू फील व्हेन यू फक मी?” “लगता है जैसे पहली बार चोद रहा हूँ” कहकर वो ज़ोर ज़ोर से उसकी चूचियाँ दबाता हुआ चूसने लगा, काटने लगा. “सक देम, बाइट देम, हार्डर ….. ज़ोर ज़ोर से ….. !!!! ” वो जैसे पागल हो रही थी “चूत खोलो” वो उसकी जीन्स का बटन खोलने लगा “क्यूँ?” वो फिर शरारत से मुस्कुराइ “मारनी है” “क्या?” वो उसे जीन्स नही खोलने दे रही थी. “तेरी चूत. चल अब खोल” वो भी समझ गया था के वो क्या चाहती थी. “चूत माँग रहा है या भीख माँग रहा है? ऐसे तो मैं किसी भिखारी को 50 पैसे ना दूं, तुझे अपनी चूत कैसे दे दूं साले” पलटकर वो भी बराबर का जवाब देते हुए बोली “ओह्ह्ह मेरी जान” उसने आगे बढ़कर उसको ज़ोर से जकड़ा और एक झटके में ही जीन्स और पॅंटी दोनो नीचे खींच दी “जब तू ऐसे बोलती है तो दिल करता है के तेरी चूत में लंड घुसा के भूल ही जाऊं, कभी ना निकालु” “क्यूँ साले? अपनी बीवी की चूत समझी है जो घुसा के भूल जाएगा?” वो अब भी पूरे मूड में थी “नही, अपनी रखैल की चूत समझी है” वो बिस्तर पर उसके ऊपर चढ़ता हुआ बोला. दोनो के जिस्म अब पूरी तरह नंगे हो चुके थे. लंड सीधा चूत के ऊपर था. “मैं तेरी रखैल हूँ तो तू भी तो मेरा भड़वा हुआ ना?” “तो मैने कब इनकार किया है?” “भाड़वो का लंड नही लेती मैं” वो अपनी कमर इधर उधर करते हुए बोली ताकि लंड चूत में घुस ना सके “तू सिर्फ़ इस भदवे के लंड से ही ठंडी हो सकती है साली. तेरे पति का लंड तो ठंडी करता नही तुझे” “और तेरी बीवी? वो ठंडी हो जाती है तेरे लंड से या वो भी किसी और से चुद रही है?” “मेरी बला से” उसने उसकी टांगे थोड़ा सा फैलाई और लंड चूत में घुसाता हुआ बोला “कहीं भी चुदे साली जाके. बिस्तर पर टांगे उठाके लेट जाने के सिवा कुछ नही आता उसको. उसको कोई एक बार चोद भी लेगा तो दोबारा नही आएगा” इसके बाद कमरे में जैसे वासना और अश्लील बातों का एक तूफान सा आ गया. वो दोनो ऐसे ही सेक्स करते थे. अश्लील बातें करते, एक दूसरे को गाली देते, एक दूसरे की बीवी या पति को गाली देते. “चल कुतियाँ बन” चोदता चोद्ता वो अचानक बोला “कुतिया चोदनि है तो ला दूं एक. औरत की चूत कम पड़ रही है?” “साली बातें ना बना, कॉद्ढ़ी हो” उसने ज़बरदस्ती उसकी कमर पकड़ कर उल्टा कर दिया और अपना लंड फिर चूत में घुसा दिया “गांड थोड़ी ऊपर कर ना” वो उल्टी लेटी हुई थी और उसको अपने लंड घुसने में तकलीफ़ हो रही थी “खड़ी होने को कहा था, पुत्थि लेटने को नही” “क्यूँ बेहेन्चोद. तेरी बीवी की गांड है जो जैसे तू चाहेगा वैसे हो जाएगी?” आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो अब सीधी गाली देने पर उतर आई थी. कुछ देर बाद वो उस घर से बाहर निकली. घड़ी में दिन के 2 बज रहे थे. उसने धूप का चश्मा अपनी आँखों पर लगाया और कार का दरवाज़ा खोल कर अंदर बैठ गयी. “ओह गॉड!!! कितनी गर्मी है” ए.सी. ऑन करते हुए वो अपने आप से बोली और कार स्टार्ट की. वो इस बात से पूरी तरह बेख़बर थी के थोड़ी ही दूर खड़ी एक कार के काले रंग के शीसे के पिछे से किसी ने उसको घर से निकलते देखा था. “गर्मी ने तो इस बार मार ली” सब-इनस्पेक्टर सौरभ तिवारी जीप में बैठे बैठे पेप्सी के घूंठ मारता हुआ बोला. “सो तो है. ऊपर से साला ये पोलीस की गाड़ियों में पता नही ए.सी. क्यूँ नही लगवाते” इनस्पेक्टर बिपिन सिंग अपनी शर्ट के बटन खोलता हुआ बोला “बारिश हो जाए तो थोड़ा सुकून हो” सौरभ ने पेप्सी ख़तम की और जेब से पैसे निकालता हुआ बोला “नही होगी भाई, नही होगी” बिपिन ने गाड़ी से गर्दन बाहर निकाली और आसमान की तरफ देखता हुआ बोला “एक इस साले भगवान ने भी गांड में अंगुली दे रखी है” “चलें सर?” सौरभ ने जीप स्टार्ट की और इंस्पेक्टोट के इशारे पर आगे बढ़ा दी. “वो नबील का सुना क्या सर?” “क्या?” बिपिन उसकी तरफ देखता हुआ बोला “बाहर आ गया वो” “अच्छा? कब?” “अभी पिच्छले हफ्ते ही” सौरभ ने जवाब दिया और एक हाथ से गाड़ी चलाते हुए ही सिगरेट जलाई. “बैल कैसे हो गया साले का?”क्या यार? एक तो इतनी गर्मी और फिर ऊपर से ये?” बिपिन सिगरेट की तरफ इशारा करता हुआ बोला “गम-ए-ज़िंदगी और ये धुआँ” सौरभ ने हॅस्कर जवाब दिया “तुझे काहे का गम है?” “क्या कहूँ सर. वो कहते हैं ना, सारे ज़माने का दर्द, एक कम्बख़्त हमारे जिगर में है ….” “बआउन्सर था. वो नबील कहाँ है आजकल?”
कहानी जारी है…. आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गये पेज नंबर को क्लिक करे …..
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दोस्तों के साथ वाइफ स्वैपिंग
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